पंढरी में हुआ विट्ठल यही नाम,
युगों युगों से खड़ा है भक्त प्रेम पाने हेतु
इसीलिए तीर्थ यही सारे तीर्थों में बडा है
चंद्रभागा में नहाए, दर्शन विट्ठल जी के पाए
तन मन खुशियों से लहराए, मन भर भर आए”
(अज्ञात)
आज का दिन मेरे लिए अत्यंत यादगार है क्योंकि आज कारगिल युद्ध के हीरो और परमवीर चक्र से सम्मानित शूरवीर योगेन्द्र सिंह यादव जी से भेंट करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। भारत के युद्ध इतिहास में परमवीर चक्र से सम्मानित होने वाले ये सबसे कम उम्र के योद्धा हैं, 1999 में मात्र 19 वर्ष की आयु में इन्होंने वो कर दिखाया जिसे करने में जीवन लग जाता है। ईश्वर ने इन्हें भारत माँ की सेवा करने का अभूतपूर्व अवसर प्रदान किया और इन्होंने भी अपना शौर्य सिद्ध करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी और पाकिस्तान को धूल चटा दी।
22 दिन तक लगातार तोलोलिंग की चोटी पर लड़ाई लड़ी और उस पर तिरंगा फहराने के बाद टाइगर हिल पर अपना जोहर दिखाते हुए तीन गोलियां खाई और चार पाकिस्तानियों को हलाल कर दिया। गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद हौसला नहीं खोया और दुश्मन को गंभीर चुनौती दी। यादव जी से पहले सबसे कम उम्र में परमवीर चक्र पाने वाले अरुण खेत्रपाल थे। इन्हें 1971 के भारत पाकिस्तान के युद्ध में मरणोपरांत परमवीर चक्र से नवाज़ा गया था।
योगेन्द्र सिंह यादव जी का निवास ग़ाज़ियाबाद के पास साहिबाबाद में लाजपत नगर कॉलोनी में है। आज इस रियल लाइफ हीरो को मिलकर सल्यूट किया और इनकी वीरता के लिए इनको ढ़ेरों धन्यवाद व् कृतज्ञता व्यक्त की। आप ऐसे ही देश की सेवा करते रहें। जय हिन्द। जय भारत।
प्रिय मित्रों,
सादर नमस्कार!!!
आज आपके ले कर चलते हैं मश्हूर फ़िल्म "थ्री इडियट" वाले जनाब रेंचो के स्कूल में। ये स्कूल लेह से 15 किलोमीटर दूर शेय नामक स्थान पर है।
इस स्कूल का असली नाम है Druk White Lotus School जिसे प्यार से रेंचो का स्कूल भी कहा जाता है। इस स्कूल की शुरुआत आज की पीढ़ी को स्थानीय तिब्बती बौद्ध संस्कृति से अवगत करवाने के लिए की गयी है।
हम इस स्कूल की बिल्डिंग देख कर हैरान रह गए क्योंकि ये न केवल भूकंप विरोधक् है बल्कि अपनी बिजली की पूर्ति भी सोलर पैनल्स से करती है। पूरी बिल्डिंग इको फ्रेंडली है। ये स्कूल एशिया और विश्व में कई सारे अवार्ड अपने नाम कर चुका है। यहाँ स्कूल की अपनी स्मारिका की दुकान यानि सोवेनिएर शॉप भी है जहाँ कई सारी सामग्री उपलब्ध है, आप यहाँ से यादगार के तौर पर कई वस्तुएं खरीद सकते हैं। ये पैसा स्कूल के विकास में लगाया जाता है।
पहाड़ों के बीच बना ये स्कूल वाकई अनूठा है।
मित्रों सादर नमस्कार!!!
आज एक महान क्रन्तिकारी श्याम जी कृष्ण वर्मा का जन्मदिन है। उनका जन्म आज ही के दिन 1857 में गुजरात के मांडवी में हुआ था। आज मैं आपको ले कर चलूँगा कच्छ ज़िले के माण्डवी क्षेत्र में बने "क्रांति तीर्थ" पर जहाँ स्वतन्त्रता सेनानी श्री श्याम जी कृष्ण वर्मा के जन्मस्थान पर उनका एक विशाल स्मारक बना हुआ है. इसी साल फरवरी में मुझे यहाँ नमन् करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
श्री श्याम जी कृष्ण वर्मा ने लन्दन में इण्डिया हाउस की स्थापना की जो इंग्लैण्ड जाकर पढ़ने वाले भारतीय छात्रों का मुख्य केंद्र था जहाँ वो मिल कर विचार विमर्श करते और भारत की आजादी पर परस्पर योजनाएं बनाते रहते. इस तरह से वर्मा जी स्वतंत्रता आन्दोलन के लिए निरंतर कार्य करते रहे. उनके सहयोगियों में वीर सावरकर, मदन लाल ढींगरा, भीकाजी कामा आदि क्रन्तिकारी प्रमुख रहे। श्री श्याम जी कृष्ण वर्मा का देहान्त वर्ष 1930 में जिनेवा में हुआ, पर उनकी अंतिम इच्छा थी कि उनकी अस्थियों को केवल आजाद भारत मे ही ले जाया जाए। 22 अगस्त 2003 में भारत की स्वतन्त्रता के 55 वर्ष बाद गुजरात के तत्कालीन मुख्यमन्त्री नरेन्द्र मोदी श्यामजी कृष्ण वर्मा और उनकी पत्नी भानुमती की अस्थियों को मांडवी ले कर आए और उनकी अंतिम इच्छा को पूरा किया गया. लंदन में जिस इंडिया हाउस मे वो रहा करते थे उसकी हुबहू ईमारत का निर्माण यहाँ किया गया है। कभी आप भी मांडवी जाएँ तो यहाँ शीश नवाने अवश्य जाएं। जय हिन्द जय भारत।