https://youtu.be/2nWbEbrovQo
आज भारत के प्रथम सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा के बलिदान दिवस पर सभी भारतवासी उन्हें नमन करते हैं।
उनकी वीरता, शौर्य व पराक्रम से भारतीय सैनिक व देश के नागरिक हमेशा प्रेरणा प्राप्त करते रहेंगे।
बलिदान के 71 वर्षो के बाद भी मेजर सोमनाथ शर्मा देश के स्वर्णिम इतिहास में सूर्य की किरणें कि भांति प्रकाशवान हैं।
जब 27 अक्तूबर 1947 को हमारी भारतीय सेना कि पैदल सेना श्रीनगर मे पाकिस्तानी सेना से लडने के लिए गई तब मेजर सोमनाथ शर्मा हाथ के फ्रेचर के कारण हास्पिटल मे एडमिट थे।लेकिन भारत माता के इस लालअ के पास द्वितीय विश्वयुद्ध के लडने का अनुभव होने के साथ साथ युनिट के प्रति लगाव था उन्होंने हास्पिटल से डिसचार्ज लिया और अपने युनिट के सैनिकों के साथ पुनः एक बार फिर दुश्मनों को पराक्रम दिखाने और दुश्मनों के लहू से अपनी भारत माँ को तिलक लगाने श्रीनगर पहुंच गए।
*3 नवम्बर 1947 को कश्मीर के बडगाम इलाके में भारत माता की सेवा करते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए। आज बडगाम में श्रीनगर एयरपोर्ट के बाहर मेजर सोमनाथ शर्मा का स्मारक बना है। हाल ही मैं मुझे वहां नमन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ*।
ऋणी राष्ट्र कि ओर से उनको शत शत नमन।
जय हिंद जय भारत।
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