Wednesday 30 November 2016
कहानी 20 के नोट पर छपी फ़ोटो की
Saturday 26 November 2016
मैग्नेटिक हिल, लेह
सादर नमस्कार
आपको याद होगा मैंने 29 मई 2016 को कच्छ के काला डूंगर क्षेत्र में बने मैग्नेटिक फील्ड के बारे में बताया था जहाँ गाडी को न्यूट्रल कर के छोड़ दो तो स्वयं चलने लगती है।
इस ब्लॉग में मैंने आपको लेह में बने मैग्नेटिक हिल के बारे में भी बताया था, यानि के भारत में दो ऐसी जगहें हैं जहाँ गाडी मैग्नेटिक फील्ड की वजह से खुद ब खुद चलने लगती है। आज आपके साथ लेह के मैग्नेटिक हिल का फ़ोटो शेयर कर रहा हूँ।
काला डूंगर वाला ब्लॉग देखने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें।
Exploringindiawithrishi.bl
Thursday 24 November 2016
मेरी जल्द ही आने वाली पुस्तक "देशभक्ति के पावन तीर्थ"
सादर नमस्कार
जल्द ही मेरी अगली पुस्तक आ रही है "देशभक्ति के पावन तीर्थ". ये पुस्तक एक प्रयास है आज की युवा पीढ़ी को हमारे शहीदों के बलिदान और भारत में उनसे जुड़े स्थानों से परिचय करवाने का. इसकी भूमिका को लिखा है कारगिल युद्ध के नायक और परमवीर चक्र से सम्मानित सूबेदार योगेंदर सिंह यादव ने. अगले अपडेट तक जय हिन्द जय भारत.
Thursday 17 November 2016
18 नवम्बर 1962 की भारत चीन युद्ध की वो रात और मेजर शैतान सिंह और साथियों की शहादत
रेजांगला युद्ध स्मारक |
114 शहीदों की याद में युद्ध स्थल से लाए गए 114 पत्थर |
चुशूल में ही बना गोरखा रेजिमेंट का स्मारक |
एक तरफ चीन तो एक तरफ भारत |
Sunday 13 November 2016
गुरु नानक देव जी के प्रकाश उत्सव पर गुरुद्वारा कोट लखपत, कच्छ के दर्शन
प्रिय मित्रों
सादर नमस्कार!!!
आज गुरु नानक देव जी के प्रकाश उत्सव पर आपको उनसे जुड़े एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान पर ले कर चलता हूँ, और ये है, गुजरात के सर क्रीक के पास बना कोट लखपत क्षेत्र। एक ज़माने में यहाँ एक बहुत बड़ा बंदरगाह था जहाँ से कई देशों के लिए माल और जहाज़ जाते थे। 1819 तक सिंधु नदी इसी किले के मुहाने तक आती थी। 1819 तक खुशहाल इस क्षेत्र को प्राकृतिक आपदा ने वीरान कर दिया और सिंधु नदी को भी चालीस मील दूर धकेल दिया। पाकिस्तानी क्षेत्र का कराची प्रान्त यहाँ से चंद किलोमीटर बाद ही शुरू हो जाता है। अत्यन्त साधारण दिखाई देने वाले इस गुरूद्वारे के कण कण में आप गुरु नानक देव जी की पवित्र उपस्थिति को महसूस कर सकते हैं। उनके द्वारा यहाँ की दीवारों पर लिखे गए उपदेश आज भी सहेज कर रखे गए हैं जो आसानी से देखे जा सकते हैं।
गुरु नानक देव जी मक्का जाते हुए चालीस दिनों तक इसी गुरूद्वारे में रुके थे। इसके बाद एक बार पुनः वो यहाँ पधारे थे। गुरुद्वारा नानक दरबार में आज भी गुरु नानक जी के खड़ाऊ, सोटा और झूला रखा हुआ है। हिन्दू ही नहीं अपितु मुस्लमान भी उनको अपना गुरु मानते थे। हम सब अत्यन्त सौभाग्यशाली हैं, जिन्हें गुरु नानक देव जी जैसे संतों का ओजस्वी मार्गदर्शन मिला है।
उनके प्रकाश उत्सव पर उनको ह्रदय की गहराईयों से नमन और आप सभी को लख लख बधाइयाँ।