Exploring India with Rishi
प्रिय मित्रों
सादर नमस्कार!!
आज के दिन अमर शहीद परमवीर चक्र अब्दुल हमीद 1965
की जंग में खेमकरण सेक्टर के असाल उत्ताड या असल उत्तर क्षेत्र में दुश्मन के सात
टैंकों को मिटटी में मिलाने के बाद शहीद हो गए थे. उनकी पुण्यतिथि पर उनको शत शत
नमन.
आज मै आपको उसी स्थान पर ले कर चलता हूँ जहाँ
उन्होंने देश के लिए शहादत दी थी. पहले उनके बारे में कुछ जान लेते हैं. इनका जन्म उत्तर प्रदेश के गाजीपुर
जिले के धामुपुर में 1 जुलाई 1933 को हुआ. छ फुट दो इंच लम्बी कद काठी के अब्दुल
हमीद शुरू से ही देश के लिए कुछ करना चाहते थे. सेना में आने से पहले ये दर्जी का
काम किया करते थे. चौदह वर्ष की आयु में इनका विवाह रसूलन बीबी से हो गया और इनके
पांच बच्चे हुए एक बेटी और चार बेटे. फिर एक दिन जब सेना का भर्ती कैंप इनके गाँव
में लगा तो मानो इनकी जन्मजन्मान्तर की इच्छा पूरी हो गयी.
1962 के युद्ध में भारत
के लिए कुछ ख़ास न कर पाने का मलाल इनके मन में था और हर पल देश के लिए कुछ कर
दिखने की सोचते रहते थे. 10 सितम्बर 1965 में इन्हें खेमकरण सेक्टर के असाल उत्ताड
में अपनी रेजिमेंट 4 ग्रेनेदिएर्स के साथ भेजा गया जहाँ ये अपनी जीप से जो की
मोबाइल राकेट लांचर (आर सी एल गन) से लैस थी जा जा कर दुश्मनों के पैटन टैंक को
निशाना बनाती थी. कहा जाता है के इन्होने अपने दम पर दुश्मन के सात पैटन टैंक को
धुल में मिला दिया. और फिर दुश्मन ने इनको अपना निशाना बना डाला और अन्त: १०
सितम्बर 1965 को अब्दुल हमीद वीर गति को प्राप्त हो गए. उनका यहाँ मजार भी है.
पिछले वर्ष प्रधानमंत्री मोदी जी भी यहाँ नमन करने आए थे. उनको इस बलिदान के लिए परमवीर चक्र से नवाज़ा
गया. असाल उत्ताड के पास ही भिखीविंड गाँव में पैटन टंको की कब्रगाह बना दी गयी
यहाँ करीब 97 पाकिस्तानी पैटन टंको को लाइन में खड़ा किया गया. युद्ध इतिहास में
इतने सारे टंको को नेस्तुनाबूद करने का ये अनूठा मौका था.
आप जब भी अमृतसर या फिरोजपुर जायें तो यहाँ नमन
करने जरूर जायें.
जय हिन्द जय भारत
Man who showed his patriotism over religion,that too not much after portion.our valuations to his pious soul and thanks to explorers like u who will never tell these heroes forgotten.
ReplyDeletePlease read it much after partition.
ReplyDeletePlease read it much after partition.
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