प्रिय मित्रों,
सादर नमस्कार !!
सबसे पहले बुद्ध पूर्णिमा के पावन अवसर पर आप
सभी को हार्दिक शुभकामनाएं!! बुद्ध पूर्णिमा बैसाख के पूर्णिमा पर आती है, ऐसा मत
है की आज ही के गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था, उनको ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और आज
ही के दिन उन्हें महानिर्वाण भी प्राप्त हुआ था. महात्मा बुद्ध के अनुयायिओं के
लिए ये दिन अत्यंत पवित्र है. हिन्दू चूँकि बुद्ध को विष्णु का अवतार मानते हैं
इसीलिए हिन्दुओं के लिए भी ये दिन अत्यंत पुनीत है. विश्व के अनेक देश जो बुद्ध के
अनुयायी हैं वहां भी इस पर्व को हर्षो उल्लास के साथ मनाया जाता है. अपने ब्लॉग के
माध्यम से आपको मैं बोध गया के दर्शन करवा चूका हूँ, आज मैं आपको बुद्ध पूर्णिमा
के अवसर पर एक ऐसे स्थान के दर्शन करवा रहा हूँ जहाँ बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के
बाद अपना पहले उपदेश दिया था. जी हाँ, ये स्थान है सारनाथ.
सारनाथ, वाराणसी से लगभग 10 किलोमीटर पूर्व दिशा
कि ओर स्थित है. ये स्थान बौध धर्म को मानने वालों के लिए महातीर्थ से कम नहीं है.
सारनाथ में शिव जी का सारंगनाथ नामक मंदिर है, और ऐसा माना जाता है की सारनाथ का नाम इसी मंदिर के नाम पर
रखा गया है. यहाँ देखने वाले सबसे महत्वपूर्ण स्थान हैं:- धम्मेक स्तूप, मुलगंध
कुटी विहार मंदिर, अशोक स्तम्भ, चौखंडी स्तूप व् राजकीय म्यूजियम.
अशोक स्तम्भ के महत्व के बारे में तो आप सभी
भली भांति परिचित हैं. मुलगंध कुटी विहार मंदिर में बुद्ध की प्रतिमा अत्यंत
दर्शनीय है मंदिर प्रांगण में बौध धर्म से जुडी अनेक महत्वपूर्ण जानकारियां मिलती
हैं.
वाराणसी देश के सभी प्रमुख हिस्सों से रेल व्
वायु मार्ग से जुड़ा हुआ है. महात्मा बुद्ध ने समाज को बहुत कुछ दिया उनकी हर शिक्षा
जीवन में बदलाव ला सकती है. एक नए विषय को ले कर जल्द ही आपके समक्ष ले कर आऊंगा .
जय हिन्द.
aise gyanwardhak blogs likhne ke liye apka bahut bahut dhanywaad
ReplyDeleteनमन
ReplyDelete