प्रिय मित्रों,
सादर नमस्कार!!
सबसे पहले नवरात्रि, गुडी पडवा और हिन्दू नववर्ष की हार्दिक
शुभकामनाएँ!!
आज से ही चैत्रीय नवरात्रों का शुभ आरम्भ होता
है इस पवित्र पावन दिवस पर आज आपको मैं ले कर चल रहा हूँ माता वैष्णो देवी की
यात्रा पर. माँ वैष्णों जम्मू कश्मीर राज्य में रियासी जिले के कटड़ा के समीप “त्रिकुटा”
नाम की तीन पहाड़ियों के मध्य एक प्राकृतिक गुफा के अन्दर न जाने कितनी सदियों से
विराजमान हैं. हिन्दू शास्त्रों में वैष्णों माता को ही जगत जननी की रूप में जाना
जाता है सम्पूर्ण सृष्टि की पालक माँ के दर्शन पाना सौभाग्य से ही प्राप्त होते
हैं. कहा जाता है की माँ की इच्छा के बिना कोई वहां जा नहीं सकता और चला भी जाये
तो माँ के दर्शन पा नहीं सकता.
असल में माता वैष्णो देवी इन तीन देवियों का
स्वरुप है:- माता सरस्वती, माँ काली और महालक्ष्मी इन तीन
महाशक्तियों के संगम को ही माता वैष्णों देवी के नाम से जाना जाता है, और ये तीनों
महाशक्तियां पिंडियों के रूप में यहाँ विराजमान हैं. ये तीनों पिंडियाँ असल में
तीन छोटी चट्टानें हैं जो पास पास स्थापित तो हैं पर रंग रूप में बिलकुल अलग हैं.
ऐसी ही माँ दुर्गा की लीला. तीनों पिंडियों की असल लम्बाई करीब पञ्च फुट की है पूजन
की सुविधा हेतु इन पिंडियों का ऊपर का केवल कुछ भाग ही दर्शनों के लिए उपलब्ध होता
है.
माता वैष्णों देवी यात्रा के लिए आप रेल द्वारा
कटड़ा तक आ सकते हैं जहाँ से आप पैदल, खच्चर द्वारा और हेलीकाप्टर मार्ग से गुफा तक
पहुँच सकते हैं. कटड़ा से भवन (गुफा) की दूरी लगभग 14 किलोमीटर है. पैदल जाने वालों के लिए आध्कवारी से दो रास्ते उपलब्ध हैं एक
हाथी मत्था होते हुए और दूसरा नया रास्ता है जो थोडा सुगम है और यहाँ से कई बार
बैटरी टेम्पो भी मिल जाता है. अभी एक नया रास्ता और तैयार हो गया है जो शीघ्र ही
खुलने वाला है. पैदल जाने वाले यात्रिओं के लिए कदम कदम पर पीने के पानी की सुविधा
और शौचालय की सुविधा उपलब्ध है. इसके अलावा जगह जगह श्राइन बोर्ड की छोटी दुकानें
हैं जहाँ सस्ते दामों पर चाय पानी और खाना हर समय उपलब्ध रहता है. यात्रा में
सामान उठाने के लिए पिट्ठू भी उपलब्ध हैं इसके अलावा बुजुर्गों के लिए पालकी की
सुविधा भी उपलब्ध रहती है. माता के दर्शनों के लिए श्रद्धालु अपनी सुविधा अनुसार चौबीसों
घंटे यात्रा करते रहते हैं चाहे मौसम कैसा भी हो . अब तो इतनी सुविधा हो गयी है के
कोई समस्या आती ही नहीं. रास्ते में कई
जगह ढोल वाले भी मिलते हैं जहाँ नाचते गाते माता की भेंटे गाते यात्री माता के
दरबार की ओर चलते रहते हैं. क्या बच्चे क्या जवान और क्या बुजुर्ग !!! सभी में
भक्ति का ऐसा जोश होता है की यात्रा की दूरी और होने वाली थकान का पता ही नहीं
चलता.
हिन्दू तीर्थयात्री सदियों से ही माता के दरबार
बार नमन करते आये हैं. आजादी से पूर्व एक नैरो गेज की गाडी सियालकोट से चल कर
जम्मू आती थी और वहां से यात्री सड़क मार्ग से कटड़ा पहुंचते थे. आजादी के बाद रेल
गाडी बंद कर दी गयी. उसके बाद देश के अन्य भागों से रेलगाड़ीयां पठानकोट तक आने लगी और वहीँ से यात्री बसों में
बैठ कर कटड़ा तक आने लगे पठानकोट के लिए रेल सेवा वर्ष 1884 से ही उपलब्ध थी और फिर वर्ष 1971 में जम्मू को पठानकोट से जोड़ दिया गया और फिर
दिल्ली और देश के अन्य भागों से यात्रा करना थोडा आसान हो गया. वर्ष 2014 में तो क्रांति आ गयी जब रेल गाडीयां माता के
चरणों, यानी की कटड़ा तक आने लगी अब तो वैष्णो देवी आना अत्यंत सुगम हो गया है. आज
इस स्टेशन को “श्री माता वैष्णों देवी कटड़ा” के नाम से जाना जाता है. ये कहना गलत
नहीं होगा की ये देश का सबसे साफ़ सुथरा और आधुनिक रेलवे स्टेशन है जहाँ यात्रिओं
की सुविधा का पूरा ख्याल रखा गया है. प्लेटफार्म से ही यात्रा मार्ग की बत्तियां
दिखाई देने लगती हैं और श्रधालु वहीँ से माता के जयकारे लगाने शुरू कर देते हैं
माता के भक्तों को हर समय इसी घडी का इंतज़ार रहता है की कब हम कटड़ा जायेंगे और
माता रानी के दर्शनों का लाभ लेंगे.
