Monday, 30 April 2018

बुद्ध पूर्णिमा पर सारनाथ की भूमि पर नमन


प्रिय मित्रों,

सादर नमस्कार !!

सबसे पहले बुद्ध पूर्णिमा के पावन अवसर पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं!! बुद्ध पूर्णिमा बैसाख के पूर्णिमा पर आती है, ऐसा मत है की आज ही के गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था, उनको ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और आज ही के दिन उन्हें महानिर्वाण भी प्राप्त हुआ था. महात्मा बुद्ध के अनुयायिओं के लिए ये दिन अत्यंत पवित्र है. हिन्दू चूँकि बुद्ध को विष्णु का अवतार मानते हैं इसीलिए हिन्दुओं के लिए भी ये दिन अत्यंत पुनीत है. विश्व के अनेक देश जो बुद्ध के अनुयायी हैं वहां भी इस पर्व को हर्षो उल्लास के साथ मनाया जाता है. अपने ब्लॉग के माध्यम से आपको मैं बोध गया के दर्शन करवा चूका हूँ, आज मैं आपको बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर एक ऐसे स्थान के दर्शन करवा रहा हूँ जहाँ बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद अपना पहले उपदेश दिया था. जी हाँ, ये स्थान है सारनाथ.

सारनाथ, वाराणसी से लगभग 10 किलोमीटर पूर्व दिशा कि ओर स्थित है. ये स्थान बौध धर्म को मानने वालों के लिए महातीर्थ से कम नहीं है. सारनाथ में शिव जी का सारंगनाथ नामक मंदिर है, और ऐसा माना  जाता है की सारनाथ का नाम इसी मंदिर के नाम पर रखा गया है. यहाँ देखने वाले सबसे महत्वपूर्ण स्थान हैं:- धम्मेक स्तूप, मुलगंध कुटी विहार मंदिर, अशोक स्तम्भ, चौखंडी स्तूप व् राजकीय म्यूजियम.




















अशोक स्तम्भ के महत्व के बारे में तो आप सभी भली भांति परिचित हैं. मुलगंध कुटी विहार मंदिर में बुद्ध की प्रतिमा अत्यंत दर्शनीय है मंदिर प्रांगण में बौध धर्म से जुडी अनेक महत्वपूर्ण जानकारियां मिलती हैं.
वाराणसी देश के सभी प्रमुख हिस्सों से रेल व् वायु मार्ग से जुड़ा हुआ है. महात्मा बुद्ध ने समाज को बहुत कुछ दिया उनकी हर शिक्षा जीवन में बदलाव ला सकती है. एक नए विषय को ले कर जल्द ही आपके समक्ष ले कर आऊंगा . जय हिन्द.

Thursday, 19 April 2018

सैर राष्ट्रपति भवन म्यूजियम की

राष्ट्रपति भवन का नाम सुनते ही हमारे जेहन में वहां की भव्य व् अनूठी वास्तुकला की विशाल तस्वीर उमड़ पड़ती है. हमारे देश के प्रथम नागरिक का अधिकारिक निवास स्थान “राष्ट्रपति भवन” अपने आप में किसी अजूबे से कम नहीं, ये तो हम सभी जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं की राष्ट्रपति भवन के अन्दर एक ऐसा म्यूजियम भी है जहाँ सदियों पुराने इतिहास को और उनसे जुड़े साजो सामान को बड़े ही करीने से संजो का रखा गया है.
ये म्यूजियम राष्ट्रपति भवन की परिकल्पना से लेकर उसके बनने तक की सम्पूरण यात्रा पर ले कर चलता है. राष्ट्रपति भवन के मूल रेखा चित्र और इसके निर्माण से जुड़े वास्तुकारों से जुडी जानकारी भी यहाँ संजो कर रखी गयी है. भारतीय संविधान की मूल प्रति व् स्वाधीनता संग्राम से जुडी जानकारियां भी यहाँ आम जनमानस के लिए उपलब्ध है. आजादी से इसके साथ साथ हमारे सभी पूर्व राष्ट्रपतियों के निजी जीवन से जुडी कुछ कुछ वस्तुओं का भी संग्रहण यहाँ किया गया है, जैसे की कलाम साहब का नीला बंद गला सूट जो उन्हें बहुत प्रिय था, वेंकटरमण साहब का प्रिंस सूट और उनका चश्मा इत्यादि.

म्यूजियम को तीन भागों में विभाजित किया गया है, एक तल अलग से बच्चों के लिए भी है जहाँ वो कई सारे रोचक एवं मनोरंजक गतिविधियों में भाग ले सकते हैं. इस म्यूजियम के रख रखाव की जिम्मेदारी यहाँ के पी आर ओ श्री समरेश कुमार ने बखूबी संभाल रखी है और उनके मार्ग दर्शन में म्यूजियम में काफी ज्ञान वर्धक जुड़ाव हुए हैं.

