Wednesday 8 April 2020

बैरकपुर : मंगल पांडे का बलिदान स्थल


8 अप्रैल का दिन भारत के इतिहास में अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्यूंकी आज ही के दिन 1857 को भारत के स्वाधीनता की पहली सशस्त्र क्रांति के नायक मंगल पांडे को अंग्रेजों ने फांसी दे दी थी। पश्चिम बंगाल के बैरकपुर में वो स्थान आज भी मौजूद है जहां मंगल पांडे को फांसी दी गयी थी। कितने ही दिनों या कहें बरसों की कोशिशें जो हमारे क्रांतिकारी अङ्ग्रेज़ी हुकूमत के खिलाफ कर रहे थे, पल भर में खाक हो गयी। बैरकपुर में ही अंग्रेजों ने अपनी पहली सैनिक छावनी स्थापित की थी।

मंगल पांडे अंग्रेजों की 34वीं बंगाल नेटिव इन्फेंट्री की पैदल सेना में सिपाही थे और बैरकपुर में नियुक्त थे. 20 मार्च 1857 को सैनिकों को एक नए प्रकार की “एन्फ़िलड” की बंदूकें दी गयी, जिसमे नए प्रकार के कारतूस दिए गए, जिन्हें खोलने के लिए मुंह से लगा कर दांतों का प्रयोग करना पड़ता था. यही बात हिन्दू ब्राहमण परिवार में जन्मे मंगल पांडे को चुभ गयी और उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति का बिगुल बजा दिया. कई इतिहासकार इसे मात्र बगावत मानते हैं, जबकि अंग्रेजी हुकूमत के विरुद्ध ये पहली सशस्त्र क्रांति थी।

जहाँ मंगल पांडे को फांसी दी गयी वो स्थान बैरकपुर की पुलिस अकादमी के अन्दर है. यहाँ उस जगह को देख कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं, कैसे उस शूरवीर ने अकेले ही अङ्ग्रेज़ी हुकूमत को ललकारा होगा जबकि अपने अंत से वो अच्छी तरह से वाकिफ थे। भारतीय स्वतन्त्रता के एक सच्चे नायक मंगल पांडे को शत शत नमन।







साभार
देशभक्ति के पावन तीर्थ
लेखक : ऋषि राज
प्रभात प्रकाशन

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