Wednesday 27 September 2017

शहीद ए आज़म भगत सिंह के जन्मदिन पर उनके पैतृक निवास पर नमन

प्रिय दोस्तों,

सादर नमस्कार !!!

कल यानि 28 सितंबर को मेरे और मेरे जैसे करोड़ों नौजवानों के प्रेरणा स्रोत शहीद-ए- आज़म सरदार भगत सिंह जी का जन्मदिन है, माता विध्यावती जी ने कोई आम बालक नहीं अपितु एक शेर को जन्म दिया था, जो भले ही आज हमारे बीच नहीं है पर जब तक धरती, चाँद और सितारे रहेंगे भगत सिंह जी की याद हमारे जेहन में खुशबू की तरह महकती रहेगी.

इस पवित्र अवसर पर मैं आपको ले कर चल रहा हूँ, पंजाब के खटकड़ कलां, जहाँ भगत सिंह जी का पुश्तैनी मकान आज भी उस महान शहीद की शूर वीरता की गाथाएँ बयां कर रहा है. भगत सिंह जी का जन्म 28 सितम्बर 1907 को गाँव बंगा, जिला लायलपुर, पाकिस्तान (अविभाजित भारत) में हुआ था, लेकिन उनके जन्म के कुछ ही समय बाद उनका परिवार यहाँ, यानि की पंजाब के खटकड़ कलां आ गया था. इसी पवित्र स्थान पर भगत सिंह जी ने अपने जीवन के कई वर्ष बिताए हैं इसी घर में उनको ऐसे संस्कार मिले जिससे उनको देश पर बलिदान करने की प्रेरणा मिली होगी.  

इस पवित्र वो खेत आज भी मौजूद हैं, जहाँ नन्हा भगत सिंह अनाज के तरह ही बंदूकें उगाना चाहता था, ताकि भारत माँ को जल्द से जल्द आज़ादी दिलवाई जा सके. इस पैतृक निवास में आप देख सकते हैं उनके जीवन से जुडी तमाम वस्तुएं जिनका उन्होंने इस्तेमाल किया था, जैसे की चारपाई, बर्तन, अलमारी, चूल्हा, चक्की  और  पुराने ट्रंक. इसी घर के आँगन में एक कुआँ भी है. इस पैतृक निवास से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर बना है भगत सिंह जी म्यूजियम जहाँ भगत सिंह राजगुरु और सुखदेव का अस्थि कलश आज भी संजो कर रखा हुआ है, यहाँ भगत सिंह राजगुरु और सुखदेव के खून से सना अख़बार भी रखा हुआ है, इसके अलावा यहाँ भगत सिंह की जन्मपत्री उनके परिवार वालों और अन्य क्रन्तिकारी मित्रों की तस्वीरें और उनकी हड्डियों के कुछ अवशेष भी यहाँ रखे हुए हैं. यहाँ वो कलम भी संभाल कर रखी गयी जिसके इन शहीदों की फांसी की सजा लिखी गयी थी. उनका मृत्यु आदेश पत्र भी यहाँ आप देख सकते हैं. इस संग्राहलय को देख कर शरीर का रोम रोम सक्रिय हो जाता है और सिर अगाध श्रद्धा से झुक जाता है.

हर भारतीय को अपने जीवन काल में इस पवित्र स्थान पर एक बार तो अवश्य ही जाना, आख़िरकार आज़ादी की फिज़ा में जो सांस हम ले पा रहे हैं वो इन्ही शहीदों की कुर्बानियों का नतीजा ही है.

शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले
वतन पर मरने वालों का बाकी यही निशां होगा

इस पवित्र दिवस पर ऋणी राष्ट्र की ओर से भगत सिंह जी को शत शत नमन. 

स्रोत :- देशभक्ति के पावन तीर्थ (प्रभात प्रकाशन)















3 comments:

  1. ऋणी राष्ट्र के नागरिक का सत सत प्रणाम।

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  2. जब तक सूरज चाँद रहेगा।
    भगत सिंह तेरा नाम रहेगा।।
    शत शत नमन।।

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