प्रिय
मित्रों
Photo Courtesy Ministry of Tourism |
सादर
नमस्कार !!!
बुद्ध पूर्णिमा के पवित्र अवसर पर आप सभी को हार्दिक
शुभकामनाएँ. आज का दिन राजकुमार सिदार्थ के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है. आज
इस पावन दिन पर मैं आपको विश्व भर में भगवान् बुद्ध के सबसे पवित्र स्थान यानी कि
“महाबोधि मंदिर” मैं ले कर चल रहा हूँ. इसी स्थान पर राजकुमार सिदार्थ को ज्ञान की
प्राप्ति हुई थी और वे सिदार्थ से दार्शनिक, चिन्तक, समाज सुधारक और धर्म गुरु महात्मा
बुद्ध के रूप में परिवर्तित हुए थे.
महात्मा बुद्ध ने अपनी शिक्षाओं से मानव जाति
का बहुत कल्याण किया है. शांति का पाठ पढ़ाती उनकी शिक्षाएं आज के युग में भी उतनी
ही प्रासंगिक हैं जितनी उस समय थीं. उनका एक वचन मैं अक्सर याद करता हूँ:- “हम जो सोचते हैं, वो बन जाते हैं” ये वाक्य बडा नहीं है, पर अत्यंत गूढ़ है. हिन्दू मान्यताओं
के अनुसार बुद्ध को विष्णु जी का 9वां अवतार माना गया है. बोद्ध गया बिहार के गया
जिले में स्थित है. गया स्टेशन से इसकी दूरी मात्र 14 किलोमीटर की है.
कपिलवस्तु
के राजा शुद्धोधन और रानी महामाया के पुत्र राजकुमार सिदार्थ ने 29 वर्ष की आयु
में अपने गृहस्थ जीवन और राजसी ठाठ बाठ को सदैव के लिए त्याग दिया और सत्य की खोज
में निकल पड़े. 6ठी शताब्दी (इ.प) में बोधि वृक्ष के नीचे बैसाख मास की पूर्णिमा
वाले दिन उनको ज्ञान की प्राप्ति हुई. ये बोधि वृक्ष आज भी यहाँ महात्मा बुद्ध की
याद दिलवाता है. कहा जाता है की ये मौजूदा वृक्ष की 5वीं पीढ़ी है. 7 वीं शताब्दी
(इ.प) में गुप्त वंश के राजाओं ने यहाँ एक विशाल मंदिर का निर्माण करवाया जिसका
नाम रखा गया महाबोधि मंदिर. उसके बाद 1883 में अंग्रेजों ने और फिर वर्ष 1956 में
भारत सरकार ने इस मंदिर का जीर्णोद्वार करवाया. वर्ष 2002 में UNESCO ने इसको
विश्व विरासत यानि की वर्ल्ड हेरिटेज का ख़िताब दिया.
मंदिर
के अन्दर बुद्ध की काले पत्थर से बनी एक विशाल प्रतिमा है जिसको सुनहेरी रंग से
सुशोभित किया गया है. यहाँ बुद्ध पद्मासन की मुद्रा में बैठे दिखाई देते हैं. एक
बार कोई इस तरफ देखे तो नज़र हटाना मुश्किल हो जाता है, ऐसा लगता है, बुद्ध मानो
स्वयं भक्तों को शांति और ज्ञान के पाठ से कृतज्ञ कर रहे हैं. कहा जाता है के इस
मूर्ति की स्थापना बंगाल के पाल वंश के राजाओं ने करवाई थी. मंदिर प्रांगण में वो
सभी स्थानों को चिन्हित किया गया है जहाँ बुद्ध ने वास किया था. परिक्रमा स्थल पर
भी महात्मा बुद्ध के कई सारे चिन्ह दिखाई पड़ते हैं. हम सभी भाग्यशाली हैं के महात्मा
बुद्ध से जुड़े आठ सबसे पवित्र स्थलों में से सात हमारे देश की पुण्य भूमि पर हैं. महाबोधि
मंदिर में विश्व भर श्रधालु आते हैं. ये स्थान ऐसे विदेशी मेहमानों से भरा रहता है,
यहाँ आने वालों में सबसे ज्यादा बौध अनुयायी कम्बोडिया, थाईलैंड, मयन्मार, भूटान,
श्रीलंका और जापान से आते हैं.
आज
यानि 10 मई वर्ष 1857 को आजादी की लड़ाई की एक महत्वपूर्ण शुरुआत हुई थी, क्रांति
की लौ ज्वाला का रूप ले रही थी, मेरठ से क्रन्तिकारियों ने दिल्ली चलो का नारा
दिया था. आज हमारे देश के एक जिन्दा शहीद परमवीर चक्र से सम्मानित और कारगिल युद्ध
के एक महावीर योद्धा सूबेदार योगेंदर सिंह यादव का जन्मदिन है आज वो 36 वर्ष के हो
गए हैं. ईश्वर उनको लम्बी आयु दें. उनके देशभक्ति के ज़ज्बे को हमारा सलाम.
इसी
के साथ आज के ब्लॉग को यहीं विराम देता हूँ. ब्लॉग पढने के लिए आप का बहुत बहुत
धन्यवाद. जय हिन्द जय भारत.
Jai jai
ReplyDeleteJai jai
ReplyDeleteBudh purnima ki shubhkamnayen.Txs for d informative blog.
ReplyDeleteनयनतारा जी आपका धन्यवाद
Deleteभगवान बुद्ध के श्री चरणों में नमन, भगवन सबका कल्याण करें।
ReplyDeleteहमेशा की तरह ज्ञानोपयोगी पोस्ट। बोधगया जी के जीवन्त दर्शन कराने हेतु आपको साधुवाद।
सर कृपया भगवान बुद्ध से जुड़े उन 7 पवित्र स्थलों का भी संक्षेप में वर्णन करें, जिनके बारे में आपने उपरोक्त पोस्ट में उल्लेख किया है।
सर, "धर्म गुरु महात्मा बुद्ध" शब्द पर मैं अपनी विनम्र आपत्ति दर्ज कराना चाहता हूँ। क्या उन्हें धर्म गुरु शब्द से नवाजा जाना उचित है??
जो धर्म की राह दिखाए वो धर्म गुरु आप आज के परिपेक्ष्य में धर्म गुरु शब्द का अर्थ न निकालें। बाकी सात भी मैं बारी बारी से आपके साथ सांझा करूँगा।
DeleteExtremely well articulated.
DeleteExtremely well articulated.
Deleteधन्यवाद सलोनी जी
DeleteExcellent articulation of subject.peace at your forhead and writing skills shows reflection of divine energy of buddha
ReplyDeleteमिनाक्षी जी आपका धन्यवाद
DeleteLord Buddha’s teachings have spread out across the world from the Indian subcontinent , attracting lakhs of devotees to the places of his sermons. Know more about Buddhist Circuit Tour by Helicopter.
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