प्रिय
मित्रों,
सादर नमस्कार !!
अपने वायदे अनुसार,
आज आपको
उत्तराखंड के दूसरे धाम यमुनोत्री धाम की यात्रा पर ले कर चल रहा हूँ. यमुना
सूर्य और देवी संजना
की पुत्री है और यम की बहन है, इसी वजह से इनको यमुना नाम मिला . यमुनोत्री का वास्तविक स्त्रोत्र एक बर्फ की जमी हुई झील है, जिसे चंपासर ग्लेशियर कहते हैं. यह “कालिंदी पर्वत” पर स्थित है. ब्रह्मांड पुराण और ॠग्वेद
में भी “यमुना” का उल्लेख मिलता है। ऐसा भी माना जाता है की पाण्डव भी यमुनोत्री धाम
की पावन यात्रा पर आए थे. भगवान श्री कृष्ण ने अपनी कई लीलाएँ यमुना के तट पर ही की थी. यमुना से उन्हें
भी बहुत प्रेम था. इन सभी कारणों से हिन्दू शास्त्रों में “यमुना” को माँ का दर्जा
दिया गया है. हमारे देश में करीब 6 करोड़ लोग
आजीविका के लिए प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से माँ यमुना पर आश्रित हैं.
यमुना यमुनोत्री
मंदिर 10000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. यमुनोत्री के कपाट भी अक्षय तृत्या पर
खुलते हैं और भाईदूज
के दिन श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए जाते है और इस दौरान माँ यमुना कि मूर्ति को पास ही के “खरसाली” गाँव में बड़े धूम धाम से ले जाया जाता है और फिर यहाँ के पंडित एवं पुरोहित इनकी पूजा करते है.
मेरे दिल्ली के
मित्र शायद ये सोच रहे हैं के मैं भला किस यमुना की बात कर रहा हूँ, क्यूंकि
दिल्ली आते आते यमुना का जल अत्यंत प्रदूषित हो जाता है, स्नान तो दूर, इसके जल का
आचमन करते हुए भी दिल घबराता है. दोस्तों, यमुनोत्री जा कर यमुना का स्वच्छ और
निर्मल जल देख कर आत्मा प्रसन्न हो जाती है. वहां पूजा के दौरान मैंने माँ यमुना
से एक ही प्रार्थना करी कि माँ कभी मेरे शहर दिल्ली में भी ऐसी निर्मल धारा के साथ
आओ. पर प्रदुषण तो मानव रचना है भला माँ को इसमें कैसे दोषी ठहरा सकते हैं??
यमुना नदी की कुल
लम्बाई 1376 किलोमीटर है, उत्तराखंड, हरियाणा, दिल्ली और अन्त:
उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में यमुना का
संगम माँ गंगा के साथ हो जाता है. यमुनोत्री मंदिर उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले में स्थित है. एक ज़माने में वाहन केवल
हनुमान चट्टी जाते थे वहां से मुख्य मंदिर की चढाई 14
किलोमीटर थी, अभी कुछ वर्ष पूर्व ही सड़क मार्ग को जानकी चट्टी तक विस्तृत कर दिया गया है, अब वाहन जानकी चट्टी तक जाते हैं.
यहाँ से मुख्य मंदिर केवल 6 किलोमीटर रह गया है. जानकी चट्टी में गढ़वाल मंडल
विकास निगम का रेस्ट हाउस है. यहाँ से बर्फ से ढकी चोटियाँ देख कर मन प्रफुल्लित
हो जाता है. हमने ये यात्रा मई 2015 में की थी उस समय दिल्ली का तापमान लगभग 42
डिग्री था यहाँ जानकी चट्टी में रात को रजाई ओढ़ कर सोना पड़ा था.
पर अभी भी ये चढाई
अच्छे अच्छों के पसीने छुड़ा देती है. यहाँ साफ़ लिखा है की अगर आपको
ब्लड प्रेशर, शुगर या कोई अन्य बीमारी है तो आप खच्चर से जायें. बुजुर्गों के लिए यहाँ कंडी (टोकरी) भी मिल जाती है जिसमे पीछे बैठ कर वो आराम से मंदिर तक पहुँच सकते हैं.
रास्ते का नज़ारा तो मन को मोह लेता है.
बर्फ से ढकी चोटियाँ चढाई कर रहे यात्रिओं में स्फूर्ति का नया संचार कर देती हैं.
यमुनोत्री पहुंचते ही सबसे पहले गौरीकुंड में स्नान
करके यात्री अपनी यात्रा की थकान दूर करते है . मंदिर प्रांगण में एक विशाल शिला स्थल है और इसे “दिव्य शिला” के नाम से जाना जाता है, इस शिला को दिव्य ज्योति शिला के नाम से भी जाना जाता है . माँ यमुना की पूजा करने से पहले भक्त इस शिला की पूजा करते है . दिव्य
शिला के निकट ही पानी के मुख्य
स्त्रोतों में से एक सबसे सुप्रसिद्ध कुंड सूर्य कुंड है जो गरम पानी का स्त्रोत है . यह कुंड अपने उच्तम तापमान के लिए विख्यात है, कहा जाता है कि इस कुंड में स्वयं सूर्य भगवान
एक किरण के रूप में विध्यमान है . भक्तगण देवी यमुना को प्रसाद के रूप में चढ़ाने के लिए कपडे कि पोटली
में चावल बांध कर इसी कुंड के जल में पकाते है . देवी को प्रसाद चढ़ाने
के पश्चात इन्ही
पकाए गए चावलों को घर ले जाया जाता है और प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है .
ज्यादा जानकारी के लिए आप
गंगोत्री यमुनोत्री यात्रा पर बनी मेरी डाक्यूमेंट्री फिल्म भी देख सकते हैं जो यू
ट्युब पर मेरे चैनल यानि की Exploring India with Rishi पर उपलब्ध है. या आप इस लिंक पर भी क्लिक
कर के जा सकते हैं https://www.youtube.com/watch?v=_5B0DNoMXlc&t=25s.
जल्द ही आपको बद्री विशाल की
यात्रा पर ले कर चलेंगे तब तक, जय बद्री विशाल.