Thursday 26 May 2016

होगेनक्कल फाल्स तमिलनाडु

मित्रों इस बार तिरुपति से आते हुए हमने तमिलनाडु के सबसे प्रसिद्द वाटर फॉल यानी की होगेनक्कल जाने का निर्णय लिया। होगेनक्कल शब्द का निर्माण कन्नड़ के दो शब्दों को मिला कर हुआ है और वो हैं होगे और कल। होगे का अर्थ है धुआँ और कल का अर्थ है चट्टान। यानी चट्टान से उठता धुआँ। होगेनक्कल तमिलनाडु और कर्नाटक की सीमा पर है। इस झरने में तमिलनाडु और कर्नाटक दोनों तरफ से प्रवेश कर सकते हैं।

कावेरी नदी पर बना ये झरना अपनी सुंदरता और विराट स्वरुप के लिए जाना जाता है। बारिशों में तो यहाँ करीब 52 झरने बन जाते हैं जो नियाग्रा फॉल को भी पीछे छोड़ देते हैं। तिरुपति से चित्तूर, वेल्लोर और धर्मापुरी होते हुए करीब छे घंटों में हम होगेनक्कल पहुंचे। बारिशों का मौसम न होने की वजह से बहुत सुन्दर दृश्य तो नहीं मिला परंतु जो भी मिला वो भी अलौकिक और बिलकुल भिन्न था।

बांस से बनी नौका में बैठ कर नौकायान का आनंद जीवन में पहली बार उठाया। पहले चरण में नौका से एक छोटे टापू पर गए और फिर वहां से नाविक ने नौका को कंधे पर उठाया और अन्य स्थान पर ले गया जहाँ से एक अलग नज़ारे ने समां बांध दिया।

एक छोर से लोग तमिलनाडु से प्रवेश करते हैं और दूसरे छोर पर कर्नाटक से आने वाले। दोनों प्रदेशों के नाविकों की वर्दी भी अलग अलग है। नौकायान करने के बाद हम लोगों ने वहां फॉल के नीचे स्नान भी किया। स्थानीय लोग तेल की बोतल ले कर घुमते दिखाई देते हैं जो नहाने से पहले शरीर पर मसाज कराने का आग्रह करते हैं।

कुल मिला कर देखने योग्य स्थान है।

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