प्रिय मित्रों
सादर नमस्कार !!
आज मैं पुन: उपस्थित हूँ, आपको भारत की एक अनूठी लाइब्रेरी यानी की पुस्तकालय
की सैर करवाने के लिए. जी हाँ, इस ऐतिहासिक पुस्तकालय का नाम है लाला हरदयाल
म्युनिसिपल हेरिटेज लाइब्रेरी जो की दिल्ली की चांदनी चौक इलाके में स्थित है.
चांदनी चौक मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर एक से निकलते ही इस इमारत के दर्शन हो जाते
हैं. दिसंबर में पुस्तकालय को वर्तमान इमारत में सौ वर्ष पूर्ण हो गए. वैसे तो इस
लाइब्रेरी का इतिहास 154 साल पुराना है, पर लाला हरदयाल पर इसका नामकरण वर्ष 1970 में हुआ. 1916 से 1970 तक इसे हार्डिंग
लाइब्रेरी के नाम से जाना जाता था. पुस्तकालय के सौ साला जश्न को लाइब्रेरी कमिटी
ने बहुत जोर शोर से मनाया और इसके रोचक इतिहास से आज की युवा पीढ़ी को अवगत करवाया.
लाइब्रेरी कमेटी की पुरजोर कोशिश है कि
यहाँ के स्वर्णिम इतिहास को आने वाली पुश्तों के लिए सहेज कर कम्पुटरिकृत कर लिया
जाये.
लाला हरदयाल एक प्रसिद्द क्रन्तिकारी रहे हैं जिन्होंने अमरीका में ग़दर पार्टी
की स्थापना की थी और भारत में आजादी की लौ प्रज्वलित करने में एक अहम् भूमिका
निभाई थी. लाला जी का जन्म 14 अक्टूबर 1884 को चांदनी चौक में, गुरुद्वारा सीश गंज
के पीछे बने मोहल्ला चीर खाना में हुआ था.
इस पुस्तकालय में अत्यंत दुर्लभ ग्रन्थ और पुस्तकें उपलब्ध हैं जिनमे न केवल
हिन्दी बल्कि उर्दू, अरबी, फारसी और अंग्रेजी की कुल मिला करके 1,60,000 पुस्तकें
हैं. कुछ हस्त लिखित पुस्तकें हैं, जिनका इतिहास 16वीं शताब्दी से शुरू होता है.
इस पुस्तकालय में जा कर अद्भुत आनंद की अनुभूति हुई. पुस्तकों की महक ने ज़ेहन में
एक अनूठी उर्जा का संचार पैदा कर दिया. 1881 में स्वामी दयानन्द सरस्वती द्वारा
लिखित “सत्यार्थ प्रकाश” भी यहाँ उपलब्ध है, पर सबसे पुरानी पुस्तके अंग्रेज
साहित्यकारों की हैं जो वर्ष 1634, 1642 और 1677 में लिखी गयीं. 1800 में
हस्तलिखित भगवत महापुराण भी यहाँ उपलब्ध है.
पुस्तकों के बारे
में हमारे शास्त्रों में लिखा है
‘काव्य शास्त्र विनोदेन,
कालो गच्छति श्रीमताम’ I
‘व्यसनेन च मूर्खाणा’, निद्रया कलहेन वा’ II
अर्थात् बुद्धिमान लोग अपना
समय पठान में व्यतीत करते हैं और वहीँ दूसरी ओर मूर्ख लोगों का समय व्यसन, निद्रा
और कलेश में व्यतीत होता है. अगर आप को भी पुस्तकों से प्रेम है तो एक बार तो यहाँ
आना बनता ही है.
Great job keep it up.
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद अशोक जी
Deleteरुचिकर जानकारी।
ReplyDeleteधन्यवाद विकास जी
DeleteVery nice.....
ReplyDeleteधन्यवाद रवि जी
Deleteis liabrary mai jane ke baad bhi itni knowledge nahi thi.Txs for sharing d details.👍
ReplyDeleteधन्यवाद नयन तारा जी
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