Monday 1 August 2016

कोलकाता:- बैरकपुर और मंगल पांडे भाग एक



मंगल  पांडे जी को फांसी इसी स्थान पर दी गई थी. 





कोलकाता के प्रति हमेशा से ही मुझे एक अनोखा सा आकर्षण रहा है. एक अजीब सी कशिश है इस शहर में. वैसे तो पहले भी तीन बार जा चुका हूँ, पर कल चौथी बार जाना हुआ और इस बार सबसे पहले मैंने बैरकपुर जाने का चुनाव किया. बैरकपुर एक एतिहासिक स्थान है जहाँ भारतीय क्रांति की चिंगारी को भड़काने वाले क्रांतिकारी मंगल पांडे को अंग्रेजों ने फांसी पर चड़ा दिया था. यह छावनी अंग्रेजों द्वरा भारत में स्थापित पहली सैनिक छावनी थी.
मंगल पांडे अंग्रेजों की 34वीं बंगाल नेटिव इन्फेंट्री की पैदल सेना में सिपाही थे और बैरकपुर में नियुक्त थे. 20 मार्च 1857 को सैनिकों को एक नए प्रकार की एन्फ़िलड की बंदूकें दी गयी जिसमे नए प्रकार के कारतूस दिए गए जिन्हें खोलने के लिए मुह से लगा कर दांतों का प्रयोग करना पड़ता था. यही बात हिन्दू ब्राहमण परिवार में जन्मे मंगल पांडे को चुभ गयी और उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल बजा दिया. कई इतिहासकार इसे मात्र बगावत मानते हैं जबकि अंग्रेजी हुकूमत के विरुद्ध ये पहली सशस्त्र क्रांति थी.
जहाँ मंगल पांडे को फांसी दी गयी वो स्थान बैरकपुर की पुलिस अकादमी के अन्दर है. यहाँ उस जगह को देख कर रोंगटे खड़े हो गए और वो दृश्य मानस पटल पर अंकित होने लगे के कैसे मंगल पांडे अंग्रेजी हुकूमत की क्रूरता का शिकार हुए होंगे. इसी छावनी परिसर में एक मंदिर मिला जहाँ 1824 में एक “बिंदा तिवारी” नाम के क्रांतिकारी को फांसी पर लटकाया गया था यानी की 1857 से भी 33 साल पहले.....कमाल की बात पता चली जो की शायद इतिहास के पन्नों में भी ठीक से दर्ज नहीं है. हुगली नदी के किनारे ही मंगल पांडे उद्यान बना है जहाँ मंगल पांडे की मूर्ति लगी हुई है. यहाँ से निकल कर हमने बैरकपुर स्टेशन देखा और सीधे दक्षिणेश्वर काली मंदिर की और प्रस्थान किया. इस यात्रा को यादगार बनाने के लिए मेरे दो मित्रों राहुल रंजन और महेंद्र निरंजन का बहुत बहुत शुक्रिया.

1 comment:

  1. इसी तरह अच्छी-अच्छी जानकारी साझा करते रहें।👌👌

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