प्रिय
मित्रों,
सादर नमस्कार!!
सर्वप्रथम
हिन्दू नववर्ष विक्रमी संवत 2074, चैत्रीय नवरात्रे और गुड़ी पाडवा की हार्दिक
बधाई. आने वाला वर्ष आप सभी के जीवन को खुशियों से भर दे.
आज का दिन
बहुत विशेष एवं शुभ है, आज से माँ दुर्गा के नवरात्रे भी आरम्भ हो गए हैं, इसी
पावन बेला पर आज आपको मैं माँ के एक स्थान पर कर चल रहा हूँ, जहाँ जाने के बाद
ईश्वर के आस्तित्व पर उठने वाली तमाम शंकाओं का अंत हो जाता है. जी हाँ इस पुण्य
जगह का नाम है हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा ज़िले में स्थित ज्वाला जी का मंदिर. इस मंदिर
की गणना माता के 52 शक्ति पीठों में होती है. कहा जाता है कि यहाँ माता जी की
जिव्हा गिरी थी.
इस मंदिर
में कुल 11 ऐसे स्थान हैं, जहाँ से प्राकृतिक रूप से अग्नि की जोतों के रूप में
माता यहाँ प्रकट हो रहीं हैं. ये अग्नि जोतें हजारों वर्षों से निरंतर प्रज्वलित
हो रहीं हैं. अकबर भी माँ की गाथा सुन कर मंदिर आया उसने लोहे की मोटी मोटी चादरों
से जोतों को ढकने की कोशिश की, इतना ही नहीं पानी की नहरें जोतों के ऊपर डलवा दी
ताकि जोतें बुझ जायें, पर माँ के साक्षात् रूप में विराजी जोतें अविरल रूप से जलती
रहीं और तभी से युगों युगों से जोतें निरंतर माँ के रूप में अपने भक्तों को
आशीर्वाद दे रहीं हैं. ये सब देख अकबर अच्चम्भित हो गया और माता को भेंट स्वरुप
सोने का विराट छत्तर लाया पर मन में अहंकार आ गया, छत्तर अर्पित करते ही वो एक ऐसी
धातु में परिवर्तित हो गया जिसकी पहचान आजतक नहीं हो पाई है. आज भी वो छत्तर यहीं
रखा है जो माता की कृपा और अकबर के अहम् को बयां कर रहा है.
मुख्य
मंदिर में 7 जोतें और उसके पास ही ऊपर की और बने गोरख डिब्बी मंदिर में 3 जोतें और
अंतिम जोत एक अन्य मंदिर जिसे महालक्ष्मी का मंदिर कहा जाता है वहां से निकल रहीं
हैं. यहाँ मंदिर परिसर में एक अन्य मंदिर है जिसे शैया भवन कहा जाता है, कहा जाता
है, यहाँ रोज़ रात्रि को माँ दुर्गा विश्राम करने आती हैं. सुबह जब मंदिर के कपाट
खुलते हैं तो बिस्तर की चादर में सिलवटें मिलती हैं, प्रशाद का भोग लगा होता है और
माता के लिए रखी दातुन भी इस्तेमाल की हुई होती है. अब इससे बडा और क्या सबूत
चाहिए ईश्वर के होने का. ये सभी चमत्कार आप स्वयं भी देख सकते हैं.
भारत
सरकार का तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग भी यहाँ वर्षों तक प्राकृतिक गैस की खोज में लगा
रहा. उनको भी यही लगा के हो न हो यहाँ कहीं प्राकृतिक गैस के भंडार हैं जिसकी वजह
से यहाँ माता की जोतें जलती रहती हैं. पर कई साल की मेहनत के बाद भी उनको यहाँ ऐसा
कुछ नहीं मिला. वो भी समझ गए की ये माँ की कृपा और अजूबे के अलावा कुछ और नहीं है.
जय माँ ज्वाला जी।
ReplyDeleteयहाँ आकर सारे वैज्ञानिक तर्क धूल धूसरित हो जाते हैं और मां के प्रति अनायास ही मन में श्रद्धा उमड़ आती है।
आपका धन्यवाद सर
Jai Mata Di
ReplyDeleteJai Mata Di
ReplyDeleteजय माता दी
ReplyDeleteJAI MATA DI
ReplyDeleteईश्वर सत्य है और उसकी शक्ति भी सत्य है।
ReplyDeleteजय श्री ज्वाला मां।।
जय माता दी
ReplyDeleteजय माता दी
ReplyDeleteJay Mata di....
ReplyDelete।।जय माता दी।।
ReplyDelete।।जय माता दी।।
ReplyDeleteJai jwala.aayi jwala.Jai Mata Di
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