Wednesday 7 June 2017

दिल्ली में 1857 की क्रांति के 160 गौरवपूर्ण वर्ष एवं अजीतगढ़ स्मारक

प्रिय मित्रों,

सादर नमस्कार !!!

आज से करीब 160 वर्ष पूर्व यानि की जून 1857 में दिल्ली में इस समय देशभक्ति की ज्वाला अपने चरम पर थी. “दिल्ली चलो” के तहत मेरठ से क्रांतिकारी दिल्ली में डेरा जमा चुके थे. भिडंत जारी थी, और इसी सशस्त्र क्रांति में  क्रांतिकारियों ने कितने ही अंग्रेज अधिकारीयों और सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था. 8 जून को बादली की सराय (इस जगह को “म्युटिनी मेमोरियल” के नाम से जाना जाता है और आजकल ये स्थान सराय पीपल थला के नाम से जाना जाता है और आदर्श नगर मेट्रो स्टेशन से मात्र 200 मीटर की दूरी पर है) में भीषण रक्तपात हुआ था जिसमे क्रांतिकारियों ने जम कर लोहा लिया पर अंग्रेजों के रणनीति कौशल के आगे हार गए. इस खूनी संघर्ष में 300 क्क्रान्तिकारी और अंग्रेज सिपाही/अफसर मारे गए थे.

मई 1857 में शुरू हुआ संघर्ष सितम्बर 1857 आते आते दम तोड़ गया अगर ये क्रांति सफल रहती तो हमारा देश कई वर्ष पूर्व ही स्वाधीन हो गया होता, पर नियति को कुछ और ही मंजूर था. इस दौरान मारे गए अंग्रेज अफसरों और सैनिकों की याद में 1863 में एक स्मारक का निर्माण तत्कालीन पी डब्लू डी द्वारा करवाया गया जिसको नाम दिया गया “म्युटिनी मेमोरियल” लाल बालुपत्थर से बनी इस इमारत में मारे गए सभी अंग्रेज सैनिकों का नाम लिखवाया गया जिनकी संख्या लगभग 3837 है. इतनी बड़ी संख्या से आप अंदाज़ा लगा सकते हैं की हमारे बागी सैनिकों और क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों को दी गयी चुनौती कितनी विशाल और आक्रामक थी. इस सशस्त्र क्रांति ने अंग्रेजी हुकूमत को हिला कर रख दिया था.

इस भवन का निर्माण “गोथिक शैली” में किया गया है, जो देखने में एक पुराने चर्च सा प्रतीत होता है. वर्ष 1972 में भारत की स्वाधीनता के 25 वर्ष पूरे होने पर सरकार ने इसको क्रांति में शहीद भारतियों को भी शामिल कर दिया और इसको नया नाम दिया “अजीतगढ़ स्मारक”.
दिल्ली मेट्रो में जब आप पुल बंगश स्टेशन से तीस हजारी स्टेशन की और आते हैं तो ये विशाल स्मारक आप आसानी से देख सकते हैं. उत्तरी दिल्ली के कमला नेहरु रिज क्षेत्र में बना ये स्मारक हमारे इतिहास की अनकही कई सारी कहानियां बयां करता है. यकीनन आप कई बार इसके आगे से निकले होंगे पर इसके इतिहास से साक्षात्कार का मौका आज ही मिला होगा. आइए 1857 के इन वीरों की शहादत को पुन: नमन करें, जय हिन्द जय भारत.      

साभार
पुस्तक देशभक्ति के पावन तीर्थ
लेखक ऋषि राज

ISBN 9789386300041
प्रकाशक : प्रभात प्रकाशन 







बादली की सराय






9 comments:

  1. Very interesting and informative piece of information. Quite revetting read. वन्दे मातरम्.

    ReplyDelete
  2. वन्देमातरम

    ReplyDelete
  3. वन्देमातरम

    ReplyDelete
  4. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  5. आपने बहुत सही लिखा है सर्, 1857 का विद्रोह बहूत प्रचंड था, दिल्ली में इस विद्रोह के बारे में बहुत कम लिखा मिलता है।

    ReplyDelete
  6. 1857 के वीर स्वतंत्रता सेनानियों को शत शत नमन।।
    सर धन्यवाद आपका, बहुत बहुत, स्मरण कराने हेतु।।

    ReplyDelete
  7. Very rear information. Hat off to u for such a minute research & thanks for this & salute to all freedom fighter for their courage & dedication .we should share these information to our children so that they can feel the price our forefathers pay for this freedom

    ReplyDelete