Friday 5 August 2016

कोलकाता भाग दो: नेताजी सुभाष म्यूजियम और मदर टेरेसा का मिशनरीज आफ चैरिटी

प्रिय मित्रों,

सादर नमस्कार!!!

अपनी कोलकाता यात्रा के अगले चरण में सबसे पहले मै आपको नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के निवास (नेताजी भवन) जो की अब एक म्यूजियम में तब्दील कर दिया गया है वहां ले कर चलता हूँ. इसका निर्माण 1909 में नेताजी के पिता जी श्री जानकीनाथ बोस ने करवाया था. ये भवन कोलकाता के लाला लाजपत राज मार्ग (सिरानी) पर स्थित है. इस इतिहासिक भवन में नेताजी का दफ्तर, उनका शयन कक्ष और उनके द्वारा इस्तेमाल किये गए वस्त्र और उनकी बहुत से पुरानी तस्वीरें सहेज कर रखी गईं हैं. यहाँ हमें नेताजी के उज्जवल अतीत की झलक मिलती है. सुभाष बाबू द्वारा पहनी गयी “आजाद हिन्द फौज” की वर्दी भी यहाँ रखी है.

1941 में नज़रबंदी से बचने के लिए सुभाष बाबू बर्लिन के लिए यहीं से निकले थे. एक ज़माने में यहाँ महात्मा गाँधी और नेहरु भी आ चुके हैं. वर्ष 2007 में जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिज़ो आबे भी यहाँ पधार श्रधांजलि दे चुके हैं. हमने भी सुभाष बाबू को भावभीनी श्रधांजलि दी और मदर टेरेसा के मिशनरीज आफ चैरिटी की और निकल पड़े.


मिशनरीज आफ चैरिटी का ये प्रधान कार्यालय है जो की आचार्य जगदीश चंदर बोस मार्ग पर स्थित है, इसकी स्थापना मदर टेरेसा ने वर्ष 1950 गरीबों, कोढइयों असहाय, अनाथों और बीमार लोगों के लिए की थी. इनका जन्म अगस्त 1910 में हुआ और 1997 में इनका देहवासन हो गया. आज कोलकाता में इनके 19 ऐसे सेवा केंद्र हैं. इसी स्थान पर मदर टेरेसा को दफनाया गया था. इनकी समाधी पर हर रोज़ देश विदेश से हज़ारों लोग आते हैं और उनको श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं. अपनी इसी सेवा की वजह से मदर टेरेसा को वर्ष 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. आप भी कोलकाता जायें तो इन दो जगहों को देखना न भूलें. इसके अलावा काली घाट, बेलूर मठ, कोलकाता मेट्रो, हावड़ा ब्रिज, दक्षिणेश्वर काली, ट्राम भी अवश्य देखें और हाँ कोलकाता आए और रसगुल्ला न खाएं तो ऐसा हो नहीं सकता......के सी दास का रसगुल्ला खाने योग्य है. कहा जाता है रसगुल्ले का अविष्कार के सी दास के पिता नवीन दास ने किया था. 








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