कच्छ का रण:- मित्रों आज मै आपको भारत भूमि के ऐसे भूभाग पर
ले कर चल रहा हूँ, जो अपनी अनूठी भौगोलिक स्थिति की वजह पूरी दुनिया का दिल जीत
चुका है .....जी हाँ इस स्थान का नाम है, गुजरात के सौराष्ट्र में बसा “कच्छ का
रण” क्षेत्र. हर वर्ष यहाँ “रण उत्सव” का आयोजन किया जाता जिस जगह पर इस
महोत्सव का आयोजन होता है उसका गाँव का नाम है “धोरडू”. धोरडू की भुज से दूरी लगभग 80 किलोमीटर की है. सोने पे
सुहागा ये है अभी ये उत्सव चल रहा है और अभी इस साल ये उत्सव 20 फरवरी तक चलेगा.
गुजरात के सौराष्ट्र मे बसे “कच्छ का रण” भारत का एक अत्यन्त दुर्लभ भूभाग है, जो वर्ष के चंद ही महीने दीदार के लिए
उपलब्ध हो पाता है। भौगोलिक कारणों से समुद्र का पानी धरती से कई मील पीछे खिसक
जाता है और अपने पीछे छोड़ जाता है,
एक लम्बी सफ़ेद नमक की चादर। दूर दूर तक जहां नज़र दौड़ाओ बस यही सफ़ेद नमक की
चादर ही दिखाई पड़ती है। यकीन मानिए, यह नजारा भारत मे कही और देखने को नहीं मिलता
है। इन्ही सभी जगहों को देखने की उत्सुकता मुझे “कच्छ” की और ले चली. यहाँ कई
प्रजातियों के पक्षी भी देखने को मिल जाते हैं.
दिल्ली से ट्रेन द्वारा पालनपुर और फिर
पालनपुर से भुज होते हुए करीब 8 घंटे में धोरडू पहुंचा जा सकता है. सड़क बहुत बढ़िया
मिली, खैर !! गुजरात में सड़कों का तो मुकाबला ही नही, कहीं भी किसी भी डिस्ट्रिक्ट
में चले जाओ, सड़क तो बढ़िया मिलेगी ही मिलेगी. धोरडू से ठीक पहले एक स्थान आया
जहाँ, ऐसा माना गया है की वहां से कर्क रेखा गुजरती है. वहां सभी ने फोटो खिंचवाए
और निकल पड़े धोरडू की ओर.
धोरडू की टैंट सिटी देखकर हैरानी हुयी कि
कितने लाजवाब तरीके से गुजरात पर्यटन ने मेहमानों के लिए इंतजाम किए हुए थे। टैंट
सिटी के अन्दर वाहन ले जाना मना था। हम अन्दर बैटरी कार्ट मे गए। गुजरात पर्यटन ने
टैंट सिटी को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए टैंट सिटी के अन्दर घूमने के लिए साईकिल
की व्यवस्था कर रखी थी। हम अपने टैंट मे पहुँच गए। शाम के पांच बज चुके थे हमने
सबसे पहले सफ़ेद रण में सूर्यास्त देखने का निर्णय लिया. यहाँ मैं ये भी बताना
चाहूँगा की रण उत्सव में शरीक होने देसी ही नहीं विदेशी सैलानी भी भारी तादाद में
यहाँ पहुँचते हैं. करीब 20 मिनट में हम टेंट सिटी से रण में पहुँच गए. भारत में
असंख्य जगहों को घुमने के बाद मैं ये कह सकता हूँ की ऐसा नज़ारा मैंने कभी नहीं
देखा. ऐसा लग रहा था मानो किसी ने धरती पर झक सफ़ेद चादर बिछा दी थी और उस पर सूर्यास्त का नज़ारा, माहौल
को चित आकर्षक बना रहा था. चांदनी रात में यहाँ के भ्रमण यकीन मानिए किसी स्वर्ग
के नज़ारे से कमतर नहीं होगा. ऊंट की गाडी की सवारी और ऊंट तो मानो किसी हीरो से कम
नहीं लग रहे थे. लोग बेताबी से उनके साथ फोटो खिंचवाने का इंतज़ार कर रहे थे.
टैंटो की कुल तीन श्रेणियाँ उपलब्ध थीं,
इनमें सबसे महँगा ऐ सी डीलक्स टेंट था, साफ़ और आरामदायक बाथरूम टेंट के साथ ही
जुड़ा था. अन्दर एक छोटी बैठक और किसी भी वक़्त चाय कॉफ़ी बनाने के लिए इलेक्ट्रिक
केतली भी वहां मौजूद थी. रात को लाइव बैंड ने समा रंगीन बना दिया. इसके अलावा भी
कई सारे मनोरंजक कार्यक्रम उपलब्ध थे. रात्रि भोजन की व्यवस्था विशाल हाल मे बुफ़े
मे की गई थी। नाना प्रकार के पकवानों का रसास्वादन कर आनन्द ही आ गया। साथ मे लाइव
बैंड भी चल रहा था। सुबह जब हम उठे तो हल्की हल्की सर्दी लग रही थी। गरम पानी से
नहाने के बाद हम नाश्ता करने पहुँच गए। नाश्ता कर के मैंने यादगार के तौर पर
बच्चों के लिए टी शर्ट्स खरीद लीं. आप जब यहाँ आयेंगे तो धोरडू के साथ कई सारी
अन्य जगहों जैसे की काला डूंगर (जिसके बारे में मै एक ब्लॉग पहले ही लिख चूका
हूँ), नारायण सरोवर, कोटेश्वर महादेव एवं कोट लखपत (कोट लखपत गुरूद्वारे पर भी
मेरा ब्लॉग आ चुका है) जैसी जगहों को भी देख सकते हैं. अगले ब्लॉग में मैं आपको
कोटेश्वर महादेव की यात्रा पर ले कर चलूंगा. तो आप कब इस अनूठी जगह को देखने जा
रहे हैं??
Rann mahotsav ke baare mai itni jaankari dene ka bahut bahut dhanywaad rishi ji
ReplyDeleteThanks Naina ji
DeleteVery nice dear.
ReplyDeleteThanks Ashok ji
DeleteCommendable
ReplyDeleteThanks a lot Ritu ji
DeleteCommendable
ReplyDeleteWant to visit so bad .. very useful information ..
ReplyDeleteThanks Anurag
Deletewhat a great place sir!looking foreard to visit.
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