Wednesday 12 April 2017

13 अप्रैल : जालियांवाला बाग के शहीदों को नमन

प्रिय मित्रों
सादर नमस्कार !!

बैसाखी के पावन पर्व पर आप सभी को शुभकामनाएँ. आज का दिन बहुत ऐतिहासिक है क्यूंकि आज ही के दिन अमृतसर के जालियांवाला बाग में निहत्थे और मासूम भारतीयों को दमनकारी अंग्रेजी सरकार ने गोलियों से भून दिया था. भारत का इतिहास जालियांवाला बाग के बारे में लिखे बिना सदैव अधुरा ही रहेगा. भारत के स्वतंत्रा आन्दोलन में इतना बड़ा और जघन्य हत्याकांड कभी भी कहीं भी अंग्रेज सरकार ने नहीं किया. इस बर्बर्पुरण कृत्य के लिए हिंदुस्तान कभी भी अंग्रेजी हुकूमत को माफ़ नहीं कर सकता. इस कांड की पीड़ा को आज भी हम महसूस करते हैं. यहाँ जा कर हर हिन्दुस्तानी की आँख नम हो जाती है और मन में क्रोध की अग्नि प्रव्ज्वालित हो जाती है जब हम दीवारों पर बने गोलियों के निशानों को देखते हैं. ऐसा लगता है गोलियों के निशान दीवारों पर नहीं अपितु किसी ने हमारे दिल की दीवारों को कुरेद कर बना दिए हैं. हमारे स्वतंत्रा संग्राम का ये महानतम प्रतीक एक महातीर्थ है जहाँ अगर जीवन में एक बार जा कर सीस नहीं नवाया तो हिंदुस्तान की पावन धरती पर जन्म लेना ही व्यर्थ है.






बचपन से ही हम सभी जालियांवाला बाग की गाथाएं सुनते और पढ़ते चले आ रहे हैं, कैसे निहत्थे हिन्दुस्तानियों पर अंग्रेज अफसर डायर ने गोलियों की बोछार कर दी थी और कैसे एक मैदान चंद मिनटों में ही खून से सने स्थान और लाशों के ढेर में परिवर्तित हो गया था. जालियावाला कांड को समझने से पहले हमको उस दौरान चल रही राजनीतिक घटनों को जानना होगा जिनकी वजह से अंग्रेज इतने हताश हो गए की उनको इसके अलावा कोई रास्ता सुझा ही नहीं.

कहा जाता है की पंजाब के तत्कालीन लेफ्टिनेंट गवर्नर माइकल ओड वायर ने ही इस नरसंहार का ताना बाना जरनल डायर के साथ बुना था. वो किसी भी तरीके से पंजाब के लोगों को ऐसा सबक सिखाना चाहते थे जो उनको गहरी चोट पहुंचा दी और हुआ भी ऐसा था.

ओर फिर 13 अप्रैल 1919 का दिन इस दुर्दांत घटना को अंजाम देने के लिए चुना गया. सिख पंथ की स्थापना इसी दिन हुई थी और पंजाब का प्रमुख त्यौहार बैसाखी भी इसी दिन मनाया जाता है. पंजाब के लोगों के घावों पर नमक छिड़कने का इससे अच्छा तरीका डायर को सुझा ही नहीं. जरनल डायर ने इस कुकृत्य को अंजाम देने के लिए फौज का इस्तेमाल करने का फैसला लिया अमृतसर शहर में फौज ने फ्लैग मार्च किया उन्हें पता था की आज जलिय्यांवाला बाग में एक शांतिपूर्ण सभा के लिए कई सारे लोग इकठ्ठा हो रहे हैं सभा करीब शाम 4.30 पर शुरू हुई, और करीब एक घंटे के बाद डायर अपनी फौज के साथ आ धमका वो तो शुक्र है के जालियांवाला बाग का मुख्य प्रवेश द्वार छोटा है जिसमें से टैंक अन्दर नहीं जा सका वर्ना डायर तो इसकी तैयारी कर के आया था. 65 गोरखा सिपाहियों और 25 बलूच सिपाहियों के साथ डायर ने निहत्थे लोगों, जिनमे आदमी, औरतें और छोटे बच्चे भी शामिल थे उनपर 303 ली इनफिल्ड बंदूकों के साथ गोलियां बरसानी शुरू कर दी. लोगों में भगदड़ मच गयी. कहते हैं डायर और उसके सिपाही दस मिनट तक लगातार गोलियां चलते रहे और कुल 1650 राउंड फायर किये. कहा जाता है की इस गोलीबारी में कुल 388 लोग शहीद हो गए और 200 लोग घायल हो गए. गैर सरकारी आँकड़ों के अनुसार इस नरसंहार में 1000 से अधिक लोग मारे गए और 2000 से अधिक घायल हुए। इस हमले से बचने के लिए भगदड़ मच गयी और कई लोग तो भगदड़ में ही मारे गए, कुछ लोग जान बचने के लिए वहां बने कुँए में कूद गए, बाद में इस कुँए से १२० शवों को निकाला गया. जालियांवाला बाग की दीवारों पर बने गोलियों के निशाँ आज भी उन जख्मों को हरा कर देते हैं.


जालियांवाला बाग शहीदों की याद सदैव हमारे दिलों में रहेगी उनको शत शत नमन. 

16 comments:

  1. शहीदों को शत् शत् नमन

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  2. shahidon ko shat shat naman.rishi apko bhi is ache karya ke liye naman

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    1. धन्यवाद नयन तारा जी

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  3. Amar shahido ko sat sat naman...

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  4. जलियाँवाला बाग नरसंहार भारतीय इतिहास के पन्नों का काला अध्याय है जो हम भारतीयों के दिलो में तीर की तरह चुभता है। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में पंजाब राज्य का महत्वपूर्ण स्थान है। सभी शहीदों को सत सत नमन। सर आपके द्वारा दी गयी जानकारी विस्तृत व महत्वपूर्ण है।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आलोक जी

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  5. कैसा हौलनाक मंजर रहा होगा जब सैकड़ों निहत्थे मासूम लोगों के शव चन्द पलों में मैदान में बिछा दिए गए।

    कोटि नमन उन अमर शहीदों को।
    आपका शुक्रिया ऋषि सर।।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद विनोद जी

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद भैया

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  7. Salutations to all the martyrs of Jallianwala Bagh massacre 🙏🏼

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