मेरे प्रिय मित्रों
सादर नमस्कार!!!
आज मैं आपको ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान के बारे में बताऊंगा जिन्हें 1947 की पाकिस्तान के खिलाफ लड़ी गई पहली कश्मीर की लड़ाई में महावीर चक्र मिला था। ऐसा क्या था इस शूरवीर में, आईये मैं आपको बताता हूँ। दरअसल, जिन्नहा इनकी बहादुरी से इतने प्रभावित थे के उन्हें पाकिस्तानी सेना में सेना प्रमुख का पद ऑफर कर दिया जिसे ब्रिगेडियर उस्मान ने ठुकरा दिया और भारत माँ की सेवा का निर्णय ले लिया और पाकिस्तान की सेना के नौशेरा (जम्मू के पास) में छक्के छुड़ा दिए।इन्होंने प्रण लिया था की जब तक पाकिस्तान को खदेड़ नहीं देंगे तब तक ज़मीन पर ही सोयेंगे।
इन सब बातों से चिढ़ कर कर जिन्नहा ने इनका सर काट कर लाने वाले को 50000 का इनाम घोषित कर दिया।
पर इस शेर ने हार नहीं मानी और पाकिस्तान को नौशेरा से खदेड़ दिया। इसी वजह से इनको नौशेरा का शेर भी कहा जाता है।
ब्रिगेडियर होने के बावजूद इन्होंने सैनिकों के साथ युद्ग लड़ा और वीरगति को प्राप्त हो गए। इनके जनाज़े में तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू और अबुल क़लाम आज़ाद भी शरीक हुए। बीते शनिवार को इनकी कब्र को तलाशने में थोडा वक़्त लगा पर आख़िरकार ढूंढ लिया और अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
आप भी अगर यहाँ सजदा करना चाहें तो दिल्ली में जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के गेट नंबर 18 से प्रवेश करते ही दायीं और मुड जाएं। दिल्ली मेट्रो का जामिया स्टेशन कुछ ही समय में खुल जायेगा। ये स्टेशन बिलकुल इनकी कब्र से लगता हुआ है।
ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान की शहादत को देश हमेशा याद रखेगा। उनको मेरा शत् शत् नमन्।
Sir very nice to know such brave Indian soldier k salute to him n U fora true national personality
ReplyDeleteThanks a lot
ReplyDeleteThanks a lot
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