Thursday 17 November 2016

18 नवम्बर 1962 की भारत चीन युद्ध की वो रात और मेजर शैतान सिंह और साथियों की शहादत

प्रिय मित्रों,

सादर नमस्कार !!!

आज मैं पुन: उपस्थित हूँ, आपको एक ऐसे पुनीत स्थान की जानकारी देने के लिए जो एक “तीर्थ स्थान से कम नहीं है. 18 नवम्बर 1962 की वो रात जिसका जिक्र भारत के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से हमेशा हमेशा के लिए अंकित हो गया, इस गाथा को लिखने वाले का नाम था मेजर शैतान सिंह और इस जगह का नाम है, जम्मू कश्मीर राज्य में लद्दाख के चुशूल सेक्टर में बना “रेजांगला”. लगभग 18,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित चीन से सटी “चुशूल” हमारी अत्यंत महत्वपूर्ण चौकी है. यहाँ हमारी हवाई पट्टी भी भी थी जिसकी रक्षा करना नितांत आवश्यक था.

1962 के युद्ध में चीन को सबसे भारी क्षति यहीं चुशूल क्षेत्र में ही हुई थी, मेजर शैतान सिंह और उनके वीर अहीर सिपाहियों ने चीनियों के छक्के छुड़ा दिए थे। 13 कुमाउ रेजिमेंट के मेजर शैतान सिंह की वीरता के किस्से अत्यंत मशहूर हैं। उनके पेट और बाँहों में गोलियां लग चुकी थी, पर फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और अपने साथियों का हौसला बढ़ाते रहे. उनको पता था की उनके पास हथियार कम हैं और वो ज्यादा देर तक चीनी सैनिकों को चुनौती नहीं दे पाएंगे। वो चाहते तो पीछे भी हट सकते थे, जिसके बाबत उनको उच्च अधिकारियों से आदेश भी मिल चुके थे, पर फिर भी उन्होंने एक महावीर की तरह दुश्मन का सामना करने का निर्णय लिया। उन्होंने अपने साथी सैनिकों को वापस जाने का विकल्प भी दे दिया लेकिन उनके साथी सैनिक भी कम नहीं थे उन्होंने अपने मेजर साहब का मरते दम तक साथ देने का निर्णय लिया. 

अंत में 124 वीरों के दल में 114 भारत माता की सेवा करते हुए शहीद हो गए, पर चीनी सेना के 1310 को मार गिराया. चीन के लिए ये बहुत गहरी चोट थी. उनको इस असाधारण वीरता का प्रदर्शन करने पर “परमवीर चक्र” से सम्मानित किया गया. उनके अन्य साथियों नायक हुकम चंद, नायक गुलाब सिंह यादव, लांस नायक राम सिंह, सूबेदार रामचन्द्र को वीर चक्र से सम्मानित किया गया.

28 सितम्बर 2016 की रात जब मैंने चुशूल में अपने साथियों के साथ ITBP के कैंप में रात गुजारी तो रात का तापमान शून्य चला गया था तो सोचिये 18 नवम्बर 1962 को जब शैतान सिंह और उनके साथी सैनिकों का दल जब रात्रि में लड़ा होगा तो मौसम और ठण्ड का क्या हाल रहा होगा। कहा जाता है उस रात यानी की 18 नवम्बर को रात्रि तापमान लगभग शून्य से 25 डिग्री नीचे था और उनके पास समुचित मात्र में गरम कपडे भी उपलब्ध नहीं थे. ये सब सोच कर ही शरीर में कंपकपी छुट गई, मैंने मन ही मन उन सभी शूरवीरों को प्रणाम किया।

सुबह हमने देखा की भारतीय सेना ने मेजर शैतान सिंह को श्रधांजलि देने का एक अनूठा रास्ता खोजा हुआ था। यहाँ उनकी धर्मपत्नी के नाम पर “तारा पोस्ट”, पुत्री के नाम पर “हिना पोस्ट” और पुत्र रोहित के नाम पर “रोहित पोस्ट” बना रखी हैं। ऐसी सच्ची श्रधांजलि मैंने आज तक भारत में कहीं और नहीं देखी।

 मेजर शैतान सिंह जी के पुत्र रोहित आजकल सेना में ब्रिगेडियर के पद पर कार्यरत हैं और अपने पिता और दादा की तरह ही देश की सेवा में लगे हुए हैं। अतिथि गृह से निकल कर हम खुले मैदान की और बड़ने लगे जहाँ एक और भारत की पोस्ट हैं और सामने की और चीनी क्षेत्र साफ़ दिखाई देता है। आपके बायं हाथ पर चीन और दायं हाथ पर भारत क्या नज़ारा मिलता है देखने को.

