प्रिय मित्रों,
सादर नमस्कार !!
मई
का महीना आते आते उत्तराखंड की चार धाम यात्रा शुरू हो जाती है. कल केदारनाथ में
पट खुलने के साथ ही प्रधानमंत्री ने केदारनाथ में बाबा केदार के दर्शन किए और यात्रा का शुभारम्भ किया. मई के महीने
में आपको मैं बारी बारी से चारों धाम की यात्रा पर ले कर चलूंगा. आज इसकी शुरुवात
हम गंगोत्री से करेंगे. ये चार धाम निम्नलिखित हैं:-
1. 1. बद्रीनाथ
(बद्रीनाथ धाम भारत वर्ष के चार धामों में गिना जाता है, अन्य तीन धाम हैं
द्वारकाधीश- गुजरात, रामेश्वरम-तमिलनाडू और पुरी-उड़ीसा.
2. 2 केदारनाथ
(केदारनाथ जी की गिनती भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में भी होती है)
3. 3 यमुनोत्री
4. 4 गंगोत्री
इस
सीरीज की शुरुआत हम गंगोत्री धाम से करेंगे. आप सभी जानते ही हैं की, पौराणिक कथाओं के अनुसार माँ गंगा का पृथ्वी पर
अवतरण भगवन श्री राम के पूर्वज रघुकुल के राजा भागीरथी के 5500 वर्षों की तपस्या के
फल के तौर पर हुआ था. उन्होंने ये तपस्या अपने 60 हज़ार पूर्वजों को मोक्ष दिलाने के लिए की थी. उन्होंने गंगोत्री में एक शिला पर बैठ कर ये तपस्या सम्पूर्ण की थी,
इसी पवित्र शिला खंड के निकट ही अठारवीं शताब्दी में इस मंदिर का निर्माण किया गया जिसको नाम दिया गया
गंगोत्री. यहाँ से निकलने वाली धारा
का नाम राजा भागीरथ के नाम पर भागीरथी रखा गया और यहाँ से करीब 293 किलोमीटर की दूरी पर एक स्थान आता है, देवप्रयाग जहाँ अलकनंदा और भागीरथी का संगम होने के बाद इस नदी का नाम गंगा हो जाता है
.
भारी ठण्ड और बर्फ़बारी की वजह से गंगोत्री के कपाट दीपावली के दिन बंद हो जाते
हैं और फिर लगभग 6 महीने के बाद अक्षय तृतीय वाले दिन इसके कपाट पुन: श्रधालुओं के
लिए खोल दिए जाते हैं. इस वर्ष मंदिर के कपाट 28 अप्रैल को खोले जा चुके हैं. इन
छह महीनों के दौरान माँ गंगा की जी मूर्ति को पास ही के मुखबा गांव में ले जाया जाता है विधिवत रूप से उनकी पूजा की जाती है, और कपाट खुलने
उपरांत उन्हें पुन: यहाँ स्थापित कर दिया जाता है.
गंगोत्री को सब तीर्थों में सबसे पवित्र तीर्थ माना जाता है,
कहा गया है कि जब शरीर प्राण त्याग रहा हो तब मुख में दो बूँद गंगा जल कि डाल दी जाएं तो मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त हो जाता है, ऐसी पतित पावन माँ गंगा के उद्गम स्थल के दर्शन करना हर हिन्दू का सपना होता है.
कहा जाता है, कि गंगोत्री मंदिर का निर्माण आदि गुरु शंकराचार्य ने किया . उस समय इसके निर्माण में लकड़ी का इस्तेमाल हुआ और फिर अठारहवीं शाताब्दी कि शुरुआत में गोरखा कमांडर अमर सिंह थापा ने इस मंदिर का पुनः निर्माण किया तथा वर्तमान मंदिर का जीर्णोद्वार जयपुर के राजघराने द्वारा किया गया है
.
माँ
गंगा का अवतरण गौमुख नाम के स्थान से होता है, इसकी
आकृति गाय के मुख के समान होने की वजह से इसको गौमुख कहा जाता है. असल में गौमुख
पहले गंगोत्री में ही था परन्तु हज़ारों वर्षो के दौरान हुए भौगोलिक परिवर्तनों के कारण गौमुख पीछे खिसकता गया और आज यह अपने मूल स्थान से करीब 18 किलोमीटर पीछे चला गया है
. गंगोत्री के मुख्य मंदिर के प्रांगण में गंगा जी के साथ भागीरथी जी एवं भोले नाथ जी का भी मंदिर है . पूरे विश्व में गंगा ही ऐसे नदी है जिसका नाम उद्गम स्थल और अंतिम स्थल दोनों ही जगहों पर अलग अलग है . गंगोत्री से गंगा सागर की लम्बाई 2500 किलोमीटर है और यही लम्बाई इसे भारत की सबसे लम्बी नदी होने का गौरव प्रदान करती है
.
दिल्ली से गंगोत्री की कुल
दूरी लगभग 488 किलोमीटर की है जिसे करीब दो दिनों में पूरा किया जा सकता है. यानी
की पहले दिन आप दिल्ली से टिहरी या उत्तरकाशी तक पहुँच सकते हैं और फिर अगले दिन
गंगोत्री. गंगोत्री से करीब किलोमीटर पहले एक स्थान आता है हर्षिल जो की अत्यंत
सुन्दर है, यहाँ कम से कम एक दिन अवश्य रुकना चाहिए.
ज्यादा जानकारी के लिए
आप गंगोत्री यमुनोत्री यात्रा पर बनी मेरी डाक्यूमेंट्री फिल्म भी देख सकते हैं जो
यू ट्युब पर मेरे चैनल यानि की Exploring India with
Rishi पर उपलब्ध है. या आप इस लिंक पर भी क्लिक कर के जा सकते हैं https://www.youtube.com/watch?v=_5B0DNoMXlc&t=25s.
जल्द ही आपको यमुनोत्री
की यात्रा पर ले कर चलेंगे तब तक, हर हर गंगे.
Quite informative
ReplyDeleteQuite informative
ReplyDeleteधन्यवाद योगेश जी
Deleteपतित पावनी देवनदी गंगा के इस धरा पर अवतरण की जानकारी उपलब्ध कराने के लिए आपका शुक्रिया सर।।
ReplyDeleteकृपया बताएं कि उद्गम स्थल और अंतिम पड़ाव पर नाम क्या क्या हैं और ये अंतर क्यों है????
उद्गम स्थल का तो आपको ऊपर बता ही दिया "भागीरथी" . पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद से गंगा दो धाराओं में विभक्त हो जाती है एक पद्मा बन बांग्लादेश चली जाती है और दूसरी हूगली बन कलकत्ता की और मुड जाती है और यही हुगली आगे जा कर गंगा सागर नामक स्थान पर बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है. मै स्वयम को भाग्यशाली मानता हूँ के मुझे दोनों ही स्थानों पर माँ गंगा के दर्शनों का सौभाग्य प्राप्त हुआ है.
ReplyDeleteधन्यवाद सर।।
DeleteThe Char Dham Yatra includes darshan at Yamunotri, Gangotri, Kedarnath and Badrinath. Each of these venerable spots have legends and tales that heighten its spirituality.
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