दोस्तों, आशा है आप सभी ने स्वतंत्रता
दिवस और श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूरे हर्ष और उल्लास के साथ मनाया होगा. आज मै आपको
श्री कृष्ण जी से जुड़े एक ऐसे स्थान पर ले कर चल रहा हूँ जहाँ से उन्होंने स्वर्ग
लोग की ओर कूच किया था. इस स्थान का नाम है, “भालका तीर्थ”, ये गुजरात के “वेरावल”
में स्थित है और प्रथम ज्योतिर्लिंग सोमनाथ जी मात्र पांच किलोमीटर की दूरी पर है.
इस प्रसंग से तो आप सभी भली
भांति परिचित होंगे की जब महाभारत का युद्ध समाप्त हो रहा था तभी गांधारी ने श्री कृष्ण
को श्राप दिया था की जिस प्रकार से यादवों ने कुरु वंश का नाश किया है वैसे ही
तुम्हारा यानि की यदुवंशियों का 36 वर्षों के पश्चात नाश हो जायेगा. समय चक्र ने
जब 36 वर्ष पूरे किये तो उस समय यदुवंशियों में आपसी द्वेष चरम पर था जिससे खिन्न
हो कर बलराम जी ने योग द्वारा शरीर का त्याग किया और श्री कृष्ण जंगल की ओर समाधी
अवस्था में चले गए वहां एक पीपल के पेड़ के नीचे समाधी लगा ली, एक दिन “जरा” नामक
शिकारी ने उनके बाएं पैर के तलुवे पर एक मृग का मुख समझ कर तीर चला दिया, जिससे भगवान
कृष्ण का पैर घायल हो गया. ये सब देख शिकारी विलाप करने लगा तब श्री कृष्ण ने उसको
बताया की तुम त्रेता युग में बाली थे और मै राम था., ये सब मेरी ही लीला थी. जिस पीपल
के वृक्ष के नीचे श्री कृष्ण बैठे थे वो
वृक्ष आज भी इस मंदिर प्रांगण में मौजूद है. लगभग 5100 वर्ष पुराना ये पेड़ आज तक
हरा भरा है जो अपने आप में चमत्कार है.
श्री कृष्ण ने जरा का अपराध
क्षमा कर दिया और घायल पैर के साथ वहां से करीब 1.5 किलोमीटर दूर हिरण नदी पर जा कर अपने शरीर समेत
स्वर्गलोक की ओर कूच कर गए. श्री कृष्ण के धरती से स्वर्ग प्रस्थान को द्वापर युग
का अंत और कलयुग की शुरुआत माना जाता है. इसी हिरण नदी के तट पर आज भी उनके चरण
दर्शन किये जा सकते हैं, इसी वजह से इस स्थान को “देहोत्सर्ग तीर्थ” भी कहा जाता
है. आप जब भी भालका तीर्थ जाएं तो सोमनाथ दर्शनों के साथ साथ शेरों के लिए विश्व
प्रसिद्द “गिर” अभ्यारणय और दीव जाना न भूलें.
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फोटो आभार श्री सोमनाथ ट्रस्ट |
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फोटो आभार श्री सोमनाथ ट्रस्ट |
बहुत ही रोचक जानकारी व मनमोहक दृश्य सर जी। आपके द्वारा लिखा गया ब्लॉग बहुत ही ज्ञानवर्धक होता है।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद आलोक जी
DeleteGyanvardhak jankari....sunder prastuti.. dhanyabad sirji
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