Sunday 8 July 2018

राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खडगवासला, पुणे में यादगार दौरा

बीते सप्ताह मुझे एक ऐसे स्थान पर जाने का अवसर मिला जहां भारत माता की सुरक्षा के लिए परम यौद्धा तैयार किए जाते हैं और फिर यही कैडेट अपने पराक्रम, साहस, निर्भीकता और काबिलियत के दम पर हमारे देश की सुरक्षा का भार अपने मजबूत कंधों पर ले लेते हैं और केवल इन्हीं वीरों की वजह से आप, मैं और मेरे जैसे करोड़ों हिंदुस्तानी रात को बेफिक्री से चैन की नींद ले पाते हैं।
मैं बात कर रहा हूँ नेशनल डिफेन्स अकादमी की, जिसे एन डी ए भी कहा जाता है। यहां थल सेना, वायु सेना एवं नौसेना के कमीशनड ऑफिसर्स को तैयार किया जाता है। तीन साल के अथक परिश्रम के बाद यहाँ हर कैडेट जांबाज़ सैन्य अधिकारी के रूप में तैयार हो जाता है और फिर अपने अंतिम वर्ष के रूप में अपने सैन्य बल के प्रशिक्षण संस्थान में चला जाता है। जैसे की थल सेना का कैडेट अंतिम वर्ष में आई एम ए यानी की इंडियन मिलिट्री अकादमी देहरादून जाता है और इसी तरह वायु सेना वाले हैदराबाद और जल सेना वाले केरल जाते हैं। जहां अंतिम वर्ष के प्रशिक्षण के बाद ये सेना में देश सेवा के लिए तैयार हो जाते हैं। इसके अलावा अन्य कई देशों के कैडेट भी यहां प्रशिक्षण के लिए आते हैं।
एन डी ए की नीवं का पत्थर 6 अक्टूबर 1949 को तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने रखा था। 8022 एकड़ में फैला एन डी ए महाराष्ट्र के पुणे शहर से करीब 16 किलोमीटर की दूरी पर खड़कवासला नामक स्थान पर है जो प्राकृतिक रूप से तीन सेनाओं के प्रशिक्षण के लिए एक आदर्श स्थान है। यहां का मेस अपने आप में अनोखा है जहां एक बार में 2100 कैडेट्स एक साथ खाना खा सकते हैं। पाकिस्तान से युद्ध में जीते गए टैंक भी यहां ट्रॉफी के तौर पर रखे गए हैं।
खड़कवासला झील नौसेना के कैडेटस के प्रशिक्षण के लिए प्राकृतिक रूप से बेहद माकूल स्थान है। यहाँ नौका द्वारा हमे भी इस नयनाभिराम झील को देखने का अवसर प्राप्त हुआ।
एन डी ए ने तीन परमवीर चक्र विजेता देश को दिए हैं जिनमें कैप्टेन सलारिया, सेकंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल और कैप्टेन मनोज कुमार पांडेय हैं। इसके अलावा 12 अशोक चक्र भी इस संस्थान ने दिए हैं जिसमे एक मात्र भारतीय जो अंतरिक्ष में जा चुके हैं स्क्वाडरन लीडर राकेश शर्मा प्रमुख हैं। यहां एक ब्लॉक का नाम शहीद मनोज कुमार पांडेय के नाम पर रखा गया है और परेड ग्राउंड का नाम शहीद अरुण खेत्रपाल कर नाम पर रखा गया है। परमवीर चक्र विजेताओं की अलग गैलरी भी है जो कैडेट्स को हर पल प्रेरणा प्रदान करती है।
वायु सेना के प्रशिक्षण स्थान पर वायुसेना के एक मात्र परमवीर चक्र से सम्मानित निर्मलजीत सिंह सेखों का बुत देख कर मन गौरवान्वित हो गया। यहां का कण कण हर हिंदुस्तानी में देशभक्ति का ज़ज्बा जागृत करता है और फिर कैडेट्स की तो बात ही क्या। ये गौरवशाली संस्थान अपने आप में एक इतिहास है। एन डी ए राष्ट्रीय गौरव व स्वाभिमान का ज्वलंत प्रतीक है। मुझे गर्व है कि मुझे इस पावन भूमि पर नमन करने का अवसर प्राप्त हुआ।
जय हिन्द।




















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