Tuesday 8 May 2018

दिल्ली के मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में बने शहीद स्मारक पर नमन

आज मैं इतिहास के कुछ ऐसे पन्ने पलट रहा हूँ जिसे देशवासियों, विशेषकर, दिल्ली वालों को अवगत करवाना अत्यंत आवश्यक है। आज का दिन दिल्ली के इतिहास में सदैव याद रखा जाएगा क्योंकि आज ही के दिन यानी 8 मई को तीन और 9 मई को एक अन्य क्रांतिकारी को अंग्रेजी हुकूमत ने फाँसी पर लटका दिया था। इन चारों क्रांतिकारियों के नाम थे मास्टर अमीर चंद, बसंत कुमार बिस्वास, मास्टर अवध बिहारी और भाई बाल मुकुन्द। दिसंबर 1912 में जब भारत की राजधानी को दिल्ली शिफ़्ट करने के अवसर पर तत्कालीन गवर्नर जरनल की शोभा यात्रा जब चाँदनी चौक क्षेत्र से निकल रही थी उस पर बम्ब फैंकने का काम इन चारों शूरवीरों ने सम्पन्न किया। हमले में गवर्नर बच गया पर इन चारों को फाँसी दे दी गयी।

8 मई, 1915 को दिल्ली में अमीर चंद, अवध बिहारी, बाल मुकुंद को फांसी दी गई थी, लेकिन बसंत कुमार बिस्वास को एक दिन बाद अंबाला सेंट्रल जेल में फांसी दी गई थी।

दिल्ली में इन तीन शहीदों को जहां फाँसी पर चढ़ाया गया था वो स्थान 'शहीद स्मारक' मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज (एम.ए.एम.सी.) दिल्ली, परिसर के अंदर है । स्वतंत्रता संग्राम के इन नायकों को इस फांसी घर में जा कर नमन कर मेरा जीवन सफल हो गया। कुछ वर्ष पहले ही दिल्ली के लुड़लौ कैसल स्कूलों के नाम इन शहीदों के नामों पर रखे गए हैं। सौभाग्यवश, मैं भी उन्हीं में से एक स्कूल में पढ़ा हूँ।

पुराने दिल्ली जेल परिसर के इस फांसी घर के दर्शन आप भी करें और इन शहीदों को अपनी भाव भीनी श्रद्धांजलि अर्पित करें। जय हिन्द जय भारत.





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