प्रिय
मित्रों,
सादर
नमस्कार !!
महा
शिवरात्रि के महापर्व के शुभ अवसर की पूर्व संध्या पर आज मैं आपको शिव के निवास
स्थान कैलाश पर्वत की यात्रा पर लेकर चल रहा हूँ। कैलाश मानसरोवर क्षेत्र तिब्बत
में स्थित है जो की चीन सरकार के
नियंत्रण में है.
हिन्दू
मान्यताओ के अनुसार कैलाश मानसरोवर से बड़ा कोई तीर्थ नहीं है। ऐसी मान्यता है कि शिव अपने परिवार सहित अनादी काल से इस पर्वत पर रहते हैं।
इन्ही मान्यताओं की वजह से हिन्दू धर्म में कैलाश पर्वत को अत्यंत पवित्र व हिन्दुओं
के सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ का दर्जा दिया गया है । हर हिन्दू का यह सपना होता है कि
वो अपने जीवन काल मे कम से कम एक बार कैलाश मानसरोवर कि यात्रा करे। एक ओर जहां
कैलाश “महादेव” का निवास स्थान है, वहीं दूसरी ओर मानसरोवर झील के अंदर “नारायण”
यानि कि विष्णु भगवान का वास माना जाता है। कहा जाता हैं कि मानसरोवर मे स्नान
करने से हमारे सभी पूर्वजों का उद्धार हो जाता हैं ।
मानसरोवर के दक्षिणी छोर पर
एक पर्वत है जिसे “गुरला मानधाता” के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस
पर्वत पर “ब्रह्मा” निवास करते हैं, कुल मिला कर इस पूरे कैलाश
मानसरोवर क्षेत्र मे हमारे त्री देव- यानि की ब्रह्मा, विष्णु, महेश का निवास है। कैलाश मानसरोवर क्षेत्र से चार जीवन दायिनी नदियों का
उद्गम होता है सिन्धु, सतलुज, करनाली एवं ब्रह्मपुत्र | ब्रह्मपुत्र को तिब्बत में
सान्ग्पो के नाम से जाना जाता है. मानसरोवर के एक छोर पर राक्षस ताल है, इसके बारे
में कहा जाता है की रावण ने शिव को प्रसन्न करने के लिए यहीं एक टांग पर खड़े हो कर
कई वर्षों तक तपस्या की थी. लगभग 22,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित कैलाश पर्वत बारह
महीने ही बर्फ से ढका रहता है.
तस्वीरों से ही आपको इसकी विशालता और वैभव का एहसास
होने लगेगा.
कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने के लिए मुख्यता
तीन मार्ग उपलब्ध हैं:
v नीजी ऑपरेटर द्वारा
दिल्ली से काठमाण्डू-कोडारी-जांगमू-नयालम-सागा-प्रयांग होते हुए सड़क के मार्ग से
कैलाश मानसरोवर पहुंचा जा सकता है। ये रूट सबसे सुगम है, क्यूंकि इसमें पैदल
यात्रा का भाग केवल कैलाश परिक्रमा का होता है बाकी सारा रास्ता आरामदायक कारों या
बसों से पुरा किया जाता है.
v भारत सरकार द्वारा
निर्धारित दिल्ली-अल्मोड़ा-पिथोरागढ़-बिरथी-धाराचूला-लीपुलेख पास-तकलाकोट होते हुए कैलाश
मानसरोवर पहुंचा जा सकता है। इस यात्रा को भारत सरकार का विदेश मंत्रालय करवाता
है, इस वर्ष की यात्रा के लिए आवेदन मांगे जा चुके हैं, जिसकी अंतिम तिथि 15 मार्च
2017 है. भाग्यशाली यात्रिओं का नाम लकी ड्रा द्वारा तय किया जाएगा. इस यात्रा
में चुनाव के लिए शारीरिक क्षमताओं को कड़े
पैमाने पर जांचा जाता है क्यूंकि इस रास्ते से पैदल यात्रा का भाग बहुत ज्यादा है.
भारत सरकार यहाँ एक सड़क का निर्माण कर रही है जिससे पैदल चलने वाला भाग अगले कुछ
सालों में बहुत कम हो जायेगा और तब ये यात्रा और सुगम हो जाएगी.
v भारत सरकार द्वारा हाल
ही में खोला गया नया मार्ग जो नथुला दर्रे द्वारा होते हुए कैलाश मानसरोवर तक
पहुंचता है। इस रूट को वर्ष 2015 से खोला गया है पहले वर्ष 150 पिछले वर्ष 180 और
इस वर्ष की यात्रा के लिए करीब 400 श्रधालु इस रास्ते से कैलाश का रुख करेंगे. इस
रास्ते में भी ज्यादा चलना नहीं पड़ता. पर पैसों के हिसाब थोडा खर्चीला है.
