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Tuesday, 5 July 2016

बाजीराव और मस्तानी से जुड़े इतिहासिक स्थल

प्रिय मित्रों
सादर नमस्कार
आज मैं पुन: उपस्थित हूँ, आपको भारत की एक नई जगह की सैर करवाने के लिए. आज आपको बताएँगे बाजीराव और मस्तानी के प्रेम से जुडी दो जगहों यानि की शनिवार वाडा और पाबल. शनिवार वाडा, महाराष्ट्र के पुणे में पेशवा बाजीराव का महल है और वहीँ पाबल में मस्तानी की कब्र या समाधी है. शनिवार वाडा का निर्माण 1732 में तत्कालीन मराठा सम्राट छत्रपति साहू जी महाराज के प्रधानमंत्री पेशवा बाजीराव के लिए किया गया. सात मंजिली इस इमारत पर उस समय 16,110 रूपए की लागत आई. वर्ष 1818 तक अंग्रेजों के सत्ता सँभालने तक ये अधिकारिक रूप से पेशवा बाजीराव का निवास रहा. 1818 के बाद बाजीराव उत्तर प्रदेश के बिठूर में रहने चले गए. शनिवार वाडा में प्रवेश के लिए पांच दरवाज़े हैं :-

दिल्ली दरवाज़ा
नारायण दरवाज़ा
मस्तानी दरवाज़ा
गणेश दरवाज़ा
खिड़की दरवाज़ा


पाबल की पुणे से दूरी करीब 60 किलोमीटर है. इसी स्थान पर बाजीराव की पत्नी मस्तानी की कब्र या समाधी है. मुसलमान इसी कब्र और हिन्दू इसे समाधी कहते हैं. मस्तानी एक वीर योधा ही नहीं अपितु अप्रतिम सौन्दर्य की मालकिन भी थीं. बुंदेलखंड के राजा छत्रसाल की ईरानी पत्नी रूहानी बाई की पुत्री मस्तानी को इतिहास हमेशा याद रखेगा. धन्यवाद संजय लीला भंसाली को जिन्होंने बाजीराव मस्तानी का निर्माण कर के इन दो महान शख्सियतों को देशवासियों के सामने उजागर किया. जब भी आप पुणे जायें तो इन दो जगहों पर अवश्य जायें. 






मस्तानी की कब्र या समाधी