Tuesday 28 June 2016

जबलपुर का भेडा घाट और नर्मदा नदी

प्रिय मित्रों

सादर नमस्कार !!

आज मैं पुन: उपस्थित हूँ, आपको भारत की एक नई जगह की सैर करवाने के लिए. आज आपको ले कर चलता हूँ,जबलपुर, मध्य प्रदेश से 19 किलोमीटर दूर “भेडा घाट”. ऋषि भृगु की तपस्थली कहलाने वाला भेडा घाट नर्मदा नदी के अलौकिक सौन्दर्य के लिए विख्यात है. कुछ समय पहले यहाँ रोप वे लगाया गया है जिससे यहाँ का रूप निहारने का आनंद ही आ जाता है. इसके अलावा मार्बल के सफ़ेद पहाड़ों के बीच नौकायान करना किसी के लिए भी भूल पाना कठिन काम है., विशेषकर, चांदनी रात में यहाँ की प्राकृतिक छठा देखने लायक होती है. कुछ जगह तो दो पहाड़ों के बीच की दूरी इतनी कम हो जाती के बन्दर इधर से उधर उछल कर नदी को पार कर लेते हैं. भेडाघाट निजी तौर पर पसंदीदा जगह है.   








नर्मदा को  मध्य भारत की गंगा कहा जाता है। शिव के प्रकृतिक रूप में शिवलिंग नर्मदा के कण कण में व्यापत है। नर्मदा नदी का उदगम स्थल यहाँ से 327 किलोमीटर पहले अमरकंटक नाम स्थान पर है जो मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के बार्डर पर पड़ता है। यहाँ जाने का सौभाग्य मुझे 2004 में प्राप्त हुआ। नर्मदा, ताप्ति और माहि तीन ऐसी नदियाँ हैं जो पूरब से पश्चिम की और बहती हैं. इनमें नर्मदा सबसे लम्बी है. 



1312 किलोमीटर की लम्बाई होने की वजह से नर्मदा, गंगा और गोदावरी के बाद भारत की तीसरी सबसे लम्बी है. नर्मदा की गणना भारत की सात सबसे पवित्र नदियों में की जाती है. अन्य छ: हैं गंगा, यमुना, सरस्वती, सिन्धु, कावेरी एवं गोदावरी. नर्मदा भरूच के पास भाड़भूत नामक स्थान पर अरब सागर में मिलती है. सौभाग्यवश, मुझे दोनों ही स्थानों, यानि की अमरकंटक और भरूच जाने का मौका मिल चुका है. यकीन मानिये आपको यह जगह अवश्य ही पसंद आएगी. 












   

Thursday 23 June 2016

विश्व प्रसिद् करणी माता का चूहों वाला मंदिर, बीकानेर, राजस्थान

प्रिय मित्रों नमस्कार!!!
आज मैं आपको भारत के सबसे अद्भुत और निराले मंदिर में ले कर चल रहा हूँ, जहाँ 20000 चूहे हैं, जी, बिल्कुल सही पढा है 20000 चूहे. इसी विशेषता की वजह से इस मंदिर पर डिस्कवरी चैनल एक एपिसोड बना चुका है.
करणी माता का ये मंदिर राजस्थान के बीकानेर शहर से 30 किलोमीटर दूर देशनोख नामक स्थान पर है. करणी माता को माँ दुर्गा का रूप माना जाता है, करणी माता बीकानेर के शाही परिवार की कुलदेवी भी हैं, इस मंदिर का निर्माण बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह जी द्वारा किया गया था. करणी माता के राजस्थान में कई सारे मंदिर हैं और राजपूत भी इनकी पूजा अपनी कुलदेवी के रूप में करते हैं. माता के सामने थाल में जो प्रसाद होता है वो चूहे भी खाते हैं और वही प्रसाद भक्तों को वितरित किया जाता है.
मंदिर में वैसे तो अधिकतर चूहे काले हैं पर कुछ गिनती के सफ़ेद चूहे भी हैं जो विरले ही दिखाई देते हैं. वैसे ये भी कहा जाता है की सफ़ेद चूहा किसी भाग्यशाली को ही दिखाई देता है.
तो आप कब जा रहे हैं, इतने सारे चूहे देखने.






