Tuesday 30 June 2020

आषाढ़ी एकादशी पर दर्शन पंढरपुर के

आज पवित्र आषाढ़ी एकादशी है, इसे देवशयनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, मान्यता है कि इस दिन विष्णु भगवान जी चार मास के लिए क्षीर सागर में शयन करते हैं। इस एकादशी का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है।

इस पावन अवसर पर मैं आपको ले कर चल हूँ विष्णु भगवान जी को समर्पित कृष्ण जी का एक मशहूर और दिव्य मंदिर जो की पंढरपुर, ज़िला शोलापुर, महाराष्ट्र में है. भारत वर्ष में विष्णु जी के प्रमुख मंदिरों में इसकी गणना होती है।

भीमा नदी (इसे अपने चन्द्राकर की वजह से यहाँ चंद्रभागा भी पुकारा जाता है) के तट पर बने इस मंदिर में कृष्ण जी को विठोबा, विट्ठल और पंढरीनाथ के नाम से भी पुकारा जाता है. ये भी कहा जाता है के पंढरपुर का नाम एक पुंडलिक के नाम के बाबा पर पड़ा जो “हरि” यानि विष्णु जी के अनन्य भक्त थे और उन्हें आत्मज्ञान यहीं प्राप्त हुआ था।

13वीं शताब्दी से लेकर 17वीं शताब्दी के बीच यहाँ कई सारे संतो का आना जाना रहा और अपनी भक्ति और रचनाओं से वो बहुत प्रसिद्द भी हुए हैं जिनमें सन्त नामदेव, सन्त ज्ञानेश्वर, सन्त तुकाराम प्रमुख हैं. अपने धार्मिक महत्व की वजह से पंढरपुर को महाराष्ट्र की आध्यात्मिक राजधानी भी कहा जाता है. आषाढ़ी एकादशी पर पुणे जिले के देहु गांव (जो कभी संत तुकाराम का निवास स्थान था) और आलंदी गांव (जो कभी संत ज्ञानेश्वर का निवास स्थान था) से लाखों श्रद्धालु पैदल इन गांव व आस पास के अन्य स्थानों से करीब 200-250 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर पंढरपुर पहुंचते हैं और विट्ठल से आशीर्वाद पाते हैं।

ये यात्रा अपने आप में अत्यंत अनूठी है। एक हिन्दू होने के नाते मैं स्वयं को सौभाग्यशाली मानता हूँ की मुझे यहां पंढरी के दर्शनों का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।

मंदिर परिसर में कुल छ: प्रवेश द्वार हैं, पूर्वी प्रवेश द्वार को “नामदेव द्वार” से जाना जाता है. यहाँ विठोबा के अलावा माता रुक्मणि जी को भी पूजा जाता है, उनकी भी यहाँ मूर्ति स्थापित है. विष्णु जी को तुलसी अत्यंत प्रिय है जिसकी वजह से यहाँ विष्णु जी को तुलसी की माला चढाई जाती है. पंढरपुर के रेलवे स्टेशन की इमारत पर पंढरीनाथ की बिलकुल वैसी मूर्ति लगी है जैसी यहाँ के मुख्य मंदिर में स्थापित है. दिल्ली से यहाँ पहुँचने के लिए पुणे से पहले एक स्टेशन पड़ता है “दौंड” यहाँ से पंढरपुर की दूरी मात्र 140 किलोमीटर के आसपास है. नजदीकी हवाई अड्डा पुणे है।

“मथुरा का श्याम, वही अयोध्या का राम
पंढरी में हुआ विट्ठल यही नाम,
युगों युगों से खड़ा है भक्त प्रेम पाने हेतु
इसीलिए तीर्थ यही सारे तीर्थों में बडा है
चंद्रभागा में नहाए, दर्शन विट्ठल जी के पाए
तन मन खुशियों से लहराए, मन भर भर आए”
(अज्ञात)

तो आप कब जा रहें हैं पंढरपुर??
बोलो विट्ठल महाराज की जय.









1 comment:

  1. Very well written.. very few people know this place in North India. It's part of the incredible india. Keep it up 👍

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