करीब 20 किलोमीटर चलने के बाद आख़िरकार वो महान तीर्थ आ ही जाता है जहाँ रेजांगला के 114 शहीदों का स्मारक बना हुआ है। उन सभी 114 सैनिकों का अंतिम संस्कार भी इसी पुण्य भूमि पर हुआ था। युद्ध स्थल से 114 पत्थर ला कर यहाँ रखें गए हैं ताकि उनकी यादों को संजो कर रखा जा सके। 13 कुमाऊ के इन वीरों का नाम इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों से अंकित है। इन सभी शहीदों का कर्ज़ हम सभी भारतवासी कभी नहीं चुका सकते. जोधपुर के रहने वाले मेजर शैतान सिंह के नाम पर उत्तर पश्चिम रेलवे ने जोधपुर जैसलमेर खंड पर एक स्टेशन का नाम भी रखा है “शैतान सिंह नगर”.

इस स्मारक पर नमन करते समय आँखें नम हो गयी और मन अगाध श्रद्धा से भर उठा। अभी हाल ही में नेशनल बुक ट्रस्ट ने मेजर शैतान सिंह पर वीर गाथा सीरीज के तहत बच्चों के लिए कॉमिक्स भी निकाली है ताकि आगे आने वाली पीढ़िया भी ऐसे परम वीरों के बारे में जान सके और उनको सम्मान दे सके। ये बहुत ही स्वागत योग्य कदम है।

कल 18 नवम्बर है तो क्यूँ न इन वीरों को सच्चे मन से याद कर इनको श्रधांजलि अर्पित करें.
रेजांगला युद्ध स्मारक



114 शहीदों  की याद में युद्ध स्थल से लाए गए 114 पत्थर 


चुशूल में ही बना गोरखा रेजिमेंट का स्मारक 

एक तरफ चीन तो एक तरफ भारत





जय हिन्द, जय भारत. 

20 comments:

  1. Txs rishi.shayad kabhi is balidaan ko.nahi.jaan pati agar aap na batate to txs once again.

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  2. Gr8 efforts Sir, I am really glad to be in touch with u for getting such a Historic and precious Indian soldier's bravery actions.
    Thanks a lot and best of luck.

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  4. What a brave heart soldier's! Thanx 4 inspiration sir.

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  5. बहुत अच्छा प्रयास सर जी... ऐसे दुर्गम स्थान की यात्रा करने के लिए आप भी बधाई के पात्र हैं।

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    1. पहली बधाई आपको क्यूंकि मेरे से पहले आप यहाँ गए और आपके अनुभव का लाभ मैंने भी उठाया जिसके लिए आपका धन्यवाद

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  6. Nice to see such inspiring post rishi ji. we are in comfort zone only because of such brave soldiers who protect our border day and night they are heroes. I salute to them for their hard effort and their sacrifice. Thank you so much rishi ji

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    1. आपका बहुत बहुत धन्यवाद विन्ध्य जी

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  7. आपकी अदभुत यात्रा एवम देश रक्षक की अदभुत वीरगाथा अत्यंत हर्ष से मन को प्रफ्फुलित कर दिया

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  8. Very informative.Your passion keeps us updated about such places.Keep it up dear

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  9. Very informative.Your passion keeps us updated about such places.Keep it up dear

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  10. मेजर शैतानसिंह और 13 कुमाऊँ को सादर नमन।

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  11. बहुत अच्छा लिखा है ऋषि जी आपने , वीर हुतात्माओं को नमन

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  12. अदम्य साहस व वीरता के प्रतीक मेजर शैतान सिंह और उनके साथियों को नमन।।
    आपकी लेखनी को भी प्रणाम जो हमें हमारे गौरवमयी इतिहास से साक्षात्कार कराती है। धन्यवाद सर

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