Sunday 30 December 2018

दर्शन धनुषकोटि के, यहाँ से रामेश्वरम के लिए पुनः चलेगी रेल गाड़ी


प्रिय मित्रों

सादर नमस्कार

बीते सप्ताह रेल मंत्रालय ने एक अत्यंत महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, पता नहीं आपने ध्यान दिया है या नहीं, वो निर्णय है रामेश्वरम तक जाने वाली गाड़ी को धनुषकोटि तक पुनः स्थापित करने का। अब ये महत्वपूर्ण इस लिए है क्यूंकी  “धनुषकोटि” जो की सुदूर दक्षिण में स्थित है, ये वही स्थान है जहां से राम सेतु की शुरुआत होती है। आज मैं आपको ब्लॉग के माध्यम से धनुषकोटि के बारे में विस्तार से जानकारी दूंगा।  वर्ष 2010 में मुझे रामेश्वरम् जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, इसी यात्रा के दौरान मैं धनुषकोटि तक गया।

जो की रामेश्वरम् से 19 कि.मी. की दूरी पर है । 1964 में आए समुद्री तूफान ने यहाँ के भूगोल को सदा सदा के लिए बदलकर रख दिया। इस तूफान में धनुषकोटि स्टेशन पूरी तरह बरबाद हो गया था और पटरियाँ तक उखड़ गई थीं। आज भी उखड़ी हुई पटरियाँ रामेश्वरम् और धनुषकोटि के बीच में पड़ी हुई  देखी जा सकती हैं। यहाँ मैं बताना चाहूँगा कि 1964 तक गाड़ी मद्रास एग्मोर (अब चेन्नई एग्मोर) से धनुषकोटि तक जाती थी। ऐतिहासिक पंबम पुल रामेश्वरम् को मुख्य भारत से जोड़ता है । पंबम पुल देश का एकमात्र ऐसा पुल है, जो समुद्र से गुजरनेवाले बड़े जहाजों को रास्ता देने के लिए खुल जाता है। इसका निर्माण 1914 में हुआ था। 1964 के तूफान ने इसको भी बुरी तरह से हिला दिया था, परंतु भारतीय रेल की इंजीनियरिंग टीम (जिसका नेतृत्व डॉ. श्रीधरन कर रहे थे) ने 45 दिनों के रिकॉर्ड समय में ही पुल को ठीक कर दिया था। 

सन् 1964 के तूफान ने हज़ारों जानें ले ली थीं। एक पूरी की पूरी यात्री गाड़ी जो मद्रास से धनुषकोटि जा रही थी जिसमें 100 के लगभग यात्री थे, समुद्र में जा
डूबी आर सभी यात्री मारे गए। धनुषकोटि में आज सिर्फ कुछ मछुआरे परिवार ही रहते हैं। एक मंदिर जो आज जमीन में धंसा हुआ है और टूटा-फूटा रेलवे रोड तथा प्लेटफार्म आज भी यहाँ मौजूद हैं। 1964 तक लोग यहाँ तक रेलगाड़ी में आकर नावों द्वारा श्रीलंका के तल्लईमन्नार चले जाते , जो कि यहाँ से केवल 30 कि.मी. की दूरी पर है। 1964 के बाद से यह सब रुक गया। इस स्थान को अरब सागर और बंगाल की खाड़ी का संगमस्थल भी कहा जाता है। यहाँ तक पहुँचने के लिए रामेश्वरम् से जीप लेनी पड़ती है, क्योंकि जमीन दलदली होने के कारण आम वाहन नहीं जा सकता।

 हिंदू शास्त्रों के अनुसार यही वह स्थान है, जहाँ से रामसेतु शुरू होता है, जिसका वर्णन पवित्र ग्रंथ 'रामायणमें भी है। इस सेतु का निर्माण श्रीरामजी ने लंका जाने के लिए किया था। रामसेतु होने के कई प्रमाण हमारे वैज्ञानिकों को भी मिले हैं । इतनी ऐतिहासिक जगह पर आने के लिए मैंने ईश्वर को धन्यवाद दिया। पिछली केंद्रीय सरकार इस रामसेतु से नया रास्ता निकालना चाहती थी, पर अब मोदी सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि रामसेतु एक राष्ट्रीय धरोहर है। और इससे किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं की जाएगी, अपितु जहाजों के लिए वैकल्पिक रूट खोजा जाएगा। जनवरी का महीना होने के बावजूद यहाँ गरमी महसूस हो रही थी। मैंने एक बुढ़िया का चित्र लिया जो वहाँ पानी बेच रही थी ।

मैंने अपने जेहन में जब रामायण काल के समय की काल्पनिक तसवीर बनाई तो एक अद्भुत अनुभूति हुई और गौरव महसूस हुआ कि हम वहाँ खड़े थे जहाँ कभी श्रीराम खड़े हुए थे। मुझे ये सुन कर अत्यंत हर्ष हुआ की रेल मंत्रालय धनुषकोटि तक पुनः गाड़ी ले कर जा रही है, चलो किसी ने तो इस ऐतिहासिक स्थल की सुध ली । ये कोई साधारण कार्य नहीं है अपितु हमारी गरिमा व आस्था से जुड़ा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है जो शीघ्र पूरा हो जाएगा। अब अगर सरकार यहाँ से श्रीलंका के तल्लईमन्नार के लिए जल मार्ग भी शीघ्र खोल दे तो कम से कम जो हिन्दू श्रद्धालु श्रीलंका में रामायण से जुड़े जो स्थान हैं उनके भी सुगमता व कम पैसों में दर्शन कर पाएंगे।