सादर नमस्कार !!
मई
के महीने में अक्सर हमें पढने को मिलता है की एवेरेस्ट पर फलां फलां लोग चढ़ गए,
इतनी बार चढ़ गए इत्यादि, ऐसा इसलिए होता है क्यूंकि मौसम के हिसाब से मई का महीना
विश्व के सबसे ऊँचे शिखर पर चढाई करने का सबसे माकूल समय होता है. चालू मई महीने
में जहाँ एक ओर अरुणाचल प्रदेश की अंशुल जेम्सेंग्पा ने पांचवी बार एवेरेस्ट चढ़ने
का और एक ही महीने में दो बार एवेरेस्ट चढ़ने का रिकॉर्ड कायम किया वहीँ उत्तराखंड
के लवराज धरमसकत्तू ने छठी बार एवेरेस्ट चढ़ एक नया रिकॉर्ड कायम कर दिया है. अब तो
एवेरेस्ट फ़तेह करने वाले भारतीयों की फेहरिस्त काफी लम्बी हो गयी है. लेकिन भारत
द्वारा पहली बार चोटी फ़तेह करने की ख़बर का जो आनंद आया होगा यकीनन वो अलग ही रहा होगा.

कर्नल
अवतार सिंह चीमा, मेजर हरी पाल सिंह अहलुवालिया, अंग कामी, हरीश रावत, फु डोरजी,
सोनम वांग्याल, नवांग गोम्बू, सोनम ग्यात्सो और सी पी वोहरा जी.
29
मई 1965 को इसी दल की चौथी टोली ने भी एवेरेस्ट फ़तेह कर लिया, आज उसी दल में शामिल
के एक जांबाज़, बेख़ौफ़ और अत्यंत वीर सदस्य से आपका परिचय करवाता हूँ, उनका नाम है
मेजर हरी पाल सिंह अहलुवालिया. एवेरेस्ट को पहली बार फ़तेह करने वाले सर एडमंड
हिलेरी और तेनजिंग नोरगे ने भी इसे 29 मई को ही फ़तेह किया था, केवल वो वर्ष 1953
था. ये तो सभी को ज्ञात ही है के माउंट एवेरेस्ट विश्व का सबसे ऊँचा शिखर है जिसकी
ऊंचाई 8848 मीटर यानि की 29,002 फीट है. इसको नेपाली भाषा में सागरमाथा (अर्थात स्वर्ग का शीर्ष) और तिब्बत भाषा में चोमूलंगमा (अर्थात पर्वतों की रानी) कहा जाता है. माउंट एवेरेस्ट नेपाल और चीनी सीमा पर है.
वर्ष
1996 में मेजर अहलुवालिया द्वारा लिखी गयी एक पुस्तक मेरे हाथ लगी जिसका शीर्षक था
“Higher Than Everest” इसमें उनके एवेरेस्ट
फ़तेह करने की पूरी कहानी को बहुत ही रोचक तरीके से बताया गया है. तभी से मैं इनका
मुरीद हो गया, ये पुस्तक 1973 में आई थी और इसका आमुख तत्कालीन प्रधानमंत्री
श्रीमती इंदिरा गाँधी ने लिखा था.

अपने साहसिक कार्यों और अद्मय साहस की वजह से
मेजर अहलुवालिया न केवल मेरे बल्कि हर भारतीय के लिए एक आदर्श हैं.
बहुत बहुत अच्छे
ReplyDeleteधन्यवाद अशोक जी
Deleteबहुत बहुत अच्छे
ReplyDeleteBahut sahasik vyaktitva... jaihind
ReplyDeleteधन्यवाद पवन जी
DeleteA salute to Major Ahluwalia......
ReplyDeleteमेजर साहब ने हर जंग में सफलता हासिल की, फिर चाहे वो 1965 की एवरेस्ट पर चढ़ाई की जंग हो, चाहे 1965 में ही पाकिस्तान से जंग हो, चाहे गोली लगने के बाद जिंदगी की जंग हो, चाहे समाज सेवा के मद्देनजर अस्पताल खोलने की जंग हो।।
धन्यवाद विनोद जी
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