Tuesday 26 December 2017

शहीद उधम सिंह और लेफ्टिनेंट विजयंत थापर को उनके जन्मदिवस पर नमन

आज भारत माता के एक ऐसे महान सपूत का जन्मदिवस है जिसने अंग्रेजों से जलियांवाला बाग़ हत्या कांड का बदला लेना अपने जीवन का एक मात्र लक्ष्य बना लिया और इस कांड के रचनाकार अंग्रेज अफसर माइकल ओड वायर की हत्या कर भारत वासियों को गौरान्वित किया। भारत माता के ऐसे सिपाही का नाम था उधम सिंह।

उधम सिंह जी का जन्म 26 दिसंबर 1899 को पंजाब के संगरूर जिले में हुआ पर उनके माता पिता जी देहांत बचपन में ही हो गया था उनकी परवरिश अमृतसर के पुतलीघर में स्तिथ अनाथ आश्रम में हुई. उनकी शिक्षा दीक्षा भी यहीं हुई. जलियांवाला कांड के वो प्रत्यक्ष दर्शी बने और इसी वजह से दिन रात उनके दिलो दिमाग पर जलियांवाला बाग ही छाया रहता उन्होंने प्रण ले लिया था के किसी तरह से डायर की हत्या कर के पंजाब की और हिंदुस्तान की अस्मिता पर लगे दाग को हमेशा के लिए मिटाना है. उन्होंने इसी को अपने जीवन का मकसद बना लिया. उधम सिंह कौमी एकता के बड़े पक्षधर थे इसीलिए उन्होंने अपना नाम राम मोहम्मद सिंह आज़ाद भी रख लिया.

अमेरिका में उनका जाना हुआ तो वो ग़दर पार्टी के संपर्क में आ गए और भगत सिंह के कहने पर वहां से अपने साथ 25 क्रांतिकारियों और बहुत से हथियार ले कर के आए ताकि भारत में चल रही क्रांति को गति प्रदान की जा सके. परन्तु, किसी तरह अंग्रेजों को इसकी भनक लग गयी और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. कुछ वर्ष बाद जब जेल से छूटने के बाद 1934 में अपना लक्ष्य पूरा करने लन्दन पहुँच गए. वहां अपना मकसद पूरा करने के लिए दिन रात लगे रहते इस काम को अंजाम देने के लिए उन्होंने एक पिस्तौल खरीदी और छह कारतूस भी खरीद लिए और इस काम को अंजाम देने के लिए माकूल समय का इंतज़ार करने लगे अन्त: जलियांवाला बाग हत्याकांड के 21 साल बाद 13 मार्च 1940 को रायल सेंट्रल एशियन सोसायटी की लंदन के काक्सटन हाल में जैसे ही माइकल ओड वायर आया तो उधन सिंह जिन्होंने अपनी पिस्तौल एक मोटी किताब को फाड़ कर उसमे छुपा रखी थी, निकाल कर डायर की छाती में उतार दिया और इस तरह हजारों बेक़सूर भारतीयों की हत्या का बदला ले लिया, अंग्रेजों की धरती पर अंग्रेजी अफसर को मार कर उन्होंने सिद्ध कर दिया दी हिंदुस्तानीं क्रन्तिकारी के जज्बे में किसी प्रकार की कमी नहीं है. पूरी अंग्रेज सरकार हिल गयी. अंत: उनको 31 जुलाई 1940 को जेल में ही फाँसी पर टांग दिया गया. आज एक अन्य शूरवीर कारगिल युद्ध के नायक लेफ्टिनेंट विजयंत थापर का भी जन्मदिन है उनको भी शत शत नमन।

साभार
देशभक्ति के पावन तीर्थ
लेखक :ऋषि राज
प्रकाशक :प्रभात प्रकाशन

इन शूरवीरों के जन्मदिवस पर ऋणी राष्ट्र की और से शत शत नमन।

🇮🇳🇮🇳🌼🇮🇳🇮🇳🌸🇮🇳🇮🇳🍃🇮🇳🇮🇳

Monday 18 December 2017

काकोरी कांड के शहीदों को शत शत नमन

प्रिय मित्रों
सुप्रभात व सादर नमस्कार!!!
आज का दिन भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में महत्वपूर्ण दिन है क्योंकि आज ही के दिन यानि कि 19 दिसम्बर 1927 को काकोरी कांड के तीन मुख्य अभियुक्तों को अंग्रेजी सरकार ने बड़ी बेरहमी से फाँसी पर लटका दिया था। ये तीनों शूरवीर थे अशफाकउल्ला खां, पंडित राम प्रसाद बिस्मिल व रोशन सिंह।
ये क्रांतिकारी हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सक्रिय सदस्य थे जिन्होंने भारत माता को हर हाल में स्वाधीन करवाने की कसम खाई थी। इनके एक अन्य साथी राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी को इनसे दो दिन पहले यानी कि 17 दिसम्बर को गोण्डा जेल में फाँसी पर लटका दिया गया था।
आज ही के दिन अशफ़ाक़ को फैज़ाबाद जेल में, बिस्मिल को गोरखपुर जेल और रोशन सिंह को नैनी जेल (इलाहाबाद) में फाँसी पर लटका कर शहीद कर दिया था।
काकोरी कांड के इन नायकों को ऋणी राष्ट्र की ओर से शत शत नमन।
Google
Exploring India with Rishi

Sunday 10 December 2017

प्रथम ज्योतिर्लिंग श्री सोमनाथ जी के दर्शन

प्रिय मित्रों सादर नमस्कार !!!

