प्रिय मित्रों,
सादर नमस्कार !!
आज यानि कि 18 अप्रैल, “विश्व धरोहर दिवस” यानि की
वर्ल्ड हेरिटेज डे है, आज का दिन ये सन्देश देता है की हम अपने खूबसूरत एवं
ऐतिहासिक स्थानों को सहेज कर रखें ताकि आने वाली पीढियां भी इन अमूल्य धरोहरों से
रूबरू हो सकें. आज ही के दिन महान क्रन्तिकारी तात्या टोपे को अंग्रेजों ने फांसी
पर चढ़ा दिया था, इस महान हुतात्मा तात्या टोपे को शत शत नमन कर आगे की यात्रा शुरू
करते हैं.
विश्व में लगभग 1052 विश्व विरासत स्थल
हैं, जिनमे इटली, सबसे ज्यादा 51 जगहों के साथ पहले स्थान पर है, वहीँ अपना प्यारा
भारत इस सूची में 35 स्थानों के साथ विश्व में छठे स्थान पर आता है. आज मैं आपको भारत
वर्ष के इन्ही 35 में से एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान “महाबलीपुरम” की सैर पर ले कर
चल रहा हूँ. वर्ष 1984 में इसको UNESCO ने विश्व विरासत का दर्जा दे दिया.
आजकल महाबलीपुरम को “ममल्लपुरम” भी कहा
जाता है. ये स्थान तमिलनाडू के कांचीपुरम
ज़िले में है जो चेन्नई से मात्र 55 किलोमीटर की दूरी पर बंगाल कि खाड़ी में स्थित है । यह स्थान अपने
पौराणिक मंदिरों एवं विशाल समुद्रतट के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। देसी विदेशी
पर्यटकों का यहाँ सदा ही ताँता लगा रहता है. सातवीं शताब्दी में इस शहर को पल्लव राजाओं
ने अपनी राजधानी बनाया था, उन्होंने ही यहाँ इतने खूबसूरत, शिल्प कला से संपन्न
मंदिरों का निर्माण करवाया. इसके साथ साथ उन्होंने यहाँ बंदरगाह का भी निर्माण करवाया. तमिल में इस स्थान को कडलमला, जिसका शाब्दिक अर्थ है समुद्र पहाड़, कहा जाता था.
सबसे पहले हमने “पंचरथ” देखा जिसे पांच पांडवों के नाम से भी जाना जाता है, हालाँकि यहाँ
पांडव कभी भी आए नहीं थे. ये स्थान अपनी नक्काशी एवं कलात्मक
शैली के लिए अत्यंत प्रसिद्द है, यहाँ कुल पांच मंदिर हैं जो की माँ दुर्गा,
भोलेनाथ, ब्रह्मा, विष्णु और इंद्र को समर्पित हैं इसके अलावा यहाँ शेर, हाथी और
बैल की भी प्रतिमाएं हैं जो श्याद भगवानों के वाहन के तौर पर यहाँ दर्शाए गए हैं.
इसकी सबसे बड़ी विशेषता है की इन सभी को यह एक ही पत्थर से काटकर बनाया गया है.
हालाँकि, इस स्थान का निर्माण कार्य पल्लव और चालुक्य राजाओं
में युद्ध छिड जाने से अधूरा ही रह गया.
एक और जगह यहाँ बहुत
प्रसिद्द है इसको भी चट्टानों को काट कर बनाया गया है, इसमें पृथ्वी पर गंगा के
अवतरण को दिखाया गया है, राजा भगीरथी तपस्या कर रहे हैं और स्वर्ग से माँ गंगा का
अवतरण हो रहा है. इसके अलावा कृष्ण जी को समर्पित गुफाएं भी हैं और यहाँ का शोर
टेम्पल यानि की तटीय मंदिर विश्व के सबसे पुरातन मंदिरों में से है. एक ज़माने में
ये मंदिरों का समूह था जिनमे से कुछ सुनामी आने के बाद समुद्र में समा चुके हैं
कभी कभार जब समुद्र में पानी कम हो जाता है तो उनका ऊपरी हिस्सा
दिखाई दे जाता है. कुल मिला कर “महाबलीपुरम” देखने लायक स्थान है जहाँ न केवल आपको
इतिहास से रूबरू होने का मौका मिलता है अपितु अपने देश की समृद्ध संस्कृति पर गर्व
भी होता है. तभी तो कहा जाता है मेरा भारत महान !!!