Tuesday 31 January 2017

कच्छ का कोटेश्वर महादेव का मंदिर

मित्रों सादर नमस्कार!! जैसा की मैंने पिछले ब्लॉग में लिखा आज मैं आपको ले कर चल रहा हूँ कच्छ क्षेत्र में बने भोले नाथ के एक प्रख्यात मंदिर कोटेश्वर महादेव। कोटेश्वर गुजरात में भारत के सबसे पश्चिमी कोने पर स्थित है।

कहा जाता है, एक बार रावण शिव द्वारा प्राप्त शिवलिंग को लंका ले कर जा रहा था, पर ईश्वर को यह मंजूर नहीं था उन्होंने लीला रचाई और रावण को शिवलिंग को नीचे रखने पर मजबूर कर दिया और शर्त अनुसार शिवलिंग यहीं स्थापित हो गया और फिर रावण ने शिवलिंग को पूरी शक्ति से खींचा पर शिवलिंग कहाँ उठने वाला था, पर शिवलिंग पर रावण की उँगलियों के निशान आ गए जो आज भी देखे जा सकते हैं। कहा जाता है रावण ने तीन बार तपस्या कर शिव से शिवलिंग प्राप्त किया पर हर बार किसी न किसी वजह से वो धरती पर ही स्थापित हो गया।

कोटेश्वर के अलावा ऐसे दो अन्य शिव स्थल हैं झारखण्ड में देवघर और कर्नाटक में मुरुदेश्वर। यहाँ हमने अरब सागर में सीमा सुरक्षा बल की तैनाती को देखा और समझा की कहाँ से भारत और पाकिस्तान की सीमा अलग हो रही है। पूरा क्षेत्र का अवलोकन कर के आनंद ही आ गया और शिव दर्शनों ने जीवन को धन्य कर दिया।
कोटेश्वर महादेव से मात्र दो किलोमीटर की दूरी पर स्तिथ है नारायण सरोवर जिसकी गाथा मैं आपको जल्द सुनाऊँगा। ॐ नमः शिवाय।






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