Friday 6 April 2018

दर्शन श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग व भस्म आरती

महाकाल की भस्म आरती में शामिल होना और उसका साक्षी बनने की इच्छा हर शिव भक्त की होती है मेरी भी ऐसी ही इच्छा कई वर्षों से थी। वैसे तो महाकाल ज्योतिर्लिंग में आने का सौभाग्य तो मुझे पहले करीब चार बार मिल चुका है पर भस्म आरती में शामिल होना किसी स्वप्न से कम नही था जो महादेव की कृपा से 28 मार्च 2018 को जा कर पूरा हुआ। जैसा सुना था वैसा ही अनुभव हुआ, इस भस्म आरती का गवाह बनना ऐसे था मानो जैसे जन्म जन्म की भक्ति क्षुधा को विराम मिल गया. आज उसी आलौकिक अनुभव को आप सभी के साथ साँझा कर रहा हूँ.
मंदिर प्रांगण में श्रद्धालुओं का जमावड़ा अर्ध रात्रि लगभग 2 बजे से शुरू हो जाता है। आप भस्म आरती में शामिल होने के लिए इंटरनेट से भी बुकिंग कर सकते हैं जो बिल्कुल मुफ्त है। आरती में शामिल होने के लिए पुरषों का धोती और स्त्रियों को साड़ी पहनना अनिवार्य है।
प्रातः 3.30 बजे मंदिर परिसर में प्रवेश शुरू हो जाता है और ठीक चार बजे महाकाल शिवलिंग पर जलाभिषेक का कार्यक्रम शुरू हो जाता है जो करीब चालीस मिनट तक चलता है इसके पश्चात भक्तों को तीन मंडपों में बैठा दिया जाता है, इन तीन मंडपों में नंदी मंडप गर्भ गृह के ठीक सामने है, दूसरा गणेश मंडप ये नंदी मंडप से थोड़ा ऊपर को है और फिर कार्तिकेय मण्डप है। यहां लगभग 500 श्रद्धालुओं को स्थान दिया जाता है। 4 बज कर चालीस मिनट पर आरती की विधिवत रूप से शुरुआत की जाती है, इस क्रिया में सबसे पहले शिवलिंग का श्रृंगार किया जाता है जिसमें शिवलिंग को शिव के मुख के रूप में दर्शाया जाता है। ये सब करीब आधा घंटा चलता है और फिर इसके पश्चात भस्म आरती शुरू होती है, सबसे पहले शिवलिंग के कुछ हिस्से को सूती वस्त्र से ढक देते हैं और फिर एक पोटली में राख होती है जिसका छिड़काव शिवलिंग पर किया जाता है इस दौरान शंख ध्वनि, डमरू, ढोल और छैनों की आवाज़ से पूरा परिसर भक्ति के रंगों में सराबोर हो जाता है। डमरू की ध्वनि जैसे शिव के साक्षात् दर्शनों का अनुभव करवाती है. वैसे तो माना ये भी जाता है की इस आरती में शिव साक्षात् शामिल होते हैं.
तालियों को भी एक विशेष तरीके से बजाया जाता है जिससे एक आलौकिक ध्वनि उत्पन्न होती है जो माहौल को शिवमयी बना देती है। जो भक्त शिव के लिए वस्त्र ले कर आते हैं उनको शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है और फिर इस तरह से भक्तों की करीब ढ़ाई घंटो की मेहनत सफ़ल हो जाती है और आत्मा का जैसे शुद्धिकरण हो जाता है।
मंदिर परिसर में पक्षियों का कलरव एक अलग समा बांध देता है। आज की सुबह में स्वर्गीय आनंद का एहसास हुआ। वैसे भी आजकल के भाग दौड़ के जीवन में इतनी देर तक अगर भोलेनाथ के रंग में रंगने का मौका मिले तो ये मौका छोड़ना नही चाहिए। इस आरती में शामिल होने के लिए आपको केवल इन्टरनेट पर बुकिंग करवानी है.
हर हर महादेव।






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