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श्री माता वैष्णों देवी कटड़ा रेलवे स्टेशन |
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माँ वैष्णों देवी पिंडियों के रूप में गुफा में विराजमान |
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पैदल रास्ता |
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कालका भवन |
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चरण पादुका दर्शन |
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रात्रि में भवन का नज़ारा |
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दिन में भवन का नज़ारा |
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ढोल की थाप पर थिरकते भक्त |
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साफ़ सुथरा कटड़ा स्टेशन का प्लेटफार्म |
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दर्शनी दरवाज़ा यहीं से पैदल यात्रा शुरू होती है |
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नया रूट जो बन कर तैयार है |
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बर्फ़बारी के बाद यात्रा रूट का दृश्य |
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बर्फ़बारी के बाद का मनमोहक नज़ारा |
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रास्ते में मनमोहक वादियाँ |
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हेलिपैड सांझीछत |
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कटड़ा प्लेटफार्म से दिखती यात्रा रूट की बत्तियां |
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सांझी छत हेलिपैड पर उतरते यात्री |
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कटड़ा बस स्टैंड |
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मेरी पहली वैष्णो देवी यात्रा अपनी माता जी की गोद में फरवरी 1976 |
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मंदिर भैरों बाबा का |
वैसे तो माता की मुख्य गुफा 24 घंटे ही भक्तों की लिए खुली रहती है और बारह मास
तीर्थ यात्रिओं का ताँता यहाँ लगा ही रहता है तिरुपति बाला जी के मंदिर के बाद देश
में सबसे ज्यादा श्रद्धालु यहीं आते हैं. पर गर्मियों की छुट्टियों में अत्यधिक
भीड़ रहती है. इसी भीड़ से निबटने के लिए श्री माता वैष्णो देवी श्रइन बोर्ड समय समय
पर इंतज़ाम करता ही रहता है उनमें सबसे अहम् है प्राकृतिक गुफा के अलावा अन्य दो
मानव निर्मित गुफाओं का निर्माण, वर्ष के लगभग 11 महीने इन गुफाओं का इस्तेमाल यात्रिओं को तीव्रता से दर्शन करवाने के लिए
होता है ताकि भीड़ ज्यादा न हो पर जनवरी मध्य से ले कर फरवरी मास के मध्य तक प्राकृतिक
गुफा को यात्रिओं के लिए खोला जाता है क्यूंकि इस दौरान यहाँ भारी बर्फ बारी होती
है जिससे यात्रिओं की संख्या अपने निम्नतम स्तर पर होती है. किस्मत वालों को ही इस
गुफा से दर्शनों का सौभग्य प्राप्त हुआ है. माता के दर्शनों के बाद भैरों बाबा के दर्शन
करने की मान्यता है. जल्द ही भवन से भैरों घाटी को रोप वे से जोड़ दिया जायेगा अभी
ये दूरी 3 किलोमीटर की है और चढाई
भी खड़ी है.
कटड़ा में श्री माता वैष्णों देवी श्राइन बोर्ड
ने यात्रिओं की लिए रहने व् खाने की बेहतरीन व्यवस्था कर रखी है इन सभी सुविधाओं
की जानकारी व् भवन पर रहने के लिए डारमेट्री और कमरे बुक करवाने और हेलिकॉप्टर की
बुकिंग के लिए आप श्राइन बोर्ड की वेब
साईट www.maavaishnodevi.org पर जा सकते हैं. एक बात
का ख्याल अवश्य रखें की यात्रा शुरू करने से पहले आपको अपना पंजीकरण करवाना आवश्यक
है यात्रा पर्ची भी लेनी है जो कटड़ा बस स्टैंड के पास और कटड़ा रेलवे स्टेशन के
अन्दर बने काउंटर पर मिल जाती है.
वैष्णो देवी के अलावा तीन देवियों की अपनी अपनी
महा शक्ति पीठें भी हैं जहाँ हिन्दू श्रद्धालु भारी संख्या में जाते हैं :-
१. महाकाली : काली घाट मंदिर, कोलकाता
२. महा सरस्वती : मैयर माता, मैयर, रीवा, मध्य प्रदेश
३. महा लक्ष्मी : श्री महालक्ष्मी मंदिर, कोल्हापुर,
महाराष्ट्र
जल्द ही आपको इन तीनों महा शक्तिपीठों के भी दर्शन करवाने ले चलूँगा.
इन नवरात्रों में माँ
आपको अपनी भक्ति से नवाज़े ऐसी मेरी कामना है. जय माता दी.
Jai Mata di
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