Friday 8 July 2016

प्रभु श्री राम की भूमि "चित्रकूट" की सैर

चित्रकूट दर्शन: भारत की एक ऐसी जगह जहाँ प्रभु श्री राम ने अपने 14 वर्षों के बनवास का एक हिस्सा यहीं बिताया था। बाल्मीकि द्वारा रचित रामायण में चित्रकूट का जिक्र मिलता है। सबसे पहले हमने रामघाट के दर्शन किये जहाँ कभी तुलसीदास जी चन्दन घिसा करते थे और श्री राम तिलक किया करते थे। यहाँ के कण कण में प्रभु श्री राम की झलक दिखाई देती है और आध्यात्म के दर्शन होते हैं।

राम घाट से हम कामतानाथ जी के दर्शनों को गए और कामतगिरि पर्बत की पांच किलोमीटर लंबी पैदल परिक्रमा की। इस रास्ते में कई एतिहासिक स्थल आए जिनमे प्रमुख थे जहाँ कभी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस की रचना की थी, वहां पंडित जी ने हमें रामचरितमानस के दो अध्याय भी दिखलाये जो स्वयं तुलसीदास जी द्वारा लिखे गए हैं, चूँकि मैं उसकी सत्यता स्थापित नहीं कर सकता। वहीँ पीपल का पेड़ देखा जो तुलसीदास जी ने अपने हाथों से लगाया था। लक्षमण पहाड़ी भी देखी जहाँ कभी लक्षमण जी तपस्या किया करते थे। प्रभु श्री राम और भरत जी पद चिन्हों को भरत मिलाप मंदिर में देखने का सौभाग्य मिला। कामतानाथ जी को श्री राम का रूप ही माना जाता है।

पांच किलोमीटर की परिक्रमा का कुछ हिस्सा मध्य प्रदेश तो कुछ हिस्सा उत्तर प्रदेश में आता है। ये भी यहाँ की अजीब विशेषता है। हलकी हलकी फुहारों में परिक्रमा का  अनुभव जीवन भर याद रहेगा।

एक अन्य स्थान "गुप्त गोदावरी" अत्यंत मनमोहक लगा। यहाँ दो गुफाएं हैं जिनका निर्माण करीब 9 लाख वर्ष पूर्व देवताओं ने श्री राम और माता सीता के लिए किया था। गुफा दो में राम कुंड और लक्षमण कुण्ड से निकलता जल घुटनों तक आ रोमांच पैदा कर देता है। बाहर से अत्यंत साधारण दिखने वाला ये स्थान अचंभित कर देता है।

ऋषि अत्रि और माता अनसुइया के स्थान पर श्री राम कभी ज्ञान लेने आये थे। यहीं माता अनसुइया ने मन्दाकिनी की धारा प्रकट की थी। यहीं से थोडा आगे सफुटिक शिला पर कभी प्रभु राम और माता सीता विराजमान होते थे। यहाँ दोनों के पदचिन्ह आज भी प्रत्यक्ष हैं।

राम दर्शन मंदिर में जा कर रामायण के बारे में कई जानकारियां मिलीं। अगर आप भी ईश्वर की भक्ति में सरोबार होना चाहते हैं एक बार अपने जीवन में चित्रकूट अवश्य जाएं।

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