वैसे एक अन्य रूट भी
है जिसमे हवाई जहाज़ द्वारा ल्हासा, फिर अली, सिमिकोट और फिर तकलाकोट होते हुए
कैलाश मानसरोवर पहुंचा जा सकता है ।
“ कैलाश पर्वत, निराकार परब्रह्म का साक्षात सगुण स्वरूप, एक महाज्योतिर्लिंग है जो समर्पित
शिव भक्त को केवल एक दृष्टि दर्शन में समाधिस्थ करने की क्षमता रखता है । धर्म
मानव हृदय को सदैव ही आकर्षित करता रहता है । धार्मिक स्थानों का भ्रमण एवं मेल-मिलाप भारतीय संस्कृति का
अभिन्न अंग रहा है”
इसके अलावा कैलाश पर्वत- बौद्ध एवं जैन, दोनों धर्मों के लिए भी धार्मिक आस्था का केंद्र है. 1981 मे भारत सरकार ने कैलाश यात्रा की अनुमति दी थी और तभी से इस यात्रा पर जाने
वाले श्रद्धालुओ की संख्या हर साल बढती जा रही है।
राम चरित्र मानस के बाल कांड मे भी कैलाश पर्वत
को पर्वतों मे श्रेष्ठ, रमणीय तथा शिव परिवार का निवास बताया गया हैं ।
“परम रम्य गिरवर कैलासू ।
सदा जहां बिस उमा निवासू ||
संसार में कैलाश को हिंदुओं
का मक्का भी कहा जाता है । जिस प्रकार से जो मुसलमान हज कर लेता है उसे हाजी
” कहा जाता है, उसी प्रकार जब कोई हिन्दू “कैलाश” हो आता है तो उसे “कैलाशी” कहा जाता है । मुझे भी कैलाशी होने का गौरव वर्ष 2012 में प्राप्त हो गया, मै अपने आप को
सौभाग्यशाली मानता हूँ के महादेव ने इस यात्रा के लिए मेरा चुनाव किया. बहुत कुछ
सुना था इस यात्रा के बारे में पर जब गए तो जाना की ईश्वर से साक्षात्कार आखिर होता
क्या है.
प्रकृति के नैसर्गिक खजाने
को अगर कहीं स्वछंद रूप से देख सकते हैं तो वो कैलाश मानसरोवर का क्षेत्र ही है.
मानसरोवर झील जहाँ नारायण स्वयं विराजे हैं वहां रात्रि में शिव परिवार के दर्शन
ज्योत के रूप में हुए जिसका वर्णन शब्दों में करना बहुत कठिन है. पग पग पर आसमान
में ईश्वर की उपस्थिति का आभास होता है, यहाँ के कण कण में महादेव का वास है, ये
मैं केवल कहने के लिए नहीं कह रहा हूँ, बल्कि अपने निजी अनुभव को आपसे साँझा कर
रहा हूँ. दिल्ली से हमने अपनी यात्रा 26 मई 2012 को शुरू की थी और 9 जून 2012 को
हम दिल्ली वापस लौट आए थे. हमने अपनी यात्रा सड़क मार्ग द्वारा काठमांडू होते हुए
की थी.
अगर हम एवेरेस्ट भी चढ़ जाते
तो शायद इतनी ख़ुशी न मिलती जितनी इस यात्रा से हमको मिली. अपनी इन्ही स्वर्णिम
यादों को आप सभी के साथ साँझा करने और इसे अमर बनाने के लिए मैंने अपनी यात्रा को
किताब की शक्ल दी और इसका नाम रखा “कैलाश दर्शन कुछ यादें कुछ बातें” इस पुस्तक को
भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने वर्ष 2015 में राहुल सांस्कृत्यायन पुरस्कार से
सम्मानित भी किया. इसका इंग्लिश एडिशन अमेज़न पर “Heights of Faith-
Kailash” के नाम से उपलब्ध है और जो शिव भक्त हिंदी में पढना चाहते
हैं वो मेरे से संपर्क कर इसकी प्रति निशुल्क ले सकते हैं. आपको और आपके परिवार को
महा शिवरात्रि के पावन पर्व पर ढेरों बधाई. महादेव की कृपा आप पर नित्य बरसती रहे.
हर हर महादेव ।।
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