Tuesday 21 June 2016

आउटलुक में मेरी पुस्तक अतुल्य भारत की खोज पर प्रतिक्रिया

आउटलुक हिंदी में मेरी पुस्तक अतुल्य भारत की ख़ोज पर प्रतिक्रिया छपी है आप के साथ साँझा कर रहा हूँ।

Thursday 16 June 2016

भीम बेटका- भारत की प्राचीनतम मानव स्थली

प्रिय मित्रों नमस्कार!!!

आज मैं आपको अवगत करवाता हूँ, मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में बने भारत के सबसे प्राचीनतम मानव आवासीय स्थल "भीमबेटका" से. भीमबेटका आदि मानव द्वारा बनाये गए शैल चित्रों और शैल आश्रयों के लिए प्रसिद्द है, जिन्हें पुरापाषण व् मध्य पाषण काल का माना  जाता है. इस स्थल को UNESCO ने वर्ष 2003 में वर्ल्ड हेरिटेज साईट  घोषित किया है. यहाँ के शैल चित्र व् आश्रय करीब 30000 वर्ष पुराने हैं. ये गुफाएं विन्ध्याचल की पहाड़ियों के निचले छोर पर हैं और आगे दक्षिण की और जातें हैं तो सतपुरा की पहाड़ियां शुरू हो जाती हैं. भीमबेटका भोपाल के दक्षिण भाग से 45 किलोमीटर की दूरी पर है. 

कहा यह भी जाता है इन गुफाओं का सम्बन्ध महाभारत काल से है और विशेषतौर पर भीम से. भीमबेटका का अर्थ है भीम के बैठने का स्था.

इसको देख कर वाकई अचम्भा हुआ की मानव सभ्यता के अवशेष भारत में कितने पुराने हैं. यहाँ कई सारी गुफाएं हैं और उन पर हुआ काम वाकई हैरान कर देने वाला है. यहाँ के शैल चित्रों में पशु पक्षी, मानवाकृति, और प्राचीन जीवन से जुडी रोज़मर्रा की चीज़ें हैं. चित्रों में मुख्यत: लाल, गेरुए, हरे और सफ़ेद रंगों का उपयोग किया गया है. मैं इतना कह सकता हूँ के भीम बेटका जैसी जगह भारत में दूसरी नहीं है. 
भीम भेटका का प्रवेश द्वार













Monday 13 June 2016

दार्जीलिंग हिमालयन रेलवे

प्रिय मित्रों, नमस्कार आज मैं पुन: हाज़िर हूँ, एक नई पोस्ट के साथ पिछली बार आपको मैं नीलगिरी माउंटेन रेलवे ले गया था और आज मैं आपको ले कर चलता हूँ, DHR यानि की दार्जीलिंग हिमालयन रेलवे. ये रेल नैरो गेज पर चलती है. 78 किलोमीटर लम्बा ये नेटवर्क वर्ष 1881 में शुरू हुआ.


मित्रों,1999 में विश्व में ये दूसरी और भारत की पहली हिल रेलवे बनी जिसको विश्व धरोहर यानि की UNESCO WORLD HERITAGE साईट का दर्जा मिला. न्यू जलपाई गुडी से दार्जीलिंग के बीच चलने वाली इस यात्रा में कुल 13 स्टेशन आते हैं, जिनमे सबसे प्रमुख है "घूम" 7407 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस स्टेशन को कभी विश्व का सर्वाधिक ऊंचाई पर स्थित होने का गौरव प्राप्त था, पर वर्ष 2006 में चीन ने तिब्बत में रेल चला कर इस रिकॉर्ड को तोड़ दिया.



