Friday 16 November 2018

अमर शहीद करतार सिंह सराभा

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आज के दिन हम स्मरण करते हैं, एक ऐसे क्रांतिकारी का जिसने 17 वर्ष की अल्पायु में गदर पार्टी की सदस्यता ग्रहण कि और आज ही के दिन यानि कि 16 नवम्बर 1915 को मात्र 19 वर्ष कि आयु में फाँसी के फंदे को सिर्फ इसीलिए चूम लिया ताकि सभी भारतवासी आज़ादी की फ़िज़ां में सांस ले सकें।
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शहीद ए आज़म भगत सिंह भी उनकी देशभक्ति से अत्यंत प्रभावित रहते थे, सराभा जी की तस्वीर वो सदा अपने सीने से लगा कर रखते थे और उनको अपना आदर्श मानते थे। आज उनकी शहादत को 103 वर्ष पूरे हो गए। तो आइए भारत माता के इस शेर को नमन करें व आज की पीढ़ी को इस महान क्रांतिकारी के प्रखर जीवन से रूबरू करवाएं।


*अमर शहीद करतार सिंह सराभा को ऋणी राष्ट्र कि ओर से शत शत नमन।*
जय हिंद।
ऋषि राज
देशभक्ति के पावन तीर्थ
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Wednesday 7 November 2018

गुरुद्वारा “दाता बंदी छोड़ साहिब”: बंदी छोड़ दिवस

कल दीपावली पर आपने गुरुद्वारों में एक विशेष चहल पहल और रोशनी की व्यवस्था को अवश्य देखा होगा। आज मैं आपको मध्य प्रदेश के ग्वालियर में स्थित गुरुद्वारा “दाता बंदी छोड़ साहिब” ले कर चल रहा हूँ, जिसका नाता दिवाली के पर्व से जुड़ा हुआ है। मुझे यहाँ वर्ष 2016 में शीश नवाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

सिख धर्म के अनुयायी दीपावली के पर्व को “बंदी छोड़ दिवस” के रूप में भी मनाते हैं। अब क्यूँ मनाते हैं इसके पीछे एक रोचक कहानी जो आज मैं आपको बताने वाला हूँ।

Image may contain: sky and outdoorवर्ष 1609 में, सिखों के बढ़ते प्रभाव से चिंतित मुग़ल बादशाह जहाँगीर ने, सिखों के छठे गुरु श्री हरगोबिन्द साहिब जी को बंदी बना कर ग्वालियर के क़िले में कैद कर लिया, जहां पहले से ही 52 हिन्दू राजा कैद थे। संयोग से गुरु जी को कैद में डालने के बाद जहाँगीर की तबीयत खराब रहने लगी, संत साईं मियाँ मीर ने जहाँगीर को मशवरा दिया की अगर वो जल्द स्वस्थ होना चाहता है तो तुरंत गुरु को कैद से रिहा कर दे, जिसे जहाँगीर ने मान लिया। जब ये बात किले में कैद 52 हिन्दू राजाओं को पता चली तो उन्होने गुरु के आगे उनको भी रिहा करवाने की प्रार्थना की। गुरु हरगोबिन्द साहिब ने जहाँगीर के आगे शर्त रख दी की वो कैद से रिहा होना तभी स्वीकार करेंगे जब उनके साथ बाकी सभी 52 राजाओं को रिहा किया जाएगा।
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जहाँगीर ने गुरु कि बात सशर्त मान ली, और कहा कि कैद से गुरु जी के साथ केवल वही राजा बाहर जा सकेंगे जो सीधे गुरु जी का कोई अंग या कपड़ा पकड़े हुए होंगे। जहाँगीर ने बड़ी चालाकी से ये शर्त गुरु जी को बता दी वो सोच रहा था इस युक्ति से केवल दो या तीन राजा ही कैद से रिहा हो पाएंगे और उसे ज्यादा फ़र्क नहीं पड़ेगा।



गुरु हरगोबिन्द साहिब ने अपने लिए एक विशेष कुर्ता सिलवाया जिसे पकड़ कर सभी 52 राजा कैद से रिहा हो गए और जहाँगीर देखता ही रह गया, और इस प्रकार से जब गुरु हरगोबिन्द साहिब जी जब अमृतसर पहुंचे तो उस दिन वहाँ खूब रोशनी कि गयी और उस दिन से दिवाली कि रात को बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया। तभी से इस प्रथा कि शुरुआत हुई।

Saturday 3 November 2018

परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा

https://youtu.be/2nWbEbrovQo

Image may contain: 1 person, smilingआज भारत के प्रथम सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा के बलिदान दिवस पर सभी भारतवासी उन्हें नमन करते हैं।
उनकी वीरता, शौर्य व पराक्रम से भारतीय सैनिक व देश के नागरिक हमेशा प्रेरणा प्राप्त करते रहेंगे।

बलिदान के 71 वर्षो के बाद भी मेजर सोमनाथ शर्मा देश के स्वर्णिम इतिहास में सूर्य की किरणें कि भांति प्रकाशवान हैं।
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जब 27 अक्तूबर 1947 को हमारी भारतीय सेना कि पैदल सेना श्रीनगर मे पाकिस्तानी सेना से लडने के लिए गई तब मेजर सोमनाथ शर्मा हाथ के फ्रेचर के कारण हास्पिटल मे एडमिट थे।लेकिन भारत माता के इस लालअ के पास द्वितीय विश्वयुद्ध के लडने का अनुभव होने के साथ साथ युनिट के प्रति लगाव था उन्होंने हास्पिटल से डिसचार्ज लिया और अपने युनिट के सैनिकों के साथ पुनः एक बार फिर दुश्मनों को पराक्रम दिखाने और दुश्मनों के लहू से अपनी भारत माँ को तिलक लगाने श्रीनगर पहुंच गए।

Image may contain: outdoor*3 नवम्बर 1947 को कश्मीर के बडगाम इलाके में भारत माता की सेवा करते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए। आज बडगाम में श्रीनगर एयरपोर्ट के बाहर मेजर सोमनाथ शर्मा का स्मारक बना है। हाल ही मैं मुझे वहां नमन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ*।
ऋणी राष्ट्र कि ओर से उनको शत शत नमन।
जय हिंद जय भारत।
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