Saturday 14 December 2019

फ्लाइंग ऑफिसर निर्मल जीत सिंह सेखों को उनके बलिदान दिवस पर नमन

मित्रों, आज का दिन न केवल वायु सेना बल्कि देश के इतिहास में भी अत्यंत यादगार है, क्योंकि आज ही के दिन, 14 दिसम्बर 1971 को पाकिस्तान द्वारा श्रीनगर एयर बेस पर अचानक हुए हमले को फ्लाइंग ऑफिसर निर्मल जीत सिंह सेखों ने अपने प्राणों का बलिदान दे कर उस हमले का मुँह तोड़ जवाब दिया था. आज का ब्लॉग उनकी शहादत को समर्पित है.  
 
वायु सेना को आज तक केवल एक बार ही परमवीर वीर मिला है और वो मिला है शूरवीर निर्मल जीत सिंह सेखों को. 17 जुलाई 1945 को पंजाब के लुधियाना में इनका जन्म हुआ. इनके पिता जी भी भारतीय वायु सेना में थे. बचपन से ही इनका जहाज़ उड़ाने का सपना था. यही सपना जूनून बना और ये वायु सेना में फाइटर पायलट बन गए. 1971 के युद्ध में उनकी तैनाती श्रीनगर एयर बेस पर थी. पाकिस्तान यहाँ हमला करने के नापाक मंसूबे बना चुका था. पाकिस्तान ने प्लान बनाया की पुंछ के पहाड़ों तक वो लो फ्लाइंग करेंगे और पुंछ से एक दम 16000 फीट पर अपने लड़ाकू जहाजों को उठा लेंगे. उनको पता था पुंछ के बाद ही वो भारतीय वायु सेना के राडार द्वारा दिखाई दी सकते हैं लेकिन तब तक भारतीय वायु सेना को सँभालने का समय नहीं मिलेगा क्योंकि पुंछ से श्रीनगर की हवाई दूरी केवल 6 मिनट की थी. इसी प्लान के साथ उन्होंने 14 दिसंबर 1971 को श्रीनगर एयर बेस पर हमला बोल दिया. भारत के लिए करो या मरो की स्तिथि आ गयी क्योंकि श्रीनगर एयर बेस को हर हाल में बचाना जरूरी था. 

गोलाबारी के बीच एक नौजवान सिख किसी तरह बचते बचाते अपने विमान तक आया और उड़ान भरते ही पाकिस्तानी विमानों को निशाना बनाने लगा देखते ही देखते दुश्मन के खेमे में हलचल मच गयी उनका इस बात का इल्म नहीं था की ऐसा भी हो सकता है. सेखों ने दुश्मन के दो विमानों  को तहस नहस कर दिया पर उनकी संख्या ज्यादा थी. सेखों के विमान में आग लग गयी और जब वो पैराशुट से कूदे तो बच नहीं पाए और शहीद हो गए. उनको मरणोपरांत परमवीर चक्र से नवाज़ा गया. दिल्ली के एयर फ़ोर्स म्यूजियम में उनकी प्रतिमा लगी हुई है जहाँ उनका विमान भी दिखाया गया है. लुधियाना शहर में भी उनकी प्रतिमा लगी हुई है. 
ऐसे निर्भीक, महावीर और जांबाज़ को हमारा शत शत नमन. जय हिन्द, जय भारत.

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