घूम स्टेशन पर वर्ष 2000 में रेल संग्रहालय की स्थापना की गयी जिसमे इसके स्वर्णिम इतिहास को दर्शाया गया है. दार्जीलिंग में प्रवेश से करीब पांच किलोमीटर पहले गाडी बतासिया लूप पर घुमती है, जहाँ आजादी के बाद शहीद हुए गोरखा सैनिकों की याद में वॉर मेमोरियल बनाया गया है. इसकी स्थापना उन 76 गोरखा सैनिकों की याद में की गयी जो युद्ध के दौरान वीर गति को प्राप्त हुए. रणबीर कपूर अभिनीत फिल्म "बर्फी" में आप सभी ने इस रेल गाडी को बखूबी देखा होगा. उससे पहले राजेश खन्ना का मशहूर "मेरे सपनों की रानी" में भी आपने इसका अवलोकन किया ही होगा. तो फिर आप कब आ रहे हैं दार्जीलिंग, इस नन्ही TOY ट्रेन को देखने.















Friday 10 June 2016

नीलगिरी माउंटेन रेलवे की सैर

नमस्कार मित्रों, आज मैं आपको दक्षिण भारत में चलने वाली NMR यानि की निलगिरी माउंटेन रेलवे की सैर पर ले चलता हूँ. भारत में मुख्यतः पांच ऐसी रेलवे हैं जो की मैदानी भाग को पहाड़ी भागों से जोडती है. हमारे इतिहास की धरोहर ये रेलवे हैं :-
1. निलगिरी माउंटेन रेलवे (ऊटी-मेत्तुपलायम) 46 KM
2. दार्जीलिंग हिमालयन रेलवे (सिलीगुड़ी-दार्जीलिंग) 88 KM
3. काँगड़ा घाटी रेलवे (पठानकोट-जोगिन्दर नगर) 164 KM 
4. नेरुल-माथेरान 20 KM
5. कालका-शिमला 96 KM
माथेरान को छोड़ कर मुझे सभी में यात्रा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है. खैर आज हम बात करेंगे निलगिरी माउंटेन रेलवे की. ये ऊटी से चलकर मेत्तुपलायम तक के सफ़र पर ले जाती है, इस यात्रा का हर एक क्षण यादगार क्षण होता है. वर्ष 1908 में अंग्रेजों द्वारा इसका परिचालन उदगमंडलम यानि ऊटी तक शुरू किया गया.
2005 में UNESCO ने इसको "वर्ल्ड हेरिटेज साईट" यानि विश्व सांस्कृतिक धरोहर घोषित किया. अपर लिखी सभी पाँचों प्रमुख रेलवे लाइनों में केवल NMR ही है जो की मीटर गेज पर चलती है, अपितु अन्य सभी नैरो गेज पर चलती हैं. हर डिब्बे केआखिर में गार्ड होता है जो गाडी को रोकने में सहायता करते हैं. मैंने अपनी यात्रा का कुछ हिस्सा गार्ड साहब के साथ बिताया जिससे इस यात्रा को और यादगार बनाने में मदद मिली. ऊटी से इसमें YDM का डीजल इंजन लगाया गया और फिर कुनूर से इसमें स्टीम इंजन जोड़ दिया गया. इस स्टीम इंजन को देखने के लिए न केवल देसी बल्कि बड़ी तादाद में विदेशी पर्यटक भी कुनूर स्टेशन पर एकत्रित थे. मैंने भी अपने बच्चों को रेलवे के स्वर्णिम इतिहास की झलक दिखाई. जिसको देख कर वो दंग रह गए.
कुछ स्थानों पर चढाई काफी खड़ी है जिसकी वजह से दो पटरियों के बीच में एक चैन लगा कर डिब्बों के साथ जोड़ा जाता है ताकि गाडी रोल बेक न हो सके. ये तकनीक भारत में किसी भी अन्य हिल रेलवे गाड़ियों में प्रयोग नहीं होती. इसी यात्रा में कुल 13 स्टेशन आते हैं. शाहरुख़ खान अभिनीत फिल्म दिल से का मशहूर गाना छैयाँ छैयाँ इसी निलगिरी माउंटेन रेलवे में फिल्माया गया था. वर्षों से इस क्षेत्र की पहचान NMR में अगर सवारी नहीं की तो यकीन मानिये आप अभी तक एक मजेदार रेल यात्रा के आनंद से वंचित हैं.