प्रिय मित्रों सादर नमस्कार !!!
वर्ष का अंतिम महीना चल रहा है, आशा है आप सभी नववर्ष के आगमन की
प्रतीक्षा कर रहे होंगे. आज मैं आपको ले कर चल रहा हूँ भोले नाथ जी की प्रथम
ज्योतिर्लिंग यात्रा पर, जो गुजरात के सौराष्ट्र के प्रभास क्षेत्र में स्थित है
और इस ज्योतिर्लिंग का नाम है “सोमनाथ”. इस मंदिर की स्थापना चंद्रदेव ने किया था.
ऋग्वेद में भी इस स्थान का उल्लेख मिलता है. सोमनाथ जाने के लिए नजदीकी स्टेशन पश्चिम
रेलवे का “वेरावल” व् सोमनाथ है। सोमनाथ की अहमदबाद से दूरी लगभग 410 किलोमीटर है.
हिन्दू पुराणों के अनुसार जिस जिस स्थान पर भोले नाथ प्रकट हुए थे वहीँ
ज्योतिर्लिंगों की स्थापना हुई है. हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दाद्श
ज्योतिर्लिंग अत्यंत पवित्र स्थल माने गए हैं. शिव पुराण में बारह ज्योतिर्लिंगों
के नाम निम्न लिखित हैं :-
सौराष्ट्र
सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम
उज्जयिनयां
महाकल्मोकारे परमेश्वरम
केदारं
वित्प्रष्ठे डाकिन्यां भीमशंकरम
वाराणस्यां च
विश्वेसं त्रियंबकं गौतमीतेटे
वैद्यनाथं
चिताभूमौ नागेशं दारुकावने
सेतुबन्धे च
रामेशंवर घुश्मेशं तू शिवालये
द्वादशेतानि
नामानि प्रातरूत्थाय यः पठेत
सर्वपौर्विर्निर्मुक्त
सर्वसिद्धिफलं लभेत
इतिहास में कई
बार यह मंदिर को कम से कम छह बार तोड़ा गया व लूटा गया. इस पर हमला करने वालों में
प्रमुख नाम थे गजनी, अल्लाउदीन खिलजी, ज़फर खान, महमूद बगदा व् औरंगजेब. सरदार पटेल
कहते थे किसी भी संस्कृति को नष्ट किया जा सकता है पर मिटाया नहीं जा सकता. सोमनाथ
इसका जीता जागता उदहारण है. इसको जितनी बार तोडा गया उसके बाद उतना ही भव्य इसका
पुनर्निर्माण हुआ. ये मंदिर केवल गुजरात ही नहीं अपितु समूचे हिन्दू समाज के गौरव की
ज्वलंत मिसाल है. वर्तमान भवन के पुनर्निर्माण का आरंभ भारत की स्वतंत्रता के
पश्चात् सरदार वल्लभभाई पटेल ने करवाया जिसका उद्घाटन तत्कालीन राष्ट्रपति डाक्टर राजेन्द्र प्रसाद
जी ने किया उसके पश्चात् इसके नवीनीकरण का पुन: उद्घाटन पहली दिसंबर 1995
को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने किया।
यहाँ का शिवलिंग एवं मंदिर भारत के अन्य सभी ज्योतिर्लिंगों में सबसे
विशाल एवं अनूठा है। अरब सागर के तट पर इस मंदिर की बनावट बहुत वृहद है और मंदिर बहुत
ही विशाल एवं सुंदर दिखाई देता है। भोले नाथ की कृपा से मुझे यहाँ अब तक तीन बार
जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। मंदिर
परिसर में सभी 12 ज्योतिर्लिंगों की झांकी
लगाई गई है तथा सम्पूर्ण जांकारी दी गई है जो बहुत ज्ञानवर्धक है। सभी मंदिरों की भांति
यहाँ भी विशेष पूजा की व्यवस्था है परंतु एक विशेष बात यहाँ गंगाजल से जलाभिषेक
करने की। अगर आप निश्चित मूल्य देकर जलाभिषेक पूजा करते हैं तो आपके द्वारा चड़ाया
गया जल शिवलिंग से करीब 15 फीट पहले बने स्थान पर डाल दिया जाता है और फिर मोटर द्वारा वो जल
स्वतः ही शिवलिंग तक पहुँच जाता है। ऐसा अनूठा प्रयोग मैंने सिर्फ यहीं देखा। मुख्य
मंदिर के सामने ही एक पुराना मंदिर है जिसका निर्माण अहिल्या देवी ने करवाया था। कहा
जाता है कि मूल पुरातन शिवलिंग इसी मंदिर में है पर एक खास बात मुझे सोमनाथ की यह
लगी कि यहाँ मुझे कभी भी बहुत भीड़ नहीं मिली या शायद परिसर ही इतना बड़ा है जिसमें
भीड़ समा जाती है और पता ही नहीं चलता चाहे जितनी भी भीड़ हो।
मंदिर प्रांगण
में रात साढ़े सात से साढ़े आठ बजे तक एक घंटे का साउंड एंड लाइट शो चलता है, जिसमें सोमनाथ मंदिर
के इतिहास का बड़ा ही सुंदर सचित्र वर्णन किया जाता है।
सोमनाथ के बिलकुल पास ही तीन नदियां हिरण, कपिला व् सरस्वती नदियाँ में
मिलती हैं इसे त्रिवेणी घाट संगम भी कहा जाता है.
इससे पहले मैं आपको ले जा चुका हूँ भीमा शंकर ज्योतिर्लिंग की यात्रा
पर, आशा करता हूँ जल्द ही आपको बाकी दस ज्योतिर्लिंगों की यात्रा पर भी जल्द ही ले
कर चलूंगा. तब तक हर हर महादेव.
श्री सोमनाथ मंदिर |
सोमनाथ मंदिर वर्ष 1895 फोटो श्री नेल्सन/ब्रिटिश लाइब्रेरी |
फोटो गूगल |
अहिल्याबाई द्वारा स्थापित मंदिर |
ૐ નમઃ શિવાય. ॐ नमो शिवाय।
ReplyDeleteGreat article sir,couldn't be write much better summarizing all information in a post.
ReplyDeleteVery nice and informative.Har har mahadev.
Deleteध्न्यवाद
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