आप सभी को ये तो
मालूम है की भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने 8 अप्रैल 1929 को केन्द्रीय असेंबली
यानि की आज के संसद भवन में बहरी अंग्रेजी हुकूमत को देश की आवाज़ सुनाने के लिए
बम्ब धमाके किये थे और उसके बाद उन्होंने स्वयं को पुलिस के हवाले कर दिया था. इस
केस की सुनवाई वाईस रीगल लॉज में हुई जहाँ वर्तमान में दिल्ली विश्वविद्यालय के उप
कुलपति यानि की वाईस चांसलर का दफ्तर है. आज मैं आपको उसी पवित्र कमरे (काल कोठरी
कहें तो ज्यादा बेहतर होगा) के दर्शन करवाने ले चल रहा हूँ जहाँ भगत सिंह को कुछ
दिनों के लिए कैद रखा गया यहाँ लगे बोर्ड को पढ़ कर पता चलता है की दिल्ली असेंबली
केस की सुनवाई मात्र 2 महीनों में पूरी कर ली गयी (जो की पूरी तरह से दिखावा ही था
क्यूंकि अंग्रेज तो पहले से ही भगत सिंह और बटुकेश्वर को दोषी मान चुके होंगे) और
12 जून 1929 को उन्हें मुजरिम भी करार दे दिया गया और फिर यहाँ से अविभाजित पंजाब
(आज का पाकिस्तान) के मियांवाली जेल में स्थानांतरित कर दिया गया.
ये स्थान उत्तरी
दिल्ली में विश्व विद्यालय मेट्रो स्टेशन से मात्र चंद मीटर की दूरी पर है. यकीन
मानिए इस कोठरी में आ कर शरीर का रोम रोम सक्रिय हो गया और दिलों के धडकनें बढ़ सी गयी.
कमरे में कहीं से भी हवा आने का स्थान नहीं है केवल एक छोटा जाला था, जिसे आजकल
बंद कर दिया गया है जिसमें शायद खाना धकेल दिया जाता होगा. ये कमरा वाईस रीगल लॉज
के बेसमेंट में बना हुआ है. वाईस रीगल लॉज का निर्माण वर्ष 1902 में हुआ. 1911 में
जब देश की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित हुई तो ये वाइसराय का अधिकारिक
निवास बन गया. 1912 से ले कर 1931 तक इसमें कुल 5 वाइसराय रहे. 1931 में गाँधी इरविन
समझौता भी इसी इमारत में हुआ. इमारत की निर्माण शैली में अंग्रेजों की परंपरागत वास्तु
कला की छाप साफ़ तौर पर दिखाई देती है. नेहरु गाँधी और अन्य कांग्रेसी नेताओं का
यहाँ आना जाना लगा रहता था.
दिल्ली विश्व विद्यालय की शुरुआत वर्ष 1922 में हुई और
फिर वर्ष 1933 में इस ऐतिहासिक इमारत को दिल्ली विश्व विद्यालय को सौंप दिया गया. यहाँ
भगत सिंह वाले कमरे के अलावा कई सारी ऐसी तस्वीरें भी लगीं हैं जो हमें इतिहास के कई
सारे महत्वपूर्ण पहलुओं से रूबरू करवाती
है. मैं स्वयं को भाग्यशाली मानता हूँ कि मुझे भगत सिंह से जुड़े इस पवित्र स्थान
पर नमन करने का मौका मिला. तस्वीरों के माद्यम से आप भी इस स्थान के दर्शन कीजिये.
जय हिन्द.
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