वर्ष का अंतिम महीना चल रहा है, आशा है आप सभी नववर्ष के आगमन की प्रतीक्षा कर रहे होंगे. आज मैं आपको ले कर चल रहा हूँ भोले नाथ जी की प्रथम ज्योतिर्लिंग यात्रा पर, जो गुजरात के सौराष्ट्र के प्रभास क्षेत्र में स्थित है और इस ज्योतिर्लिंग का नाम है “सोमनाथ”. इस मंदिर की स्थापना चंद्रदेव ने किया था. ऋग्वेद में भी इस स्थान का उल्लेख मिलता है. सोमनाथ जाने के लिए नजदीकी स्टेशन पश्चिम रेलवे का “वेरावल” व् सोमनाथ है। सोमनाथ की अहमदबाद से दूरी लगभग 410 किलोमीटर है.  

हिन्दू पुराणों के अनुसार जिस जिस स्थान पर भोले नाथ प्रकट हुए थे वहीँ ज्योतिर्लिंगों की स्थापना हुई है. हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दाद्श ज्योतिर्लिंग अत्यंत पवित्र स्थल माने गए हैं. शिव पुराण में बारह ज्योतिर्लिंगों के नाम निम्न लिखित हैं :-

सौराष्ट्र सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम
उज्जयिनयां महाकल्मोकारे परमेश्वरम
केदारं वित्प्रष्ठे डाकिन्यां भीमशंकरम
वाराणस्यां च विश्वेसं त्रियंबकं गौतमीतेटे
वैद्यनाथं चिताभूमौ नागेशं दारुकावने
सेतुबन्धे च रामेशंवर घुश्मेशं तू शिवालये
द्वादशेतानि नामानि प्रातरूत्थाय यः पठेत
सर्वपौर्विर्निर्मुक्त सर्वसिद्धिफलं लभेत
इतिहास में कई बार यह मंदिर को कम से कम छह बार तोड़ा गया व लूटा गया. इस पर हमला करने वालों में प्रमुख नाम थे गजनी, अल्लाउदीन खिलजी, ज़फर खान, महमूद बगदा व् औरंगजेब. सरदार पटेल कहते थे किसी भी संस्कृति को नष्ट किया जा सकता है पर मिटाया नहीं जा सकता. सोमनाथ इसका जीता जागता उदहारण है. इसको जितनी बार तोडा गया उसके बाद उतना ही भव्य इसका पुनर्निर्माण हुआ. ये मंदिर केवल गुजरात ही नहीं अपितु समूचे हिन्दू समाज के गौरव की ज्वलंत मिसाल है. वर्तमान भवन के पुनर्निर्माण का आरंभ भारत की स्वतंत्रता के पश्चात् सरदार वल्लभभाई पटेल ने करवाया जिसका उद्घाटन तत्कालीन राष्ट्रपति डाक्टर राजेन्द्र प्रसाद जी ने किया उसके पश्चात् इसके नवीनीकरण का पुन: उद्घाटन पहली दिसंबर 1995 को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने किया।

यहाँ का शिवलिंग एवं मंदिर भारत के अन्य सभी ज्योतिर्लिंगों में सबसे विशाल एवं अनूठा है। अरब सागर के तट पर इस मंदिर की बनावट बहुत वृहद है और मंदिर बहुत ही विशाल एवं सुंदर दिखाई देता है। भोले नाथ की कृपा से मुझे यहाँ अब तक तीन बार जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।  मंदिर परिसर में  सभी 12 ज्योतिर्लिंगों की झांकी लगाई गई है तथा सम्पूर्ण जांकारी दी गई है जो बहुत ज्ञानवर्धक है। सभी मंदिरों की भांति यहाँ भी विशेष पूजा की व्यवस्था है परंतु एक विशेष बात यहाँ गंगाजल से जलाभिषेक करने की। अगर आप निश्चित मूल्य देकर जलाभिषेक पूजा करते हैं तो आपके द्वारा चड़ाया गया जल शिवलिंग से करीब 15 फीट पहले बने स्थान पर डाल दिया जाता है और फिर मोटर द्वारा वो जल स्वतः ही शिवलिंग तक पहुँच जाता है। ऐसा अनूठा प्रयोग मैंने सिर्फ यहीं देखा। मुख्य मंदिर के सामने ही एक पुराना मंदिर है जिसका निर्माण अहिल्या देवी ने करवाया था। कहा जाता है कि मूल पुरातन शिवलिंग इसी मंदिर में है पर एक खास बात मुझे सोमनाथ की यह लगी कि यहाँ मुझे कभी भी बहुत भीड़ नहीं मिली या शायद परिसर ही इतना बड़ा है जिसमें भीड़ समा जाती है और पता ही नहीं चलता चाहे जितनी भी भीड़ हो।
मंदिर प्रांगण में रात साढ़े सात से साढ़े आठ बजे तक एक घंटे का साउंड एंड लाइट शो चलता है, जिसमें सोमनाथ मंदिर के इतिहास का बड़ा ही सुंदर सचित्र वर्णन किया जाता है।
सोमनाथ के बिलकुल पास ही तीन नदियां हिरण, कपिला व् सरस्वती नदियाँ में मिलती हैं इसे त्रिवेणी घाट संगम भी कहा जाता है.

इससे पहले मैं आपको ले जा चुका हूँ भीमा शंकर ज्योतिर्लिंग की यात्रा पर, आशा करता हूँ जल्द ही आपको बाकी दस ज्योतिर्लिंगों की यात्रा पर भी जल्द ही ले कर चलूंगा. तब तक हर हर महादेव.  



श्री सोमनाथ मंदिर 

सोमनाथ मंदिर वर्ष 1895 फोटो श्री नेल्सन/ब्रिटिश लाइब्रेरी 

फोटो गूगल 








अहिल्याबाई द्वारा स्थापित मंदिर