प्रिय मित्रों
सादर नमस्कार!!
अपनी जून की पोस्ट में मैं आपको वर्ल्ड
हेरिटेज रेलवे साइट्स नीलगिरी रेलवे और दार्जीलिंग हिल रेलवे की सैर पर ले गया था,
आज एक अन्य यानि कालका शिमला रेलवे की सैर पर ले चलता हूँ. शिमला हिमाचल
प्रदेश की राजधानी है जो 7116 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. 1864 में अंग्रेजों ने शिमला को ग्रीष्मकालीन
राजधानी घोषित कर दिया और ये स्थान अंग्रेजों का मनपसंद हिल स्टेशन बन गया. शायद
इसी वजह से अंग्रेजों ने शिमला को रेलवे से जोड़ने का निर्णय लिया, 1868 में इसके
निर्माण का कार्य शुरू हो गया और अंत: नौ नवम्बर 1903 को इसका सञ्चालन शुरू हो
गया.
वर्ष 2003 में शिमला रेलवे स्टेशन पर इसके सौ साल पूरे होने पर एक बडा जश्न भी मनाया
गया था जिसमे तत्कालीन रेल मंत्री श्री नितीश कुमार भी शामिल हुए थे. सौभाग्यवश,
मुझे भी उस कार्यक्रम में शामिल होने का मौका मिला था. इस कार्यक्रम की एक विशेषता
ये थी की इसमें एक साधू, जिन्हें भल्कू बाबा के नाम से जाना जाता है, के परिवार को
सम्मानित किया गया था जिनका इस रेलवे लाइन को बनाने में बहुत बडा हाथ था. भल्कू
बाबा कोई इंजिनियर नहीं थे पर फिर भी इन्होने अपने ज्ञान और अनुभव के आधार पहाड़ों
से सुरंग निकालने का रास्ता बताया. अब प्रश्न ये है के रेलवे को उनकी आवश्यकता
क्यों पड़ी, असल में सुरंग नंबर 33 जो कालका शिमला रूट की सबसे लम्बी सुरंग है और
इसकी लम्बाई 1143.61 मीटर है, इसके निर्माण की जिम्मेदारी अंग्रेज इंजिनियर
कैप्टेन बड़ोग को सौंपी गयी थी पर दुर्भाग्यवश उनसे दो सुरंगों का मिलान करने में
चूक हो गयी, इसी चूक की वजह से उनपर अंग्रेजी हुकूमत ने उनपर एक रूपए का जुर्माना
लगा दिया और इसी शर्मिन्दगी की वजह से उन्होंने आत्महत्या कर ली. उनकी याद में एक
स्टेशन का नाम भी रखा गया है बड़ोग. कहा जाता है की आज भी वो सुरंग बड़ोग से करीब एक
किलोमीटर की दूरी पर है. 100 साल के कार्यक्रम स्टीम इंजन से एक विशेष गाडी शिमला
से केतली घाट स्टेशन के बीच चलाई गई और केतली घाट पर खानपान की व्यवस्था रखी गयी
जिसमे मुझे मशहूर ब्रिटिश मूल के लेखक मार्क टली और मशहूर कमेंटेटर श्री जसदेव
सिंह से मिलने का भी मौका मिला.
जुलाई 2008 में इसको UNESCO ने विश्व धरोहर यानी
की वर्ल्ड हेरिटेज घोषित कर दिया. 2
फीट और 6 इंच चौड़ी रेलवे लाइन पर दौड़ने वाली गाडी को “टॉय ट्रेन” भी कहा जाता है.
पर्यटकों को बढ़िया सेवा देने हेतु कुछ ही वर्ष पूर्व रेलवे ने शताब्दी की तर्ज पर
आधुनिक सुविधा से लैस एक गाडी भी चलाई है शिवालिक डीलक्स एक्सप्रेस जिसमे यात्रा
करना एक यादगार अनुभव रहेगा. दिल्ली से कालका जाने वाली कालका मेल को इस गाडी से
लिंक लिंक किया गया है.
नवम्बर 2003 में 100 साला जश्न के लिए तैयार विशेष स्टीम इंजन |
लेखक बड़ोग स्टेशन पर वर्ष 2002 |
सुरंग संख्या 33 के बाहर लेखक |
शिमला स्टेशन पर लेखक. वर्ष 2011 |
सौभाग्यवश, मुझे कालका शिमला रेलवे पर कई बार
सफ़र करने का अवसर मिला है और यकीन मानिए, हर बार मुझे एक नए आनंद की अनुभूति हुई
है. तो आप कब जा रहे हैं इस रूट को देखने.
बहुत ही सुदंर और मनमोहक है ये रेलवे आज भारत के लिए एक ऐतिहासिक रेलवे है
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