आप भी इस म्यूजियम में जा सकते हैं इसके लिए आपको केवल www.rashtrapatisachivalaya.gov.in पर लॉग इन करके अपनी बुकिंग करवा सकते हैं. सोमवार को छोड़ म्यूजियम बाकी के सभी कार्य दिवसों पर सुबह नौ से शाम चार बजे तक खुला रहता है. यहाँ प्रवेश के लिए राष्ट्रपति भवन के गेट नम्बर 30 जो कि मदर क्रेसेंट रोड पर पड़ता है.
































Friday, 6 April 2018

दर्शन श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग व भस्म आरती

महाकाल की भस्म आरती में शामिल होना और उसका साक्षी बनने की इच्छा हर शिव भक्त की होती है मेरी भी ऐसी ही इच्छा कई वर्षों से थी। वैसे तो महाकाल ज्योतिर्लिंग में आने का सौभाग्य तो मुझे पहले करीब चार बार मिल चुका है पर भस्म आरती में शामिल होना किसी स्वप्न से कम नही था जो महादेव की कृपा से 28 मार्च 2018 को जा कर पूरा हुआ। जैसा सुना था वैसा ही अनुभव हुआ, इस भस्म आरती का गवाह बनना ऐसे था मानो जैसे जन्म जन्म की भक्ति क्षुधा को विराम मिल गया. आज उसी आलौकिक अनुभव को आप सभी के साथ साँझा कर रहा हूँ.
मंदिर प्रांगण में श्रद्धालुओं का जमावड़ा अर्ध रात्रि लगभग 2 बजे से शुरू हो जाता है। आप भस्म आरती में शामिल होने के लिए इंटरनेट से भी बुकिंग कर सकते हैं जो बिल्कुल मुफ्त है। आरती में शामिल होने के लिए पुरषों का धोती और स्त्रियों को साड़ी पहनना अनिवार्य है।
प्रातः 3.30 बजे मंदिर परिसर में प्रवेश शुरू हो जाता है और ठीक चार बजे महाकाल शिवलिंग पर जलाभिषेक का कार्यक्रम शुरू हो जाता है जो करीब चालीस मिनट तक चलता है इसके पश्चात भक्तों को तीन मंडपों में बैठा दिया जाता है, इन तीन मंडपों में नंदी मंडप गर्भ गृह के ठीक सामने है, दूसरा गणेश मंडप ये नंदी मंडप से थोड़ा ऊपर को है और फिर कार्तिकेय मण्डप है। यहां लगभग 500 श्रद्धालुओं को स्थान दिया जाता है। 4 बज कर चालीस मिनट पर आरती की विधिवत रूप से शुरुआत की जाती है, इस क्रिया में सबसे पहले शिवलिंग का श्रृंगार किया जाता है जिसमें शिवलिंग को शिव के मुख के रूप में दर्शाया जाता है। ये सब करीब आधा घंटा चलता है और फिर इसके पश्चात भस्म आरती शुरू होती है, सबसे पहले शिवलिंग के कुछ हिस्से को सूती वस्त्र से ढक देते हैं और फिर एक पोटली में राख होती है जिसका छिड़काव शिवलिंग पर किया जाता है इस दौरान शंख ध्वनि, डमरू, ढोल और छैनों की आवाज़ से पूरा परिसर भक्ति के रंगों में सराबोर हो जाता है। डमरू की ध्वनि जैसे शिव के साक्षात् दर्शनों का अनुभव करवाती है. वैसे तो माना ये भी जाता है की इस आरती में शिव साक्षात् शामिल होते हैं.
तालियों को भी एक विशेष तरीके से बजाया जाता है जिससे एक आलौकिक ध्वनि उत्पन्न होती है जो माहौल को शिवमयी बना देती है। जो भक्त शिव के लिए वस्त्र ले कर आते हैं उनको शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है और फिर इस तरह से भक्तों की करीब ढ़ाई घंटो की मेहनत सफ़ल हो जाती है और आत्मा का जैसे शुद्धिकरण हो जाता है।
मंदिर परिसर में पक्षियों का कलरव एक अलग समा बांध देता है। आज की सुबह में स्वर्गीय आनंद का एहसास हुआ। वैसे भी आजकल के भाग दौड़ के जीवन में इतनी देर तक अगर भोलेनाथ के रंग में रंगने का मौका मिले तो ये मौका छोड़ना नही चाहिए। इस आरती में शामिल होने के लिए आपको केवल इन्टरनेट पर बुकिंग करवानी है.
हर हर महादेव।