आज भारत माता के एक ऐसे महान सपूत का जन्मदिवस है जिसने अंग्रेजों से जलियांवाला बाग़ हत्या कांड का बदला लेना अपने जीवन का एक मात्र लक्ष्य बना लिया और इस कांड के रचनाकार अंग्रेज अफसर माइकल ओड वायर की हत्या कर भारत वासियों को गौरान्वित किया। भारत माता के ऐसे सिपाही का नाम था उधम सिंह।
उधम सिंह जी का जन्म 26 दिसंबर 1899 को पंजाब के संगरूर जिले में हुआ पर उनके माता पिता जी देहांत बचपन में ही हो गया था उनकी परवरिश अमृतसर के पुतलीघर में स्तिथ अनाथ आश्रम में हुई. उनकी शिक्षा दीक्षा भी यहीं हुई. जलियांवाला कांड के वो प्रत्यक्ष दर्शी बने और इसी वजह से दिन रात उनके दिलो दिमाग पर जलियांवाला बाग ही छाया रहता उन्होंने प्रण ले लिया था के किसी तरह से डायर की हत्या कर के पंजाब की और हिंदुस्तान की अस्मिता पर लगे दाग को हमेशा के लिए मिटाना है. उन्होंने इसी को अपने जीवन का मकसद बना लिया. उधम सिंह कौमी एकता के बड़े पक्षधर थे इसीलिए उन्होंने अपना नाम राम मोहम्मद सिंह आज़ाद भी रख लिया.
अमेरिका में उनका जाना हुआ तो वो ग़दर पार्टी के संपर्क में आ गए और भगत सिंह के कहने पर वहां से अपने साथ 25 क्रांतिकारियों और बहुत से हथियार ले कर के आए ताकि भारत में चल रही क्रांति को गति प्रदान की जा सके. परन्तु, किसी तरह अंग्रेजों को इसकी भनक लग गयी और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. कुछ वर्ष बाद जब जेल से छूटने के बाद 1934 में अपना लक्ष्य पूरा करने लन्दन पहुँच गए. वहां अपना मकसद पूरा करने के लिए दिन रात लगे रहते इस काम को अंजाम देने के लिए उन्होंने एक पिस्तौल खरीदी और छह कारतूस भी खरीद लिए और इस काम को अंजाम देने के लिए माकूल समय का इंतज़ार करने लगे अन्त: जलियांवाला बाग हत्याकांड के 21 साल बाद 13 मार्च 1940 को रायल सेंट्रल एशियन सोसायटी की लंदन के काक्सटन हाल में जैसे ही माइकल ओड वायर आया तो उधन सिंह जिन्होंने अपनी पिस्तौल एक मोटी किताब को फाड़ कर उसमे छुपा रखी थी, निकाल कर डायर की छाती में उतार दिया और इस तरह हजारों बेक़सूर भारतीयों की हत्या का बदला ले लिया, अंग्रेजों की धरती पर अंग्रेजी अफसर को मार कर उन्होंने सिद्ध कर दिया दी हिंदुस्तानीं क्रन्तिकारी के जज्बे में किसी प्रकार की कमी नहीं है. पूरी अंग्रेज सरकार हिल गयी. अंत: उनको 31 जुलाई 1940 को जेल में ही फाँसी पर टांग दिया गया. आज एक अन्य शूरवीर कारगिल युद्ध के नायक लेफ्टिनेंट विजयंत थापर का भी जन्मदिन है उनको भी शत शत नमन।
साभार
देशभक्ति के पावन तीर्थ
लेखक :ऋषि राज
प्रकाशक :प्रभात प्रकाशन
इन शूरवीरों के जन्मदिवस पर ऋणी राष्ट्र की और से शत शत नमन।
🇮🇳🇮🇳🌼🇮🇳🇮🇳🌸🇮🇳🇮🇳🍃🇮🇳🇮🇳
उधम सिंह जी का जन्म 26 दिसंबर 1899 को पंजाब के संगरूर जिले में हुआ पर उनके माता पिता जी देहांत बचपन में ही हो गया था उनकी परवरिश अमृतसर के पुतलीघर में स्तिथ अनाथ आश्रम में हुई. उनकी शिक्षा दीक्षा भी यहीं हुई. जलियांवाला कांड के वो प्रत्यक्ष दर्शी बने और इसी वजह से दिन रात उनके दिलो दिमाग पर जलियांवाला बाग ही छाया रहता उन्होंने प्रण ले लिया था के किसी तरह से डायर की हत्या कर के पंजाब की और हिंदुस्तान की अस्मिता पर लगे दाग को हमेशा के लिए मिटाना है. उन्होंने इसी को अपने जीवन का मकसद बना लिया. उधम सिंह कौमी एकता के बड़े पक्षधर थे इसीलिए उन्होंने अपना नाम राम मोहम्मद सिंह आज़ाद भी रख लिया.
अमेरिका में उनका जाना हुआ तो वो ग़दर पार्टी के संपर्क में आ गए और भगत सिंह के कहने पर वहां से अपने साथ 25 क्रांतिकारियों और बहुत से हथियार ले कर के आए ताकि भारत में चल रही क्रांति को गति प्रदान की जा सके. परन्तु, किसी तरह अंग्रेजों को इसकी भनक लग गयी और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. कुछ वर्ष बाद जब जेल से छूटने के बाद 1934 में अपना लक्ष्य पूरा करने लन्दन पहुँच गए. वहां अपना मकसद पूरा करने के लिए दिन रात लगे रहते इस काम को अंजाम देने के लिए उन्होंने एक पिस्तौल खरीदी और छह कारतूस भी खरीद लिए और इस काम को अंजाम देने के लिए माकूल समय का इंतज़ार करने लगे अन्त: जलियांवाला बाग हत्याकांड के 21 साल बाद 13 मार्च 1940 को रायल सेंट्रल एशियन सोसायटी की लंदन के काक्सटन हाल में जैसे ही माइकल ओड वायर आया तो उधन सिंह जिन्होंने अपनी पिस्तौल एक मोटी किताब को फाड़ कर उसमे छुपा रखी थी, निकाल कर डायर की छाती में उतार दिया और इस तरह हजारों बेक़सूर भारतीयों की हत्या का बदला ले लिया, अंग्रेजों की धरती पर अंग्रेजी अफसर को मार कर उन्होंने सिद्ध कर दिया दी हिंदुस्तानीं क्रन्तिकारी के जज्बे में किसी प्रकार की कमी नहीं है. पूरी अंग्रेज सरकार हिल गयी. अंत: उनको 31 जुलाई 1940 को जेल में ही फाँसी पर टांग दिया गया. आज एक अन्य शूरवीर कारगिल युद्ध के नायक लेफ्टिनेंट विजयंत थापर का भी जन्मदिन है उनको भी शत शत नमन।
साभार
देशभक्ति के पावन तीर्थ
लेखक :ऋषि राज
प्रकाशक :प्रभात प्रकाशन
इन शूरवीरों के जन्मदिवस पर ऋणी राष्ट्र की और से शत शत नमन।
🇮🇳🇮🇳🌼🇮🇳🇮🇳🌸🇮🇳🇮🇳🍃🇮🇳🇮🇳